जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-3 महानगर प्रथम ने विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त से जुडे़ ऑडियो को वायरल करने और इस संबंध में बयानबाजी को लेकर पक्षकारों को नोटिस जारी कर 16 मार्च को तलब (Court Notice to Gehlot and Joshi) किया है. अदालत ने यह आदेश ओपी सोलंकी की निगरानी अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिए. निगरानी अर्जी में बतौर गृह मंत्री अशोक गहलोत, मुख्य सचेतक महेश जोशी, सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा, तत्कालीन सीएस, गृह सचिव, डीजीपी और एडीजी सहित एसओजी के थानाधिकारी रविंद्र कुमार को पक्षकार बनाया गया है.
निगरानी अर्जी में कहा गया कि परिवादी ने ऑडियो को वायरल करने और सीएम अशोक गहलोत की ओर से बयानबाजी को लेकर निचली अदालत में परिवाद पेश किया था जिसे अदालत ने गत एक नवंबर को खारिज कर दिया था. निचली अदालत ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर परिवाद खारिज किया था. ऐसे में निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए और मामले को जांच के लिए संबंधित थाने में भिजवाया जाए. मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पक्षकार बनाए गए लोगों को नोटिस जारी कर तलब किया है.
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निचली अदालत में पेश परिवाद में कहा गया था कि 17 जुलाई 2020 को सीएम को ओएसडी लोकेश शर्मा की ओर से एक ऑडियो क्लिप को वायरल करने का समाचार प्रकाशित हुआ था. लोकेश शर्मा लोक सेवक की श्रेणी में आते हैं. ऐसे में यह आईपीसी, ओएस एक्ट और टेलीग्राम एक्ट की अवहेलना है. इसके अलावा इस ऑडियो को बतौर सबूत मानकर महेश जोशी ने एसओजी में आईपीसी की धारा 120 बी और 124ए के तहत मामला दर्ज करा दिया.
परिवाद में कहा गया कि इस ऑडियो क्लिप के बाद राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई. वहीं सीएम अशोक गहलोत ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के भी आरोप लगाए. परिवाद में कहा गया कि प्रदेश में राजद्रोह और संवेदनशील मामलों से जुड़ी एफआईआर को सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध है. इसके बावजूद अशोक गहलोत ने एसओजी के मुखिया अशोक राठौड़ से मिलीभगत कर अनुसंधान के विषय को अपने उद्देश्य के लिए चार्जशीट से पहले ही सार्वजनिक कर दिया.