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HC में संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी धोखाधड़ी मामले में बहस पूरी

राजस्थान हाईकोर्ट में बुधवार को संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले मामले में बहस पूरी हो गई.

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Published : Aug 5, 2020, 7:46 PM IST

Sanjeevani Society Fraud Case,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले से जुड़े मामले में निचली अदालत की ओर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केवलचंद डगरिया सहित अन्य के खिलाफ अग्रिम जांच के आदेश देने के विरुद्ध पेश अपील पर सुनवाई की. मामले में याचिकाकर्ता केवलचंद की ओर से न्यायाधीश सतीश शर्मा की एकलपीठ में बहस पूरी की गई.

याचिका में कहा गया कि एडीजे कोर्ट ने गत 21 जुलाई को शिकायतकर्ता गुमान सिंह और लाबू सिंह की रिवीजन अर्जी पर सुनवाई करते हुए मामले में एसओजी को अग्रिम जांच के आदेश दिए थे. जबकि रिवीजन अर्जी के तथ्यों में याचिकाकर्ता का नाम होने के बावजूद उसका पक्ष नहीं सुना गया. निचली अदालत की ओर से प्रार्थना पत्र खारिज करने के बाद उसके खिलाफ दायर रिवीजन अर्जी में याचिकाकर्ता को पक्षकार भी नहीं बनाया गया. ऐसे में एडीजे कोर्ट का आदेश अवैध है, इसलिए कोर्ट के आदेश को निरस्त किया जाए.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज की वित्तीय स्थिति की मांगी जानकारी

गौरतलब है कि मामले में शिकायतकर्ता के प्रार्थना पत्र को निचली अदालत ने गत 13 जुलाई को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह मामले में परिवादी नहीं है. इसके खिलाफ दायर रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को अग्रिम जांच के लिए एसओजी में भेज दिया था. प्रार्थना पत्र में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य लोगों की संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में भूमिका बताई गई थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले से जुड़े मामले में निचली अदालत की ओर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केवलचंद डगरिया सहित अन्य के खिलाफ अग्रिम जांच के आदेश देने के विरुद्ध पेश अपील पर सुनवाई की. मामले में याचिकाकर्ता केवलचंद की ओर से न्यायाधीश सतीश शर्मा की एकलपीठ में बहस पूरी की गई.

याचिका में कहा गया कि एडीजे कोर्ट ने गत 21 जुलाई को शिकायतकर्ता गुमान सिंह और लाबू सिंह की रिवीजन अर्जी पर सुनवाई करते हुए मामले में एसओजी को अग्रिम जांच के आदेश दिए थे. जबकि रिवीजन अर्जी के तथ्यों में याचिकाकर्ता का नाम होने के बावजूद उसका पक्ष नहीं सुना गया. निचली अदालत की ओर से प्रार्थना पत्र खारिज करने के बाद उसके खिलाफ दायर रिवीजन अर्जी में याचिकाकर्ता को पक्षकार भी नहीं बनाया गया. ऐसे में एडीजे कोर्ट का आदेश अवैध है, इसलिए कोर्ट के आदेश को निरस्त किया जाए.

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गौरतलब है कि मामले में शिकायतकर्ता के प्रार्थना पत्र को निचली अदालत ने गत 13 जुलाई को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह मामले में परिवादी नहीं है. इसके खिलाफ दायर रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को अग्रिम जांच के लिए एसओजी में भेज दिया था. प्रार्थना पत्र में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य लोगों की संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में भूमिका बताई गई थी.

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