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देश में पेड़ और जानवर के लिए कानून हैं, लेकिन किसान के लिए कोई कानून नहीं : अमराराम

देश में पेड़ को बचाने के लिए कानून है, जानवर को बचाने के लिए कानून है, लेकिन किसान को बचाने के लिए किसी भी तरह का कोई कानून लागू नहीं है. यह कहना है अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अमराराम का.

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Published : Aug 2, 2019, 7:23 PM IST

जयपुर. अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले शुक्रवार को किसानों ने जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया. वहीं, किसान कर्ज मुक्ति बिल 2018 और गारंटी के तौर पर लाभकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने का अधिकार बिल 2018 की क्रियान्वयन की मांग की.

देश में किसान के लिए कोई कानून नहीं

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अमराराम ने कहा कि देश का किसान एक भयानक कृषि संकट का सामना कर रहा है. उत्पादन का खर्चा लगातार बढ़ रहा है और किसानों को उनकी फसल का गारंटी के तौर पर लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है. इसके कारण खेती घाटे का सौदा बन रही है. इसके चलते ही किसान कर्ज में डूबा हुआ है और आत्महत्या करने पर मजबूर है. उन्होंने बताया कि भारत में साढ़े तीन लाख से ज्यादा किसान 1995 के बाद आत्महत्या कर चुके हैं. उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की कि वे अपने पद का पूरा उपयोग कर किसान कर्ज मुक्ति बिल 2018 और किसानों का कृषि उत्पाद के लिए गारंटी के तौर पर लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने का अधिकार बिल 2018 की क्रियान्वयन के लिए सरकार पर दबाव बनाएं.

पढ़ें: सरकारी आवास खाली नहीं करने पर 10 हजार प्रतिदिन जुर्माना लगाने का कानून सदन में पारित, भाजपा की आपत्ती

उन्होंने कहा कि 20 नवंबर 2018 को संसद के सामने हुई किसान संसद में लाखों किसान शामिल हुए थे और उसमें यह दोनों बिल पास किए गए थे. यह दोनों बिल राज्यसभा और लोकसभा में राजू शेट्टी ने निजी सदस्य बिल के तौर पर प्रस्तुत किए थे. अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम का कहना है कि आज आजादी के 72 साल बाद भी किसान की स्थिति बहुत खराब है. इन 702 सालों में किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आज पेड़ बचाने के लिए कानून है, जानवर बचाने के लिए कानून है लेकिन किसान को बचाने के लिए कोई कानून लागू नहीं है. इसलिए जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर राष्ट्रपति से गुहार लगाई है कि वह किसान संसद में पास किए गए दोनों बिलों को सरकार पर दबाव बनाकर पास कराएं. अमराराम ने कहा कि अभी संसद चल रही है, यदि संसद में दोनों बिल पास नहीं किए जाते हैं तो किसानों का यह आंदोलन और तेज किया जाएगा.

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश के कोषाध्यक्ष गुरुचरण सिंह मोड ने बताया कि किसान पर जो कर्जा है वह सरकार की नीति कारण है, न कि किसान की गलती के कारण. किसान की खेती की लागत बढ़ती जा रही है, जिससे उसे नुकसान हो रहा है. जिस तरह से बड़े व्यापारियों के करोड़ो रुपये सरकार माफ कर देती है. उसी तरह किसानों का भी कर्ज माफ होना चाहिए और इस समस्या का स्थाई समाधान होना चाहिए. उन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें भी लागू करने की मांग की. उन्होंने कहा कि किसान को फसल की लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना ही चाहिए.

जयपुर. अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले शुक्रवार को किसानों ने जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया. वहीं, किसान कर्ज मुक्ति बिल 2018 और गारंटी के तौर पर लाभकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने का अधिकार बिल 2018 की क्रियान्वयन की मांग की.

देश में किसान के लिए कोई कानून नहीं

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अमराराम ने कहा कि देश का किसान एक भयानक कृषि संकट का सामना कर रहा है. उत्पादन का खर्चा लगातार बढ़ रहा है और किसानों को उनकी फसल का गारंटी के तौर पर लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है. इसके कारण खेती घाटे का सौदा बन रही है. इसके चलते ही किसान कर्ज में डूबा हुआ है और आत्महत्या करने पर मजबूर है. उन्होंने बताया कि भारत में साढ़े तीन लाख से ज्यादा किसान 1995 के बाद आत्महत्या कर चुके हैं. उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की कि वे अपने पद का पूरा उपयोग कर किसान कर्ज मुक्ति बिल 2018 और किसानों का कृषि उत्पाद के लिए गारंटी के तौर पर लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने का अधिकार बिल 2018 की क्रियान्वयन के लिए सरकार पर दबाव बनाएं.

पढ़ें: सरकारी आवास खाली नहीं करने पर 10 हजार प्रतिदिन जुर्माना लगाने का कानून सदन में पारित, भाजपा की आपत्ती

उन्होंने कहा कि 20 नवंबर 2018 को संसद के सामने हुई किसान संसद में लाखों किसान शामिल हुए थे और उसमें यह दोनों बिल पास किए गए थे. यह दोनों बिल राज्यसभा और लोकसभा में राजू शेट्टी ने निजी सदस्य बिल के तौर पर प्रस्तुत किए थे. अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम का कहना है कि आज आजादी के 72 साल बाद भी किसान की स्थिति बहुत खराब है. इन 702 सालों में किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आज पेड़ बचाने के लिए कानून है, जानवर बचाने के लिए कानून है लेकिन किसान को बचाने के लिए कोई कानून लागू नहीं है. इसलिए जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर राष्ट्रपति से गुहार लगाई है कि वह किसान संसद में पास किए गए दोनों बिलों को सरकार पर दबाव बनाकर पास कराएं. अमराराम ने कहा कि अभी संसद चल रही है, यदि संसद में दोनों बिल पास नहीं किए जाते हैं तो किसानों का यह आंदोलन और तेज किया जाएगा.

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश के कोषाध्यक्ष गुरुचरण सिंह मोड ने बताया कि किसान पर जो कर्जा है वह सरकार की नीति कारण है, न कि किसान की गलती के कारण. किसान की खेती की लागत बढ़ती जा रही है, जिससे उसे नुकसान हो रहा है. जिस तरह से बड़े व्यापारियों के करोड़ो रुपये सरकार माफ कर देती है. उसी तरह किसानों का भी कर्ज माफ होना चाहिए और इस समस्या का स्थाई समाधान होना चाहिए. उन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें भी लागू करने की मांग की. उन्होंने कहा कि किसान को फसल की लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना ही चाहिए.

Intro:जयपुर। देश में पेड़ को बचाने के लिए कानून है, जानवर को बचाने के लिए कानून है, लेकिन किसान को बचाने के लिए किसी भी तरह का कोई कानून लागू नहीं है। यह कहना है अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अमराराम का।
अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले किसानो ने जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया और किसानों ने किसान कर्ज मुक्ति बिल 2018 और गारंटी के तौर पर लाभकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने का अधिकार बिल 2018 की क्रियान्वयन की मांग की। अखिल भारतीय किसान सभा कि किसानों ने जिला कलेक्ट्रेट पर पहले धरना देकर प्रदर्शन किया और उसके बाद जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव को ज्ञापन सौंपा।


Body:किसानों ने बताया कि देश का किसान एक भयानक कृषि संकट का सामना कर रहा है। उत्पादन का खर्चा लगातार बढ़ रहा है और किसानों को उनकी फसल का गारंटी के तौर पर लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण खेती घाटे का सौदा बन रही है । इसके चलते ही किसान कर्ज में डूबा हुआ है और आत्महत्या करने पर मजबूर है। उन्होंने बताया कि भारत में साढ़े तीन लाख से ज्यादा किसान 1995 के बाद आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की कि वे अपने पद का पूरा उपयोग कर किसान कर्ज मुक्ति बिल 2018 और किसानों का कृषि उत्पाद के लिए गारंटी के तौर पर लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने का अधिकार बिल 2018 की क्रियान्वयन के लिए सरकार पर दबाव बनाएं। 20 नवंबर 2018 को संसद के सामने हुई किसान संसद में लाखों किसान शामिल हुए थे और उसमें यह दोनों बिल पास किए गए थे। यह दोनों बिल राज्यसभा में के के राघेश और लोकसभा में राजू शेट्टी ने निजी सदस्य बिल के तौर पर प्रस्तुत किए थे।


Conclusion:अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम का कहना है कि आज आजादी के 72 साल बाद भी किसान की स्थिति बहुत खराब है इन 702 सालों में किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है उन्होंने कहा कि आज पेड़ बचाने के लिए कानून है, जानवर बचाने के लिए कानून है लेकिन किसान को बचाने के लिए कोई कानून लागू नहीं है। इसलिए जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर राष्ट्रपति से गुहार लगाई है कि वह किसान संसद में पास किए गए दोनों बिलों को सरकार पर दबाव बनाकर पास कराए। अमराराम ने कहा कि अभी संसद चल रही है यदि संसद में दोनों बिल पास नहीं किए जाते हैं तो किसानों का यह आंदोलन और तेज किया जाएगा।
अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश के कोषाध्यक्ष गुरुचरण मोड़ ने बताया किसान पर जो कर्जा है वह सरकार की नीति कारण है, न कि किसान की गलती के कारण। किसान की खेती की लागत बढ़ती जा रही है जिससे उसे नुकसान हो रहा है। जिस तरह से बड़े व्यापारियों के करोड़ो रूपये सरकार माफ कर देती है। उसी तरह किसानों का भी कर्ज माफ होना चाहिए और इस समस्या का स्थाई समाधान होना चाहिए। उन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें भी लागू करने की मांग की उन्होंने कहा किसान को फसल की लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना ही चाहिए।

बाईट
1. अमराराम, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय किसान सभा
2. गुरुशरण सिंह मोड़, कोषाध्यक्ष अखिल भारतीय किसान सभा राजस्थान
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