जयपुर. ग्रेटर नगर निगम में शुक्रवार को जमकर हंगामा बरपा. नौबत हाथापाई तक जा पहुंची. यही नहीं बीवीजी कंपनी के बाद ग्रेटर और हेरीटेज नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने भी सामूहिक हड़ताल कर दी. नतीजन शहर की सड़कें कूड़ादान बन गई और व्यवस्था कचरा हो गई.
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डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली बीवीजी कंपनी बीते 3 दिन से हड़ताल पर है. वहीं, शनिवार को निगम के सफाई कर्मचारियों ने भी काम नहीं किया. ऐसे में राजधानी की सड़कें कचरे के ढेर से अटी नजर आई. यही नहीं मानसून के मद्देनजर नालों की सफाई कर जिस मलबे को बाहर निकाला गया था, वो भी सड़कों पर निगम के विवाद की कहानी कह रहा था.
ईटीवी भारत ने शहर के प्रमुख मार्गों का जायजा लिया. जिसमें सामने आया कि बीते 3 दिन से हूपर घरों तक नहीं पहुंचे. सड़कें कूड़ादान बनी हुई है. शहर का करीब 4500 टन कचरा नहीं उठाया गया. कुछ जागरूक लोगों ने 3 दिन से घरों में ही कचरा इकट्ठा कर रखा है, लेकिन अधिकतर अपने घर को साफ रखने के चलते सड़कों पर कचरा फेंक गए.
स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले ही रोडसाइड कचरा डिपो परेशानी का सबब बने हुए थे और अब महामारी के दौर में जब बीवीजी कंपनी और सफाई कर्मचारियों ने हड़ताल की है, तो हालात बदतर हो गए हैं. यही नहीं इसी कचरे के ढेर में होम आइसोलेटेड लोगों के घरों से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट भी पड़ा मिला. जो कहीं ना कहीं महामारी को फैलाने का माध्यम बन सकता है.
उधर, सफाई श्रमिक संघ ने हड़ताल का कारण महापौर के साथ की गई बदसलूकी को बताया और स्पष्ट किया कि जब तक कसूरवारों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक हड़ताल भी जारी रहेगी. बहरहाल, जो विवाद बीवीजी कंपनी के भुगतान से शुरू हुआ था, वो अब निगम बोर्ड बनाम कमिश्नर बन गया है. इन सबके बीच कहीं ना कहीं राजधानी की सूरत बिगड़ रही है, और शहर की सफाई व्यवस्था इस विवाद में गेहूं के बीच घुन की तरह पिस रही है.