जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर को ACB ने गिरफ्तार कर लिया है. राजाराम गुर्जर को ACB ने वायरल वीडियो मामले में मंगलवार को पूछताछ के लिए बुलाया था. आरोपी को वीडियो की FSL जांच रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तार किया गया है.
बता दें कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें बीवीजी कंपनी (BVG) के कर्मचारियों के साथ राजाराम गुर्जर 20 करोड़ रुपए की डील करते हुए दिखाई दे रहे थे. वीडियो वायरल होने के बाद एसीबी मुख्यालय ने पूरे प्रकरण पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए प्राथमिकी जांच दर्ज की. इस मामले की जांच एडिशनल एसपी बजरंग सिंह राठौड़ को सौंपी गई.
यह भी पढ़ें. राजाराम गुर्जर वायरल वीडियो: राजस्थान एसीबी ने जब्त दस्तावेज और वीडियो जांच के लिए FSL मुख्यालय भेजे
इसके बाद वायरल वीडियो की जांच के लिए उसे FSL मुख्यालय भिजवाया गया. इसके साथ ही एसीबी की अनेक टीम ने ग्रेटर नगर निगम कार्यालय में छापेमारी कर प्रकरण से जुड़े हुए अनेक दस्तावेज सीज किए.
वीडियो में कोई काट-छांट नहीं पाई गई
एफएसएल मुख्यालय की जांच में वायरल वीडियो में किसी भी तरह की काट-छांट नहीं पाई गई. वह वीडियो एकदम सही पाया गया. एफएसएल मुख्यालय की रिपोर्ट के आधार पर इस पूरे प्रकरण को लेकर राजस्थान एसीबी (Rajasthan ACB) ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत FIR दर्ज की और पूछताछ के लिए राजाराम गुर्जर को एसीबी मुख्यालय बुलाया था.
राजस्थान के अलावा एक अन्य राज्य की एफएसएल लैब में भी कराई गई वीडियो की जांच
एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया कि वायरल वीडियो में निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर और बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधियों के बीच में 20 करोड़ रुपए की डील होने की बातचीत हो रही थी. जिस पर उस ऑडियो और वीडियो क्लिप की राजस्थान एफएसएल और वहीं एक दूसरे राज्य के प्रतिष्ठित एफएसएल से जांच करवाई गई. दोनों ही जगहों से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद और तमाम तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद प्रथम दृष्टया लोक सेवा के लिए लोक सेवक के घनिष्ट रिश्तेदार की ओर से रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि हुई. जिस पर राजस्थान एसीबी ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत एक एफआईआर दर्ज कर धारा 120 बी जोड़ चार लोगों को नामजद किया है.
संदीप चौधरी, ओमकार सप्रे और निंबाराम के खिलाफ केस दर्ज
एसीबी ने इस प्रकरण में राजाराम गुर्जर, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि संदीप चौधरी, ओमकार सप्रे और आरएसएस प्रचारक निंबाराम को नामजद किया गया है. जिसमें कार्रवाई करते हुए राजाराम गुर्जर और ओमकार सप्रे को गिरफ्तार किया गया है.
बीवीजी कंपनी के पेंडिंग बिल और राजाराम गुर्जर की संलिप्तता को लेकर होगी जांच
एडीजी एसीबी दिनेश एमएन ने बताया कि इस पूरे प्रकरण में अब एसीबी इन तथ्यों की जांच की जाएगी. जांच में वायरल ऑडियो और वीडियो किस स्थान पर बनाई गई और उसका मूल स्त्रोत क्या है, ये पता लगाया जाएगा. इसके साथ ही बीवीजी कंपनी के बिल किस कारण से पेंडिंग थे और कितने की राशि के बिल पेंडिंग थे, इसके बारे में जांच की जाएगी. इसके साथ ही इस पूरे प्रकरण में बीवीजी कंपनी के साथ राजाराम गुर्जर का क्या संबंध है. इन तमाम तथ्यों को लेकर तथ्यों को जांचा जाएगा. बीवीजी कंपनी के तमाम कागजात की जांच की जाएगी.
आरोपियों के ठिकाने पर छापेमारी की कार्रवाई
इसके साथ ही इस कंपनी की ओर से कितनी बार बिल पेश किया गया है, इसकी भी जांच की जाएगी. इसके साथ ही बीवीजी कंपनी और राजाराम के बीच में पूर्व में रुपयों के ट्रांजैक्शन या उसे संबंधित दस्तावेज को लेकर भी जांच की जाएगी. वहीं राजाराम गुर्जर और ओमकार स्प्रे को गिरफ्तार करने के बाद एसीबी की विभिन्न टीम आरोपियों के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई को कर रही है.
यह भी पढ़ें. राजाराम गुर्जर वायरल वीडियो मामला : आखिर सतीश पूनिया ने तोड़ी चुप्पी...लेकिन क्यों रहे थे चुप, यही चर्चा
क्या है पूरा मामला
साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.
BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.
यह भी पढ़ें. राजाराम गुर्जर Viral Video मामले को भाजपा ने बताया षड्यंत्र, बीवीजी कंपनी ने भी किया खंडन
बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई. जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए.