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जयपुर: श्वानों का बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को जारी रखने के लिए अनुभवी लोगों को दिया जाएगा टेंडर

जयपुर में जुलाई-अगस्त के महीने में बढ़ने वाले श्वानों के आतंक को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से तैयारियां की जा रही है. इस काम के लिए नगर निगम प्रशासन ने शहर के एनजीओ और डॉग लवर्स के साथ बैठक की. जिसमें निर्णय लिया गया कि, एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को जारी रखने के लिए अनुभवी फर्म को टेंडर दिया जाएगा.

एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम, jaipur news, नगर निगम की बैठक
श्वानों का बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को लेकर बैठक
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Published : Jul 20, 2020, 9:46 PM IST

जयपुर. जुलाई-अगस्त के महीने में बढ़ते आवारा श्वानों के आतंक को रोकने के लिए नगर निगम प्रशासन एक बार फिर सक्रिय हुआ है. प्रशासन एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत अब उस फर्म को टेंडर देगा, जिसमें अनुभवी कर्मचारी होंगे. नगर निगम प्रशासन ने ये फैसला शहर के एनजीओ और डॉग लवर्स से बातचीत के बाद लिया.

श्वानों का बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को लेकर बैठक

बता दें कि, आवारा श्वानों द्वारा चलते वाहन के पीछे दौड़ना, सड़क, कॉलोनी और बाजारों में घूमने वाली आम जनता और दूसरे जानवरों को काटने जैसी शिकायतें जुलाई-अगस्त के महीने में बढ़ जाती है. उमस-गर्मी इसकी प्रमुख वजह बताई जाती है.बीते साल श्वानों के काटने की ऐसी ही कई घटनाएं सामने आने के बाद इस बार प्रशासन पहले ही चेतता दिख रहा है. जयपुर के दोनों नगर निगम के अधिकारियों ने सोमवार को एनजीओ और एनिमल बर्थ कंट्रोल करने वाली फर्मों के साथ वार्ता की. साथ ही इस कार्य में आने वाली समस्याओं पर भी विचार विमर्श किया.

ये पढ़ें: राजस्थान : 65 RAS अफसरों को प्रमोशन का तोहफा, कार्मिक विभाग ने जारी किए आदेश

इस संबंध में ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव ने बताया कि, एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत बीते साल जयपुर में बेहतर प्रयास हुए हैं. लेकिन बीते कुछ समय से उसमें कुछ गिरावट आई है. सबसे बड़ी समस्या बर्थ कंट्रोल के लिए श्वानों को पकड़ने के लिए टेंडर किए जाते हैं, उन पर जयपुर के एनजीओ और डॉग लवर्स ने सवाल खड़े किए हैं. पशुओं को पकड़ने की कार्रवाई में संवेदनशीलता नहीं बरती जाती. इस संबंध में विस्तार से चर्चा की गई और अब अगला टेंडर करते समय अनुभवी लोगों को जोड़ने पर ध्यान दिया जाएगा. ताकि पशुओं के प्रति संवेदनशीलता रखते हुए एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को लागू किया जा सके, और श्वान के काटने जैसी समस्याओं से भी निजात मिले.

बता दें कि, साल 2019 में आवारा श्वानों के आतंक ने शहर वासियों को काफी परेशान किया था. ऐसे में निगम की ओर से चलाया गया एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम काफी सफल रहा. लेकिन इस बार एबीसी प्रोग्राम के दौरान डॉग लवर्स को भी साथ में जोड़ने की तैयारी की जा रही है.

जयपुर. जुलाई-अगस्त के महीने में बढ़ते आवारा श्वानों के आतंक को रोकने के लिए नगर निगम प्रशासन एक बार फिर सक्रिय हुआ है. प्रशासन एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत अब उस फर्म को टेंडर देगा, जिसमें अनुभवी कर्मचारी होंगे. नगर निगम प्रशासन ने ये फैसला शहर के एनजीओ और डॉग लवर्स से बातचीत के बाद लिया.

श्वानों का बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को लेकर बैठक

बता दें कि, आवारा श्वानों द्वारा चलते वाहन के पीछे दौड़ना, सड़क, कॉलोनी और बाजारों में घूमने वाली आम जनता और दूसरे जानवरों को काटने जैसी शिकायतें जुलाई-अगस्त के महीने में बढ़ जाती है. उमस-गर्मी इसकी प्रमुख वजह बताई जाती है.बीते साल श्वानों के काटने की ऐसी ही कई घटनाएं सामने आने के बाद इस बार प्रशासन पहले ही चेतता दिख रहा है. जयपुर के दोनों नगर निगम के अधिकारियों ने सोमवार को एनजीओ और एनिमल बर्थ कंट्रोल करने वाली फर्मों के साथ वार्ता की. साथ ही इस कार्य में आने वाली समस्याओं पर भी विचार विमर्श किया.

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इस संबंध में ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव ने बताया कि, एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत बीते साल जयपुर में बेहतर प्रयास हुए हैं. लेकिन बीते कुछ समय से उसमें कुछ गिरावट आई है. सबसे बड़ी समस्या बर्थ कंट्रोल के लिए श्वानों को पकड़ने के लिए टेंडर किए जाते हैं, उन पर जयपुर के एनजीओ और डॉग लवर्स ने सवाल खड़े किए हैं. पशुओं को पकड़ने की कार्रवाई में संवेदनशीलता नहीं बरती जाती. इस संबंध में विस्तार से चर्चा की गई और अब अगला टेंडर करते समय अनुभवी लोगों को जोड़ने पर ध्यान दिया जाएगा. ताकि पशुओं के प्रति संवेदनशीलता रखते हुए एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को लागू किया जा सके, और श्वान के काटने जैसी समस्याओं से भी निजात मिले.

बता दें कि, साल 2019 में आवारा श्वानों के आतंक ने शहर वासियों को काफी परेशान किया था. ऐसे में निगम की ओर से चलाया गया एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम काफी सफल रहा. लेकिन इस बार एबीसी प्रोग्राम के दौरान डॉग लवर्स को भी साथ में जोड़ने की तैयारी की जा रही है.

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