जयपुर. सरस ब्रांड की घटिया किस्म के घी को बाजार में खपाने के मामले में राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और जयपुर डेयरी के अधिकारियों के साथ ही दूसरी कंपनी पर कार्रवाई होगी. सहकारिता रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल ने जांच रिपोर्ट के आधार पर लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं.
बता दें कि यह मामला साल 2018 का है. जयपुर डेयरी और कोटा की शिव मेसर्स के बीच दूध को घी और एसएमपी में कन्वर्जन का अनुबंध हुआ था. लेकिन शिव हेल्थ फूड द्वारा निर्मित घी की जांच में घटिया गुणवत्ता पाई गई थी. डेयरी के अधिकारियों ने इस खराबी को नष्ट करवाने की बजाय केवल रिजेक्ट लिखकर छोड़ दिया था. इसका फायदा उठाते हुए फर्म ने घी को बाजार में बेच दिया. जब तक इस पर रोक लगाई जाती, तब तक एक करोड़ रुपए से अधिक का माल उपभोक्ताओं को बेच दिया गया. साथ ही इस कंपनी द्वारा न केवल उपभोक्ताओं की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया. बल्कि आरसीडीएफ जयपुर और जयपुर डेयरी के साथ इस तरह ब्रांड की छवि को भी नुकसान पहुंचा.
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वहीं जांच में पाया गया है कि आरसीडीएफ और जयपुर डेयरी के अधिकारियों ने घी के घटिया गुणवत्ता का पाया जाने के बाद भी फर्म को ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया. इतना ही नहीं कंपनी से दो करोड़ की बैंक गारंटी और 50 लाख की परफॉर्मेंस सिक्योरिटी राशि भी प्राप्त नहीं की गई. जांच रिपोर्ट में कहा गया है, कि अनुबंध की शर्तों में यह उल्लेख था, कि यदि फर्म शर्तों का उल्लंघन करती है तो बैंक गारंटी और सिक्योरिटी राशि जब्त कर लेगा.
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बता दें कि कोटा डेयरी द्वारा बार-बार खराब घी के बिक्री की सूचना मुख्यालय के अधिकारियों को दी गई. लेकिन वह इसे अनदेखा करते रहे. वहीं अनियमितता के कुछ अन्य मामले भी हैं, जिनकी अलग एंगल से जांच के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही जांच रिपोर्ट में बैंक गारंटी और परफॉर्मेंस सिक्योरिटी राशि प्राप्त कर जब्त नहीं किए जाने के मामले में उप महाप्रबंधक एचपी शर्मा और महाप्रबंधक एलसी बलाई को जिम्मेदार माना गया है. इन दोनों पर वाद दर्जकर राशि वसूली की अनुशंसा भी की गई है. साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी कहा गया है.
वहीं घटिया घी बाजार में बिकने और कार्रवाई न किए जाने के मामले में जयपुर डेयरी के तत्कालीन एमडी एमएल जनागल, महाप्रबंधक एलसी बलाई, उप महाप्रबंधक एचपी शर्मा और महाप्रबंधक डी सिंह को जिम्मेदार मानते हुए वाद दर्ज करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है. इसी तरह फर्म को ब्लैक लिस्ट नहीं किए जाने के मामले में महाप्रबंधक को जिम्मेदार मानते हुए कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई को कहा गया है. साथ ही कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के निर्देश भी दिए गए हैं.