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सूरत के भयानक हादसे के बाद हरकत में प्रदेश की गहलोत सरकार, बड़ी इमारतों की जांच के आदेश

ये एक बड़ा सवाल है कि क्या सरकार किसी बड़ी घटना हो जाने के बाद दिखावे के लिए कार्रवाई करती है. शुरूआत में तो जांच की रिपोर्ट पर कार्रवाई अमल में लाई जाती है लेकिन जैसे ही मुद्दा शांत होता है वैसे ही सरकार का ढुलमुल रवैये देखने को मिलता है.

गुजरात के सूरत में हुई घटना के बाद गहलोत सरकार हरकत में आई
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Published : May 25, 2019, 7:26 PM IST

जयपुर. गुजरात के सूरत में एक कॉन्पलेक्स में आग लगने की घटना के बाद प्रदेश की गहलोत सरकार भी हरकत में आई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को आदेश दिए कि वह इन सभी बड़ी बिल्डिंग्स, कोचिंग संस्थान, शॉपिंग मॉल की जांच कर उन्हें चिन्हित करे.

यह देखा जाए कि जो सुरक्षा के मापदंड नियमानुसार होने चाहिए वह है या नहीं, बिल्डिंग अवैध रूप से तो नहीं बनी हुई है, इन सभी की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जाए. साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह भी आदेश दिए कि इन सभी बड़ी इमारतों में गाइडलाइन के अनुसार सुरक्षा उपकरण लगे हैं या नहीं, वह पर्याप्त है या नहीं है, इसकी भी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए. साथ ही अवैध पाए जाने वाली बड़ी बिल्डिंग पर कार्रवाई की जाए.

VIDEO : गहलोत सरकार ने दिए प्रदेश की बड़ी इमारतों की जांच के आदेश

दरअसल सूरत के कॉम्पलेक्स में आग लगने की दिल दहला देने वाली घटना के बाद जहां गुजरात सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं, उसी को देखते हुए प्रदेश की गहलोत सरकार भी हरकत में आई है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब किसी बड़ी घटना के बाद सरकार जागी हो. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सरकार के वक्त जयपुर में एक शादी समारोह में मैरिज गार्डन की दीवार गिरने से कुछ लोगों की मौत हुई थी. उस वक्त भी सरकार की तरफ से अवैध चल रहे मैरिज गार्डन की जांच के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन यह अभियान कुछ ही दिन चला बाद में मुद्दा ठंडा होने के साथ ही ये कवायद भी ठंडे बस्ते में चली गई.

आपको बता दें कि सूरत जैसी घटना जयपुर में ज्योति नगर थाने के सामने एक निजी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर अवैध रूप से बनाए गए रेस्टोरेंट्स में भी हुई थी. यहां पर भी टॉप फ्लोर पर भीषण आग लगी थी. हालांकि गनीमत यह थी कि उस समय किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई. उस वक्त भी सवाल उठे थे कि राजधानी जयपुर में इस तरह से बड़ी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर अवैध रूप से रेस्टोरेंट चल रहे हैं. लेकिन नगर निगम और जेडीए प्रशासन की मिलीभगत से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

जयपुर. गुजरात के सूरत में एक कॉन्पलेक्स में आग लगने की घटना के बाद प्रदेश की गहलोत सरकार भी हरकत में आई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को आदेश दिए कि वह इन सभी बड़ी बिल्डिंग्स, कोचिंग संस्थान, शॉपिंग मॉल की जांच कर उन्हें चिन्हित करे.

यह देखा जाए कि जो सुरक्षा के मापदंड नियमानुसार होने चाहिए वह है या नहीं, बिल्डिंग अवैध रूप से तो नहीं बनी हुई है, इन सभी की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जाए. साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह भी आदेश दिए कि इन सभी बड़ी इमारतों में गाइडलाइन के अनुसार सुरक्षा उपकरण लगे हैं या नहीं, वह पर्याप्त है या नहीं है, इसकी भी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए. साथ ही अवैध पाए जाने वाली बड़ी बिल्डिंग पर कार्रवाई की जाए.

VIDEO : गहलोत सरकार ने दिए प्रदेश की बड़ी इमारतों की जांच के आदेश

दरअसल सूरत के कॉम्पलेक्स में आग लगने की दिल दहला देने वाली घटना के बाद जहां गुजरात सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं, उसी को देखते हुए प्रदेश की गहलोत सरकार भी हरकत में आई है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब किसी बड़ी घटना के बाद सरकार जागी हो. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सरकार के वक्त जयपुर में एक शादी समारोह में मैरिज गार्डन की दीवार गिरने से कुछ लोगों की मौत हुई थी. उस वक्त भी सरकार की तरफ से अवैध चल रहे मैरिज गार्डन की जांच के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन यह अभियान कुछ ही दिन चला बाद में मुद्दा ठंडा होने के साथ ही ये कवायद भी ठंडे बस्ते में चली गई.

आपको बता दें कि सूरत जैसी घटना जयपुर में ज्योति नगर थाने के सामने एक निजी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर अवैध रूप से बनाए गए रेस्टोरेंट्स में भी हुई थी. यहां पर भी टॉप फ्लोर पर भीषण आग लगी थी. हालांकि गनीमत यह थी कि उस समय किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई. उस वक्त भी सवाल उठे थे कि राजधानी जयपुर में इस तरह से बड़ी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर अवैध रूप से रेस्टोरेंट चल रहे हैं. लेकिन नगर निगम और जेडीए प्रशासन की मिलीभगत से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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जयपुर -

सूरत के भयानक हादसे के बाद हरकत में प्रदेश की गहलोत , मुख्यमंत्री ने बड़ी इमारतों के जांच के आदेश

एंकर:- कहावत है कि जब प्यास लगती है उस वक्त थी कुआं खोदा जाता है , इसी तरह की कहावत भी राजस्थान की गहलोत सरकार पर सटीक बैठती दिखती है , जब भी कोई बड़ा हादसा होता है उसके बाद सरकारी हरकत में आती है , इस बार भी जब गुजरात के सूरत में एक कॉन्पलेक्स में आग लगने की घटना हुई उसके बाद अब राजस्थान की गहलोत सरकार हरकत में आई है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को आदेश दिए कि वह इन सभी बड़ी बिल्डिंग ओं कोचिंग संस्थानों बड़ी इमारतों चलने वाले हॉस्पिटल या अन्य शॉपिंग मॉल की जांच करें उनका चीन्हिकरण किया जाए और यह देखा जाए कि जो सुरक्षा के मापदंड नियमानुसार होने चाहिए वह है या नहीं बिल्डिंग अवैध रूप से तो नहीं बनी हुई है , इन सभी की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जाए साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह भी आदेश दिए कि इन सभी बड़ी इमारतों की चिमनी करण के साथ साथ जो सरकारी गाइडलाइन के अनुसार सुरक्षा के उपकरण लगे नहीं चाहिए वह पर्याप्त है या नहीं है इसकी भी सूचि तैयार की जाए और अवैध पाए जाने वाली बड़ी बिल्डिंग पर कार्रवाई करें , दरअसल सूरत के कंपलेक्स में आग लगने की घटना के बाद प्रदेश की गहलोत सरकार अब हरकत में आई है , हालांकि ऐसा नहीं है किस तरह से किसी बड़ी घटना के बाद में सरकार हरकत में आई हो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सरकार के वक्त जयपुर में एक शादी समारोह में मैरिज गार्डन की दीवार गिरने से कुछ लोगों की मौत हुई थी उस वक्त भी सरकार की तरफ से आदेश जारी किए गए थे की अवैध चल रहे मैरिज गार्डन ओं के ऊपर कारवाई की जाए , लेकिन यह अभियान कुछ दिनों तक चला और उसके बाद यह ठंडे बस्ते में चला गया ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या सरकार है जब भी कोई घटना होती है तो उसके बाद दिखावे के लिए इस तरह की करवाई की जाती है , और अधिकारियों को कार्रवाई करने के आदेश देती है जबकि उस आदेश के ऊपर कितनी कार्रवाई की गई इसका कोई रिकॉर्ड बाद में नहीं लिया जाता । आपको बता दें कि सूरत जैसी घटना जयपुर में ज्योति नगर थाने के सामने एक निजी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर अवैध रूप से बनाए गए रेस्टोरेंट्स मैं भी हुई थी यहां पर भी टॉप फ्लोर पर आग लगाई थी हालांकि गनीमत यह थी कि उस समय किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई थी उस वक्त भी सवाल उठे थे की राजधानी जयपुर में इस तरह से बड़ी बिल्डिंग को के टॉप फ्लोर पर अवैध रूप से रेस्टोरेंट कब चल रहे हैं और नगर निगम और जेडीए प्रशासन की मिलीभगत से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।


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