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जल जीवन मिशन के मेजर प्रोजेक्ट्स के कार्यों को समय सीमा में पूरा करने पर फोकस करें अधिकारी : अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत

अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांशु पंत जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में 2024 तक हर घर नल कनेक्शन देने के लिए प्रयास को लेकर बैठक की. जहां उन्होंने जल जीवन मिशन में वृहद पेयजल परियोजनाओं में स्वीकृत कार्यों की प्रगति की वीडियो कांफ्रेंसिंग से समीक्षा की.

वृहद पेयजल परियोजना, mega drinking water project
अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत
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Published : Jun 14, 2021, 10:27 PM IST

जयपुर. जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में 2024 तक हर घर नल कनेक्शन देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. प्रदेश में भी जलदाय विभाग इसके लिए कटिबद्ध है और विभाग की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांशु पंत की ओर से लगातार बैठक की जा रही है. जिससे निर्धारित समय पर लक्ष्य को पूरा किया जा सके. जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सोमवार को जल जीवन मिशन में वृहद पेयजल परियोजनाओं में स्वीकृत कार्यों की प्रगति की वीडियो कांफ्रेंसिंग से समीक्षा की.

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पंत ने कहा कि मेजर प्रोजेक्ट्स के तहत निविदाओं और कार्यादेश सहित पूरी प्रक्रिया ​में समय सीमा का ध्यान रखते हुए ही पूर्णता अवधि का निर्धारण किया जाए. किसी प्रोजेक्ट के साइज या बजट को देखते हुए विभाग के विद्यमान प्रावधानों में कार्य पूरा होने की अवधि इस सीमा से मेल नहीं खाती है तो जल जीवन मिशन के इन प्रावधानों के बारे में पुनर्विचार किया जाएगा.

पंत ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत सभी परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से 2024 तक पूरा किया जा सके. पंत ने कहा कि वृहद परियोजना के कार्यों में जहां भी जल के अतिरिक्त स्रोत विकसित किए जाने है, उनके बारे में समानांतर कार्रवाई की जाए ताकि किसी प्रोजेक्ट में गांवों में 'हर घर नल कनेक्शन' का कार्य पूरा होने के बाद सभी घरों को एक साथ पेयजल मुहैया कराया जा सके.

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पर्याप्त मात्रा में जल स्रोत उपलब्ध नही होने की सूरत में एस्कैप चैनल से लिंक करके प्रोजेक्ट बनाए जा सकते है.पंत ने गत दो माह में कोविड के कारण उत्पन्न स्थितियों के बावजूद कमोबेश अपने पूर्व निर्धारित एक्शन प्लान के अनुरूप डेडलाइन फॉलो करने की सराहना की और अन्य अधिकारियों को भी इसी पैटर्न पर प्रोजेक्ट स्तर पर कार्ययोजना में महत्वपूर्ण तिथियों का निर्धारण करते हुए समयबद्ध कार्यवाही के निर्देश दिए. बैठक मे जानकारी दी गयी कि जेजेएम में मेजर प्रोजेक्ट्स के तहत स्वीकृत 96 योजनाओं में से अब तक 24 में तकनीकी स्वीकृतियां और 19 में निविदाएं जारी करने का कार्य पूरा कर लिया गया है.

इस माह 26, जुलाई में 31 और अगस्त माह में 15 बची हुई तकनीकी स्वीकृतियों का कार्य पूरा करने की योजना है. अजमेर रीजन में 14 योजनाओं में से 3-3 तकनीकी स्वीकृतियां और निविदाएं, चुरू में 12 योजनाओं में से 4 तकनीकी स्वीकृतियां और 2 निविदाएं, जयपुर में 10 में से 7 तकनीकी स्वीकृतियां और 7 निविदाएं, जोधपुर में 30 योजनाओं के लिए 2 तकनीकी स्वीकृतियां और एक निविदा, कोटा में 17 स्कीम्स में 3-3 तकनीकी स्वीकृतियां और निविदाएं तथा उदयपुर में 7 योजनाओं में से 2-2 तकनीकी स्वीकृतियां और निविदाएं अब तक जारी की गई है.

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नागौर प्रोजेक्ट में 7 योजनाओं में 3 की तकनीकी स्वीकृतियां जारी हो गई है. इसके अलावा इसी माह तीन तथा जुलाई में एक तकनीकी स्वीकृति जारी कर दी जाएगी. पंत ने जलदाय विभाग एवं जल संसाधन विभाग की संयुक्त बैठक के संदर्भ में प्रोजेक्ट विंग के अधिकारियों से 'वाटर रिजर्वेशन' के सम्बंध में फील्ड में की गई कार्रवाई के बारे में भी फीडबैक लिया. प्रोजेक्ट विंग के अधिकारियों ने बताया कि उनकी स्थानीय स्तर पर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से जल आरक्षण के बारे में चर्चा हुई है. इसमें से उदयपुर प्रोजेक्ट रीजन में 334 गांवों की योजना के लिए 'वाटर रिजर्वेशन' सहित कुछ अन्य योजनाओं के लिए अतिरिक्त जल उपलब्ध कराने पर आपसी सहमति बनी है. इस सम्बंध में प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजे जा रहे हैं.

जयपुर. जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में 2024 तक हर घर नल कनेक्शन देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. प्रदेश में भी जलदाय विभाग इसके लिए कटिबद्ध है और विभाग की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांशु पंत की ओर से लगातार बैठक की जा रही है. जिससे निर्धारित समय पर लक्ष्य को पूरा किया जा सके. जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सोमवार को जल जीवन मिशन में वृहद पेयजल परियोजनाओं में स्वीकृत कार्यों की प्रगति की वीडियो कांफ्रेंसिंग से समीक्षा की.

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पंत ने कहा कि मेजर प्रोजेक्ट्स के तहत निविदाओं और कार्यादेश सहित पूरी प्रक्रिया ​में समय सीमा का ध्यान रखते हुए ही पूर्णता अवधि का निर्धारण किया जाए. किसी प्रोजेक्ट के साइज या बजट को देखते हुए विभाग के विद्यमान प्रावधानों में कार्य पूरा होने की अवधि इस सीमा से मेल नहीं खाती है तो जल जीवन मिशन के इन प्रावधानों के बारे में पुनर्विचार किया जाएगा.

पंत ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत सभी परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से 2024 तक पूरा किया जा सके. पंत ने कहा कि वृहद परियोजना के कार्यों में जहां भी जल के अतिरिक्त स्रोत विकसित किए जाने है, उनके बारे में समानांतर कार्रवाई की जाए ताकि किसी प्रोजेक्ट में गांवों में 'हर घर नल कनेक्शन' का कार्य पूरा होने के बाद सभी घरों को एक साथ पेयजल मुहैया कराया जा सके.

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पर्याप्त मात्रा में जल स्रोत उपलब्ध नही होने की सूरत में एस्कैप चैनल से लिंक करके प्रोजेक्ट बनाए जा सकते है.पंत ने गत दो माह में कोविड के कारण उत्पन्न स्थितियों के बावजूद कमोबेश अपने पूर्व निर्धारित एक्शन प्लान के अनुरूप डेडलाइन फॉलो करने की सराहना की और अन्य अधिकारियों को भी इसी पैटर्न पर प्रोजेक्ट स्तर पर कार्ययोजना में महत्वपूर्ण तिथियों का निर्धारण करते हुए समयबद्ध कार्यवाही के निर्देश दिए. बैठक मे जानकारी दी गयी कि जेजेएम में मेजर प्रोजेक्ट्स के तहत स्वीकृत 96 योजनाओं में से अब तक 24 में तकनीकी स्वीकृतियां और 19 में निविदाएं जारी करने का कार्य पूरा कर लिया गया है.

इस माह 26, जुलाई में 31 और अगस्त माह में 15 बची हुई तकनीकी स्वीकृतियों का कार्य पूरा करने की योजना है. अजमेर रीजन में 14 योजनाओं में से 3-3 तकनीकी स्वीकृतियां और निविदाएं, चुरू में 12 योजनाओं में से 4 तकनीकी स्वीकृतियां और 2 निविदाएं, जयपुर में 10 में से 7 तकनीकी स्वीकृतियां और 7 निविदाएं, जोधपुर में 30 योजनाओं के लिए 2 तकनीकी स्वीकृतियां और एक निविदा, कोटा में 17 स्कीम्स में 3-3 तकनीकी स्वीकृतियां और निविदाएं तथा उदयपुर में 7 योजनाओं में से 2-2 तकनीकी स्वीकृतियां और निविदाएं अब तक जारी की गई है.

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नागौर प्रोजेक्ट में 7 योजनाओं में 3 की तकनीकी स्वीकृतियां जारी हो गई है. इसके अलावा इसी माह तीन तथा जुलाई में एक तकनीकी स्वीकृति जारी कर दी जाएगी. पंत ने जलदाय विभाग एवं जल संसाधन विभाग की संयुक्त बैठक के संदर्भ में प्रोजेक्ट विंग के अधिकारियों से 'वाटर रिजर्वेशन' के सम्बंध में फील्ड में की गई कार्रवाई के बारे में भी फीडबैक लिया. प्रोजेक्ट विंग के अधिकारियों ने बताया कि उनकी स्थानीय स्तर पर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से जल आरक्षण के बारे में चर्चा हुई है. इसमें से उदयपुर प्रोजेक्ट रीजन में 334 गांवों की योजना के लिए 'वाटर रिजर्वेशन' सहित कुछ अन्य योजनाओं के लिए अतिरिक्त जल उपलब्ध कराने पर आपसी सहमति बनी है. इस सम्बंध में प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजे जा रहे हैं.

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