जयपुर. कोरोना संकट के चलते जयपुर, जोधपुर और कोटा शहरों के छह नगर निगमों के चुनाव एक बार फिर टल गए हैं. कोरोना संकट के चलते राज्य सरकार और राजस्थान निर्वाचन आयोग की अपील पर राजस्थान हाइकोर्ट ने 31 अगस्त तक चुनाव स्थगित कर दिए हैं. ऐसे में इस संक्रमण काल बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय निवर्तमान पार्षद एक मत होकर कार्यकाल आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार ने कोविड-19 संक्रमण के चलते जयपुर, जोधपुर और कोटा के छह नगर निगम के चुनाव स्थगित करने के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया था, जिस पर हाईकोर्ट ने दूसरी बार चुनावों को टालने का फैसला लेते हुए चुनाव 31 अगस्त तक स्थगित कर दिए हैं.
इस फैसले का पूर्व मेयर से लेकर निवर्तमान पार्षद और अन्य जनप्रतिनिधि सभी स्वागत कर रहे हैं. पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि अभी प्रदेश कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है. उस समय ये जरूरी था कि इस तरह का आदेश आए. इस वक्त लॉडाउन है और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करनी है. ऐसे में न्यायालय का चुनावों को स्थगित करना जनहित में लिया गया फैसला है.
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उधर, बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय निवर्तमान पार्षद एक मत होकर कार्यकाल आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेसी पार्षदों की माने तो जनता का सीधा जुड़ाव पार्षदों से होता है. उनका कार्यकाल समाप्त होने के कारण पार्षद काम नहीं करा पा रहे, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए जयपुर शहर में कोरोना का कहर लंबे समय तक रह सकता है. लॉकडाउन की वजह से जनता कही आ जा नहीं सकती. कांग्रेसी पार्षदों ने राज्य सरकार से मध्यप्रदेश की तर्ज पर निगम पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की, ताकि वो आमजनता से जुड़े कार्य करा सकें.
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वहीं बीजेपी पार्षदों ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो निगम बनाकर नवंबर में होने वाले चुनावों को नहीं कराए जाने के राज्य सरकार के फैसले को गलत बताया. साथ ही कहा कि लॉकडाउन में जिन जरूरतमंदों को राशन और भोजन मिलना चाहिए उन तक सामग्री नहीं पहुंच रही.
ऐसे में जनता के हित में निवर्तमान पार्षदों को ही पावर दे दी जाए, चाहे भत्ते आदि ना दिए जाए. बीजेपी पार्षदों ने कहा कि आज की परिस्थितियों में चुनाव संभव नहीं है. ना जनता तैयार है ना सरकार के पास बजट है. जो लोग जनप्रतिनिधि बनकर सेवा कार्य करना चाहते हैं उनके पास ये सही अवसर है.
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जबकि निर्दलीय पार्षदों की माने तो जयपुर में दो निगमों का परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है. ऐसे में 2021 में होने वाली जनगणना के बाद परिसीमन फिर से हो तब तक पुराने परिसीमन के अनुसार ही 91 वार्डों पर चुनाव करा दिए जाए और जब तक चुनाव नहीं होते आमजन के काम कराने के लिए निवर्तमान पार्षदों को शक्तियां प्रदत्त की जाए.
चूंकि चुनाव आयोग को संपूर्ण मशीनरी राज्य सरकार से उपलब्ध होती है, जो कि फिलहाल कोरोना से बचाव में जुटी है. चुनाव में बड़ी संख्या में लोग एक साथ बाहर आयेंगे, जिससे भी संक्रमण फैलने का खतरा रहेगा. ऐसे में हाइकोर्ट ने चुनाव आगे बढ़ाने का फैसला तो लिया. लेकिन, अब निवर्तमान पार्षदों की कार्यकाल बढ़ाने की मांग पर क्या राज्य सरकार कोई कदम उठाएगी.