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बन गई सहमति : सरपंच संघ और राज्य सरकार में हुआ समझौता, प्रशासन गांव के संग अभियान में सरकार को मिलेगा सरपंचों का साथ

कई महीनों से चल रहा सरपंचों का आंदोलन शुक्रवार को समाप्त हो गया. सरकार और सरपंच संघ के बीच वार्ता के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया. सरपंच संघ ने प्रशासन गांव के संग अभियान के बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया है और अभियान में सहयोग करने का एलान किया है.

सरपंच संघ और सरकार में समझौता
सरपंच संघ और सरकार में समझौता
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Published : Oct 1, 2021, 10:58 PM IST

जयपुर. सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गड़वाल ने बताया कि सरपंच संघ के पदाधिकारियों और राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता के बाद संघ के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बन गई है. जिसके बाद संघ ने आंदोलन वापस ले लिया.

महानरेगा और अन्य विकास कार्यों के टेंडर पूर्व में जो पंचायत समिति स्तर पर निष्पादित होते थे, अब यह ग्राम पंचायत स्तर पर निष्पादित होंगे और इनका अनुमोदन पंचायत समिति के विकास अधिकारी की ओर से किया जाएगा. ग्राम पंचायतों में विविध ऑनलाइन कार्यों के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर मय कंप्यूटर प्रदान किया जाएगा. आबादी भूमि के विक्रय विलेख के लिए हस्तांतरण, नामांतरण, रूपांतरण , बंटवारा आदि के लिए प्रक्रिया जारी कर दी गई है. पॉवर ऑफ शेड्यूल में संशोधन अब ग्राम पंचायतें 5 लाख के स्थान पर 10 लाख रुपए की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी कर सकेगी.

ग्राम पंचायतों को सीमित निविदा (तीन कोटेशन) से पूर्व में प्रदान किए गए 5 लाख का एक काम एवं वर्ष में 50 लाख के काम/सामग्री के स्थान पर 6 लाख व 70 लाख की पत्रावली मुख्यमंत्री और वित्त विभाग से अनुमोदित हो गई. शीघ्र अधिसूचना जारी होगी. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूर्व में कुछ पंचायत समितियों में तीन कोटेशन से पूरा काम (श्रम सामग्री सहित) ठेके पर नहीं देने दिया जा रहा था.

अब नरेगा के अतिरिक्त मस्टरोल की आवश्यकता नहीं होगी और चाहे तो मस्टरोल पर भी करवा सकते हैं. ग्राम पंचायत स्तरीय कोर ग्रुप का अध्यक्ष पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी के स्थान को सरपंच ग्राम पंचायत होगा. भविष्य में भी ग्राम पंचायत स्तरीय प्रत्येक समिति का अध्यक्ष निर्वाचित सरपंच ही होगा, इसकी सिद्धांत: सहमति भी हुई है. वहीं खाद्य सुरक्षा पोर्टल दोबारा खुलवाने के लिए पंचायत राज विभाग की ओर से खाद्य और आपूर्ति विभाग को पत्र लिख दिया गया है. पेंशन बढ़ाने के लिए सामाजिक न्याय विभाग के पास फाइल भिजवा दी गई है. इसके शीघ्र मंजूर होने का आश्वासन दिया गया है.

पढ़ें-फीस पर 'सुप्रीम' फैसला : कारोनो काल की तय फीस चुकानी होगी..वरना अभिभावकों पर कार्रवाई कर सकेंगे स्कूल

प्रधानमंत्री आवास योजना में कटे हुए नामों को दोबारा जोड़ने के लिए भारत सरकार को पत्र लिख कर नाम जोड़ने की मांग की गई है. जल जीवन मिशन को चालू करने के लिए जो मांग रखी गई है, वह पूरी नहीं हो जाती तब तक इसका अनुमोदन ग्राम सभा में नहीं किया जाएगा. जनता जल योजना में बजट के लिए जलदाय विभाग को पत्र प्रेषित कर दिया गया है.

प्रशासन गांव के संग शिविर में खर्च की सीमा 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख कर दी गई है. आबादी भूमि के लिए पटवारी सीमांकन करेंगे, ताकि पट्टे जारी करते समय सावधानी बरती जा सके. सरपंचों और अन्य जनप्रतिनिधियों के खिलाफ की जाने वाली शिकायतों में अब 50 रुपये का शपथ पत्र अनिवार्य कर दिया गया है. ग्राम पंचायतों की ओर से प्रचार प्रसार के लिए लोक कलाकारों वह अखबार और टीवी चैनलों के लिए सजावटी विज्ञापन देने के लिए आदेश जारी करने की अनुशंसा कर दी गई है.

निजी खातेदारी की भूमि पर जो कॉलोनी या ढाणी या बस चुकी है, उस पर पक्की सड़क निर्माण के लिए पूर्व की भांति 100 रुपये के स्टांप पर सहमति लेकर कार्य किया जा सकेगा. प्रचलित कदीमी रास्तों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए राजस्व विभाग को पत्र लिख दिया गया. सरपंचों और वार्ड पंचों के साथ-साथ पंचायत राज के जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने के लिए फाइल मुख्यमंत्री के पास भिजवा दी गई है.

समझौता वार्ता में राज्य सरकार की ओर से प्रमुख शासन सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय कुलदीप रांका, विशेषा अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय आरती डोगरा, प्रमुख शासन सचिव पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास अपर्णा अरोड़ा, शासन सचिव ग्रामीण विकास के के पाठक, शासन सचिव पंचायत राज पीसी किशन, नरेगा आयुक्त अभिषेक भगोतिया सहित अन्य विभागीय अधिकारी शामिल हुए.

जबकि सरपंच संघ की ओर से संरक्षक भंवरलाल जानू, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल, कार्यकारी अध्यक्ष रोशन अली, प्रवक्ता रफीक पठान, जयराम पलसानिया, मुख्य महामंत्री शक्ति सिंह रावत, उपाध्यक्ष गोपाल शर्मा, शिवजी राम खुर्डिया, जयपुर जिला अध्यक्ष मेहर सिंह धनकड, सहित अन्य कई जिलों से आए हुए सरपंच व पदाधिकारी शामिल थे.

जयपुर. सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गड़वाल ने बताया कि सरपंच संघ के पदाधिकारियों और राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता के बाद संघ के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बन गई है. जिसके बाद संघ ने आंदोलन वापस ले लिया.

महानरेगा और अन्य विकास कार्यों के टेंडर पूर्व में जो पंचायत समिति स्तर पर निष्पादित होते थे, अब यह ग्राम पंचायत स्तर पर निष्पादित होंगे और इनका अनुमोदन पंचायत समिति के विकास अधिकारी की ओर से किया जाएगा. ग्राम पंचायतों में विविध ऑनलाइन कार्यों के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर मय कंप्यूटर प्रदान किया जाएगा. आबादी भूमि के विक्रय विलेख के लिए हस्तांतरण, नामांतरण, रूपांतरण , बंटवारा आदि के लिए प्रक्रिया जारी कर दी गई है. पॉवर ऑफ शेड्यूल में संशोधन अब ग्राम पंचायतें 5 लाख के स्थान पर 10 लाख रुपए की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी कर सकेगी.

ग्राम पंचायतों को सीमित निविदा (तीन कोटेशन) से पूर्व में प्रदान किए गए 5 लाख का एक काम एवं वर्ष में 50 लाख के काम/सामग्री के स्थान पर 6 लाख व 70 लाख की पत्रावली मुख्यमंत्री और वित्त विभाग से अनुमोदित हो गई. शीघ्र अधिसूचना जारी होगी. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूर्व में कुछ पंचायत समितियों में तीन कोटेशन से पूरा काम (श्रम सामग्री सहित) ठेके पर नहीं देने दिया जा रहा था.

अब नरेगा के अतिरिक्त मस्टरोल की आवश्यकता नहीं होगी और चाहे तो मस्टरोल पर भी करवा सकते हैं. ग्राम पंचायत स्तरीय कोर ग्रुप का अध्यक्ष पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी के स्थान को सरपंच ग्राम पंचायत होगा. भविष्य में भी ग्राम पंचायत स्तरीय प्रत्येक समिति का अध्यक्ष निर्वाचित सरपंच ही होगा, इसकी सिद्धांत: सहमति भी हुई है. वहीं खाद्य सुरक्षा पोर्टल दोबारा खुलवाने के लिए पंचायत राज विभाग की ओर से खाद्य और आपूर्ति विभाग को पत्र लिख दिया गया है. पेंशन बढ़ाने के लिए सामाजिक न्याय विभाग के पास फाइल भिजवा दी गई है. इसके शीघ्र मंजूर होने का आश्वासन दिया गया है.

पढ़ें-फीस पर 'सुप्रीम' फैसला : कारोनो काल की तय फीस चुकानी होगी..वरना अभिभावकों पर कार्रवाई कर सकेंगे स्कूल

प्रधानमंत्री आवास योजना में कटे हुए नामों को दोबारा जोड़ने के लिए भारत सरकार को पत्र लिख कर नाम जोड़ने की मांग की गई है. जल जीवन मिशन को चालू करने के लिए जो मांग रखी गई है, वह पूरी नहीं हो जाती तब तक इसका अनुमोदन ग्राम सभा में नहीं किया जाएगा. जनता जल योजना में बजट के लिए जलदाय विभाग को पत्र प्रेषित कर दिया गया है.

प्रशासन गांव के संग शिविर में खर्च की सीमा 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख कर दी गई है. आबादी भूमि के लिए पटवारी सीमांकन करेंगे, ताकि पट्टे जारी करते समय सावधानी बरती जा सके. सरपंचों और अन्य जनप्रतिनिधियों के खिलाफ की जाने वाली शिकायतों में अब 50 रुपये का शपथ पत्र अनिवार्य कर दिया गया है. ग्राम पंचायतों की ओर से प्रचार प्रसार के लिए लोक कलाकारों वह अखबार और टीवी चैनलों के लिए सजावटी विज्ञापन देने के लिए आदेश जारी करने की अनुशंसा कर दी गई है.

निजी खातेदारी की भूमि पर जो कॉलोनी या ढाणी या बस चुकी है, उस पर पक्की सड़क निर्माण के लिए पूर्व की भांति 100 रुपये के स्टांप पर सहमति लेकर कार्य किया जा सकेगा. प्रचलित कदीमी रास्तों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए राजस्व विभाग को पत्र लिख दिया गया. सरपंचों और वार्ड पंचों के साथ-साथ पंचायत राज के जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने के लिए फाइल मुख्यमंत्री के पास भिजवा दी गई है.

समझौता वार्ता में राज्य सरकार की ओर से प्रमुख शासन सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय कुलदीप रांका, विशेषा अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय आरती डोगरा, प्रमुख शासन सचिव पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास अपर्णा अरोड़ा, शासन सचिव ग्रामीण विकास के के पाठक, शासन सचिव पंचायत राज पीसी किशन, नरेगा आयुक्त अभिषेक भगोतिया सहित अन्य विभागीय अधिकारी शामिल हुए.

जबकि सरपंच संघ की ओर से संरक्षक भंवरलाल जानू, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल, कार्यकारी अध्यक्ष रोशन अली, प्रवक्ता रफीक पठान, जयराम पलसानिया, मुख्य महामंत्री शक्ति सिंह रावत, उपाध्यक्ष गोपाल शर्मा, शिवजी राम खुर्डिया, जयपुर जिला अध्यक्ष मेहर सिंह धनकड, सहित अन्य कई जिलों से आए हुए सरपंच व पदाधिकारी शामिल थे.

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