जयपुर. जवाहर कला केंद्र के द्वारा आयोजित हो रहे ऑनलाइन लर्निंग क्लासेस बीजाक्षर का गुरुवार को समापन हुआ. इसके अंतिम दिन लोगों को बुकबाइंडिंग की अनूठी कला सीखने का अवसर मिला. वहीं, सेशन का संचालन जयपुर के ही बुकबाइंडर राजेंद्र कुमार ने किया.
कला एवं संस्कृति विभाग राजस्थान सरकार द्वारा जवाहर कला केंद्र और अरेबियन और पर्शियन रिसर्च संस्थान के सहयोग से इसका आयोजन किया गया. सेशन की शुरुआत बुकबाइंडिंग के इतिहास, उत्पत्ति, बुनियादी संरक्षण तकनीक, सामग्री, सॉफ्ट बाइंडिंग और हार्ड बाइंडिंग के बारे में परिचयात्मक प्रस्तुति देने के साथ हुआ. इसके बाद क्रमबद्ध तरीके से बुकबाइंडिंग का प्रदर्शन किया गया.
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बुकबाइंडिंग के इतिहास के बारें में बताते हुए कहा गया कि प्राचीन काल में पांडुलिपियों को 'जुजु बाइंडिंग' नामक विधि से बाउंड किया जाता था. बाइंडिंग की इस विधि के बारे में बताते हुए उन्होंने पहले पन्नो को एक साथ फोल्ड करके उनकी एक गड्डी बनाई जाती है.
इसके बाद पन्नो को एक साथ चिपकाने के लिए होममेड गोंद का उपयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि पुस्तक के लिए बाहरी कवर चमड़े, हस्तनिर्मित कागज, कपड़े से बनाया जा सकता है. यह सेशन बुकबाइंडिंग के अनुभवी और बिना अनुभव के लोगों के लिए डिजाइन किया गया था.