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RU और सरकारी कॉलेजों में RBSE के अलावा दूसरे बोर्ड के छात्रों को प्रवेश के लिए करनी पड़ती है जद्दोजहद

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Published : Oct 5, 2022, 12:42 PM IST

Updated : Oct 5, 2022, 2:28 PM IST

राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक और सरकारी कॉलेजों में आरबीएसई से पास छात्रों को आसानी रहती (RBSE students admission process in RU) है, जबकि अन्य बोर्ड के छात्रों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. इसके प्रमुख कारणों में सीबीएसई और आईबी बोर्ड छात्रों के कहीं बेस्ट फाइव तो कहीं फर्स्ट फाइव का फॉमूर्ला अपनाया जाता है.

Admission in RU and govt colleges tuff for students other than RBSE
RU और सरकारी कॉलेजों में RBSE के अलावा दूसरे बोर्ड के छात्रों को प्रवेश के लिए करनी पड़ती है जद्दोजहद

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय (RU) के संघटक कॉलेजों में दाखिला लेने में आरबीएसई के छात्रों को ज्यादा जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती. उनकी मार्कशीट में आई परसेंटेज के आधार पर उनका सीधा एडमिशन हो जाता है. लेकिन सीबीएसई, आईबी बोर्ड, मदरसा बोर्ड सहित दूसरे राज्यों के बोर्ड को लेकर अलग नियम बने हुए (Admission in RU and govt colleges) हैं. कारण साफ है कि सीबीएसई और आईबी बोर्ड में छात्र के 6 सब्जेक्ट के आधार पर मार्कशीट तैयार होती है. ऐसे में कहीं उन्हें फर्स्ट फाइव, तो कहीं बेस्ट फाइव के आधार पर कैलकुलेट कर एडमिशन दिया जाता है. इसके साथ ही आरबीएसई की तुलना में कई अतिरिक्त सर्टिफिकेट भी जमा कराने होते हैं. यही वजह है कि राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेजों और सरकारी कॉलेजों में दाखिले से पहले छात्र कई मर्तबा सोचते हैं.

अपने भविष्य को संवारने के लिए 12वीं में छात्र पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ता. कारण साफ है 12वीं के बाद उसे कॉलेज का रुख करना होता है और इसी 12वीं की मार्कशीट के दम पर वो अच्छे से अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन करता है. मध्यम और गरीब वर्ग के छात्रों की कोशिश रहती है कि उन्हें राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेज या फिर सरकारी कॉलेजों में दाखिला मिल जाए. इस क्रम में बीते दिनों एडमिशन का दौर चला.

छात्रों को प्रवेश के लिए करनी पड़ती है जद्दोजहद

पढ़ें: सरकारी कॉलेजों में स्नातक प्रथम वर्ष में एडमिशन का एक और मौका

चौथी लिस्ट आने की संभावना- संघटक कॉलेजों में एडमिशन की चौथी लिस्ट आने के चांस हैं. वहीं सरकारी कॉलेजों में एडमिशन पूरे हो चुके हैं. हालांकि इन एडमिशन में कुछ छात्र ऐसे भी थे जो आरबीएसई और सीबीएसई से ना होकर दूसरे बोर्ड के थे. जिन्हें हाई परसेंटेज होने के बावजूद एडमिशन को लेकर जद्दोजहद करनी पड़ी. राजस्थान विश्वविद्यालय के कॉमर्स कॉलेज में 93 परसेंटेज के साथ एडमिशन के लिए आवेदन करने वाले आदित्य की भी यही कहानी है. जिसका कारण था उनका इंटरनेशनल बोर्ड से होना. हालांकि आदित्य अकेले ऐसे छात्र नहीं है, उनके अलावा भी कई छात्र विश्वविद्यालय की एडमिशन प्रक्रिया की वजह से यहां एडमिशन लेने से ही कतराते हैं.

पढ़ें: Special : सरकारी कॉलेजों के पास नहीं अपना भवन, एडमिशन के लिए भी करनी पड़ रही जद्दोजहद

इन बोर्डों के विद्यार्थी भी दिखाते हैं रुचि- राजस्थान बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड के अलावा यूनिवर्सिटी के संघटक कॉलेजों और सरकारी कॉलेजों में आईबी बोर्ड, मदरसा बोर्ड, स्टेट ओपन बोर्ड और दूसरे राज्यों से आने वाले छात्र विशेषकर यूपी और हरियाणा बोर्ड के छात्र रुचि दिखाते हैं. हालांकि राजस्थान यूनिवर्सिटी के संघटक कॉलेजों की बात करें, तो राजस्थान बोर्ड के अलावा सभी बोर्ड के लिए अलग और स्पष्ट गाइडलाइन भी जारी कर रखी है.

पढ़ें: जोधपुर के इस विश्वविद्यालय में ट्रांसजेंडर भी ले सकेंगे प्रवेश, बैठक में लगी मुहर

3 सालों से % बेस पर हो रहा एडमिशन- इसे लेकर महारानी महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर मुक्ता अग्रवाल ने बताया कि बीते 3 साल से छात्रों का एडमिशन परसेंटेज बेस पर ही हो रहा है. वहीं राजस्थान से बाहर के छात्रों की अगर बात करें तो उन्हें कुल सीट के अधिकतम 10% सीटों पर ही एडमिशन दिया जाता है. उनके लिए मिनिमम एलिजिबिलिटी भी 60% निर्धारित की हुई है और छात्र किसी भी वर्ग से आता हो उसे जनरल कैटेगरी में ही लिया जाता है.

ऐसे तय हुआ था नियम- राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेजों में आवेदन करने वाले सीबीएसई और आईबी बोर्ड के छात्रों के लिए नियम बनाते हुए स्पष्ट किया गया है कि जिनकी डायरेक्ट परसेंटेज मार्क्स शीट में शो नहीं होती और रिजल्ट 5 से ज्यादा सब्जेक्ट का बनता है, उनके पहले पांच विषयों को परसेंटेज के लिए आधार माना जाएगा. प्राचार्य ने बताया कि सेंट्रल एडमिशन बोर्ड की मीटिंग में फर्स्ट फाइव सब्जेक्ट के नंबर को कैलकुलेट कर परसेंटेज निकालते हुए एडमिशन के नियमों को तय किया गया था.

उन्होंने बताया कि संघटक कॉलेजों में जो छात्र एडमिशन लेने के इच्छुक होते हैं, उनमें कई बार इस प्रक्रिया को लेकर भ्रम रहता है और वो खुद बेस्ट फाइव का कैलकुलेशन कर अपनी परसेंटेज बताते हैं. जबकि सेंट्रल एडमिशन बोर्ड की मीटिंग में ये तय हुआ था कि फर्स्ट फाइव सब्जेक्ट को कैलकुलेट करना है. हालांकि कॉलेज निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी कॉलेजों में बेस्ट फाइव सब्जेक्ट के आधार पर परसेंटेज कैलकुलेट होती है.

पढ़ें: ukraine crisis naveen death : पीड़ित पिता की पीड़ा, कहा- 97 फीसदी नंबर पर भी भारत में एडमिशन नहीं

जमा कराना होता है ये सर्टिफिकेट- वहीं कॉलेज में एडमिशन इंचार्ज खुर्शीद नकवी ने बताया कि आरबीएसई के छात्रों के अलावा बाकी दूसरे बोर्ड के छात्रों को कैरेक्टर सर्टिफिकेट, ट्रांसफर सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट, कैटेगरी सर्टिफिकेट, बोनाफाइड सर्टिफिकेट जमा कराना होता है. उसके बाद मार्कशीट में मिले अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार होती है. जिसमें सफल अभ्यर्थियों को संघटक कॉलेजों में पढ़ने का मौका मिलता है.

बहरहाल, एडमिशन की तीन लिस्ट निकाल चुके हैं. जिसमें 100% सीट कवर की जा चुकी है. तीसरी लिस्ट तक जितने छात्रों ने फीस जमा करा दी है, उसका डाटा आना बाकी है. उस हिसाब से पता चलेगा कि इस विषय में कितनी सीट बाकी है, जिस पर आवश्यकता पड़ने पर चौथी लिस्ट निकाली जाएगी.

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय (RU) के संघटक कॉलेजों में दाखिला लेने में आरबीएसई के छात्रों को ज्यादा जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती. उनकी मार्कशीट में आई परसेंटेज के आधार पर उनका सीधा एडमिशन हो जाता है. लेकिन सीबीएसई, आईबी बोर्ड, मदरसा बोर्ड सहित दूसरे राज्यों के बोर्ड को लेकर अलग नियम बने हुए (Admission in RU and govt colleges) हैं. कारण साफ है कि सीबीएसई और आईबी बोर्ड में छात्र के 6 सब्जेक्ट के आधार पर मार्कशीट तैयार होती है. ऐसे में कहीं उन्हें फर्स्ट फाइव, तो कहीं बेस्ट फाइव के आधार पर कैलकुलेट कर एडमिशन दिया जाता है. इसके साथ ही आरबीएसई की तुलना में कई अतिरिक्त सर्टिफिकेट भी जमा कराने होते हैं. यही वजह है कि राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेजों और सरकारी कॉलेजों में दाखिले से पहले छात्र कई मर्तबा सोचते हैं.

अपने भविष्य को संवारने के लिए 12वीं में छात्र पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ता. कारण साफ है 12वीं के बाद उसे कॉलेज का रुख करना होता है और इसी 12वीं की मार्कशीट के दम पर वो अच्छे से अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन करता है. मध्यम और गरीब वर्ग के छात्रों की कोशिश रहती है कि उन्हें राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेज या फिर सरकारी कॉलेजों में दाखिला मिल जाए. इस क्रम में बीते दिनों एडमिशन का दौर चला.

छात्रों को प्रवेश के लिए करनी पड़ती है जद्दोजहद

पढ़ें: सरकारी कॉलेजों में स्नातक प्रथम वर्ष में एडमिशन का एक और मौका

चौथी लिस्ट आने की संभावना- संघटक कॉलेजों में एडमिशन की चौथी लिस्ट आने के चांस हैं. वहीं सरकारी कॉलेजों में एडमिशन पूरे हो चुके हैं. हालांकि इन एडमिशन में कुछ छात्र ऐसे भी थे जो आरबीएसई और सीबीएसई से ना होकर दूसरे बोर्ड के थे. जिन्हें हाई परसेंटेज होने के बावजूद एडमिशन को लेकर जद्दोजहद करनी पड़ी. राजस्थान विश्वविद्यालय के कॉमर्स कॉलेज में 93 परसेंटेज के साथ एडमिशन के लिए आवेदन करने वाले आदित्य की भी यही कहानी है. जिसका कारण था उनका इंटरनेशनल बोर्ड से होना. हालांकि आदित्य अकेले ऐसे छात्र नहीं है, उनके अलावा भी कई छात्र विश्वविद्यालय की एडमिशन प्रक्रिया की वजह से यहां एडमिशन लेने से ही कतराते हैं.

पढ़ें: Special : सरकारी कॉलेजों के पास नहीं अपना भवन, एडमिशन के लिए भी करनी पड़ रही जद्दोजहद

इन बोर्डों के विद्यार्थी भी दिखाते हैं रुचि- राजस्थान बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड के अलावा यूनिवर्सिटी के संघटक कॉलेजों और सरकारी कॉलेजों में आईबी बोर्ड, मदरसा बोर्ड, स्टेट ओपन बोर्ड और दूसरे राज्यों से आने वाले छात्र विशेषकर यूपी और हरियाणा बोर्ड के छात्र रुचि दिखाते हैं. हालांकि राजस्थान यूनिवर्सिटी के संघटक कॉलेजों की बात करें, तो राजस्थान बोर्ड के अलावा सभी बोर्ड के लिए अलग और स्पष्ट गाइडलाइन भी जारी कर रखी है.

पढ़ें: जोधपुर के इस विश्वविद्यालय में ट्रांसजेंडर भी ले सकेंगे प्रवेश, बैठक में लगी मुहर

3 सालों से % बेस पर हो रहा एडमिशन- इसे लेकर महारानी महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर मुक्ता अग्रवाल ने बताया कि बीते 3 साल से छात्रों का एडमिशन परसेंटेज बेस पर ही हो रहा है. वहीं राजस्थान से बाहर के छात्रों की अगर बात करें तो उन्हें कुल सीट के अधिकतम 10% सीटों पर ही एडमिशन दिया जाता है. उनके लिए मिनिमम एलिजिबिलिटी भी 60% निर्धारित की हुई है और छात्र किसी भी वर्ग से आता हो उसे जनरल कैटेगरी में ही लिया जाता है.

ऐसे तय हुआ था नियम- राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेजों में आवेदन करने वाले सीबीएसई और आईबी बोर्ड के छात्रों के लिए नियम बनाते हुए स्पष्ट किया गया है कि जिनकी डायरेक्ट परसेंटेज मार्क्स शीट में शो नहीं होती और रिजल्ट 5 से ज्यादा सब्जेक्ट का बनता है, उनके पहले पांच विषयों को परसेंटेज के लिए आधार माना जाएगा. प्राचार्य ने बताया कि सेंट्रल एडमिशन बोर्ड की मीटिंग में फर्स्ट फाइव सब्जेक्ट के नंबर को कैलकुलेट कर परसेंटेज निकालते हुए एडमिशन के नियमों को तय किया गया था.

उन्होंने बताया कि संघटक कॉलेजों में जो छात्र एडमिशन लेने के इच्छुक होते हैं, उनमें कई बार इस प्रक्रिया को लेकर भ्रम रहता है और वो खुद बेस्ट फाइव का कैलकुलेशन कर अपनी परसेंटेज बताते हैं. जबकि सेंट्रल एडमिशन बोर्ड की मीटिंग में ये तय हुआ था कि फर्स्ट फाइव सब्जेक्ट को कैलकुलेट करना है. हालांकि कॉलेज निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी कॉलेजों में बेस्ट फाइव सब्जेक्ट के आधार पर परसेंटेज कैलकुलेट होती है.

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जमा कराना होता है ये सर्टिफिकेट- वहीं कॉलेज में एडमिशन इंचार्ज खुर्शीद नकवी ने बताया कि आरबीएसई के छात्रों के अलावा बाकी दूसरे बोर्ड के छात्रों को कैरेक्टर सर्टिफिकेट, ट्रांसफर सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट, कैटेगरी सर्टिफिकेट, बोनाफाइड सर्टिफिकेट जमा कराना होता है. उसके बाद मार्कशीट में मिले अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार होती है. जिसमें सफल अभ्यर्थियों को संघटक कॉलेजों में पढ़ने का मौका मिलता है.

बहरहाल, एडमिशन की तीन लिस्ट निकाल चुके हैं. जिसमें 100% सीट कवर की जा चुकी है. तीसरी लिस्ट तक जितने छात्रों ने फीस जमा करा दी है, उसका डाटा आना बाकी है. उस हिसाब से पता चलेगा कि इस विषय में कितनी सीट बाकी है, जिस पर आवश्यकता पड़ने पर चौथी लिस्ट निकाली जाएगी.

Last Updated : Oct 5, 2022, 2:28 PM IST
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