जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में राजनीतिक उठापटक में पायलट कैंप और गहलोत कैंप के विधायक आमने-सामने हैं. अब इस सियासी ड्रामें में 15 उन कांग्रेसी नेताओं की भी एंट्री हो गई है, जिन्होंने कांग्रेस की टिकट पर निर्दलीय और बसपा विधायकों के खिलाफ चुनाव लड़ा था और हार गए थे. इन 15 कांग्रेसी नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है. कांग्रेस प्रत्याशियों ने पत्र में शिकायत की है कि स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस में निर्दलीय और बसपा विधायकों वरीयता दी जा रही है और हमारे विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पार्टी संगठन के ढांचे को खत्म करने का काम किया जा रहा है.
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कांग्रेस प्रत्याशियों ने कहा कि सरकार के स्तर पर हमारे क्षेत्र में अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर नगरपालिका में पार्षदों के मनोनयन तक निर्दलीय और बसपा विधायकों की ही भागीदारी रही. हम कांग्रेस प्रत्याशियों की भागीदारी नाम मात्र की भी नहीं है. इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और मतदाताओं जिन्होंने 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट दिया, उनकी सुनवाई तक सरकार में नहीं हो रही है.
पत्र में कांग्रेस प्रत्याशियों ने लिखा कि इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि निर्दलीयों और बसपा विधायकों की मनमानी के चलते प्रदेश कांग्रेस संगठन भी इनके आगे झुका हुआ है. जिसका उदाहरण नगर पालिका और पंचायत चुनाव में टिकट वितरण में इनकी शत-प्रतिशत भागीदारी के रूप में देखने को मिला. कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने के बावजूद हमारी भागीदारी जीरो रही. कांग्रेस प्रत्याशियों ने सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है.
डोटासरा ने कहा काल्पनिक पत्र
जब इस पत्र को लेकर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने इस पत्र पर सवाल उठा दिए और कहा कि यह पत्र काल्पनिक है. डोटासरा ऐसे किसी भी पत्र के लिखे जाने की बात से मना करते रहे.
सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 15 कांग्रेस नेता
मनीष यादव, सुभाष मील, राजेश अग्रवाल, दौलत सिंह मीणा, डॉ. रामचंद्र यादव, भगवान राम सैनी, सुनील कुमार शर्मा, अजय बोहरा, रितेश बैरवा, जीवाराम, मुरारीलाल, दर्शन सिंह गुर्जर, हिमांशु कटारा, अशोक कुमार चांडक और डॉ. करण सिंह यादव ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है.