जयपुर. ग्रामीण सहकारिता के माध्यम से नवाचार विषय को रेखांकित करते हुए 66वें अखिल भारतीय सहकार सप्ताह की शुरुआत गुरुवार को सहकार भवन में हुई. यह सहकार सप्ताह 20 नवंबर तक चलेगा.
कार्यक्रम के दौरान संयुक्त रजिस्ट्रार (नियम) विवेकानन्द ने कहा कि सहकारिता के प्राचीन विचार को हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने जमीनी स्तर पर क्रियान्वित किया. उन्होंने कहा कि सहकारिता भारतीय संस्कृति के मूल में निहित है. ऋग्वेद के 10वें मण्डल में सहकारिता के बीजारोपण का उल्लेख होता है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में सहकारिता का प्रादुर्भाव किया.
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उन्होंने कहा कि पं. नेहरू ने 1958 में राष्ट्रीय सहकारिता नीति बनाकर उन्होंने सर्वसमावेशी समाजवाद की नींव रखी. सहकारिता आन्दोलन ने ग्रामीण भारत में वह आधारभूत संरचना तैयार की, जिसके परिणाम स्वरूप देश में हरित क्रांति, श्वेत क्रांति व पीत क्रांति संभव हो सकी.
आईसीडीपी के एम.ओ. विद्याधर गोदारा ने कहा कि पं. जवाहर लाल नेहरू भारत में सहकारिता के मसीहा थे. उन्होंने रूस व चीन की व्यवस्थाओं का अध्ययन कर उसे भारतीय संदर्भों में सहकारिता के रूप में क्रियान्वित किया. उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र व निजी क्षेत्र के अतिवादी विचारों के बीच सहकारिता को मध्यम मार्ग की तरह लागू किया.
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अतिरिक्त रजिस्ट्रार (बैंकिग) भोमाराम ने भारत में सहकारिता के विकास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सर्वप्रथम 1889 में लिटन द्वारा प्रथम क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई थी. वायसराय कर्जन के समय सहकारिता को प्रोत्साहन किया गया. 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक के गठन के साथ ही सहकारिता गरीबी व भूखमरी से संघर्ष में एक प्रमुख हथियार के रूप में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रही है.
इस अवसर पर जी.एल. स्वामी अतिरिक्त रजिस्ट्रार, द्वितीय ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के संदेश एवं एम.पी.यादव अतिरिक्त रजिस्ट्रार, मार्केंटिंग ने सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना के संदेश का वाचन किया. इस अवसर पर सहकारी प्रबंध संस्थान के एम.ओ. बलजीत सिंह रोहिला एवं कृभकों के राजकुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से की गई.