ETV Bharat / city

जयपुर: रात्रि कर्फ्यू हटने के बाद अब भक्त कर सकेंगे मंगला और शयन झांकी के दर्शन - Sleeping tableau can now be seen in Jaipur

राजस्थान में नए साल के शुरुआत के साथ ही करोना संक्रमितों के कम होते आंकड़े और वैक्सीन आने के साथ ही कई गतिविधियों में बदलाव आना शुरू हो चुका है. इस बीच बीते दिन राज्य सरकार की ओर से रात्रिकालीन कर्फ्यू हटाने के बाद अब भक्त आराध्यदेव के मंगला और शयन झांकी के भी दर्शन कर सकेंगे.

jaipur news, rajasthan news, राजस्थान न्यूज, जयपुर न्यूज
अब भक्त कर सकेंगे मंगला और शयन झांकी के दर्शन
author img

By

Published : Jan 20, 2021, 4:19 PM IST

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े आस्था स्थल शहर आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर में शहरवासीयों के लंबे इंतजार के बाद 290 दिनों के बाद मंदिर में मंगला और शयन झांकी में दर्शन कर सकेंगे. इसके साथ ही छोटे धार्मिक आयोजन के लिए अनुमति लेने की अनिवार्यता भी खत्म हो गई है.

अब भक्त कर सकेंगे मंगला और शयन झांकी के दर्शन

हालांकि केवल जिला प्रशासन को इसकी बात की सूचना देनी होगी. वहीं, ज्यादा लोगों को बुलाने की इजाजत नहीं होगी और पूरे दिशा निर्देशों का ध्यान रखना होगा. इसके अलावा बुधवार सुबह मंगला झांकी में प्रभु के समक्ष हाथ जोड़कर भक्तों ने सुख समृद्धि और महामारी के पूरी तरह से खत्म होने की कामना की. हालांकि गिने-चुने भक्त ही सुबह मंदिर में पहुंचे.

मंदिर प्रबंधन पूरे दिशा निर्देशों के बाबत मंथन करेंगे, ताकि सवामणी सहित अन्य कार्यक्रम किस तरह से हो सके. वहीं, आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, शिला माता मंदिर, इस्कॉन मंदिर, गोनेर स्थित लक्ष्मी जगदीश मंदिर, घाट के बालाजी मंदिर सहित अन्य बड़े और छोटे मंदिरों में मंगला और शयन झांकी में भक्त बारी-बारी से कोरोना के दिशा निर्देशों के पालन के साथ दर्शन कर सकेंगे.

पढ़ें: गजेंद्र सिंह शक्तावत का नाम लेते ही भर आई सचिन पायलट की आंखें, कहा- ये मेरी व्यक्तिगत क्षति है

पहले रात्रिकालीन कर्फ्यू के चलते भक्तों को मंगल और शयन झांकी में दर्शन करने की इजाजत नहीं थी, लेकिन अब अनुमति के बाद गोविंददेव जी मंदिर में मंगला झांकी का समय अलसुबह 5 से 5.15 बजे और शयन झांकी का रात 8 से रात 8.15 बजे तक रहेगा. इसके अलावा मोती डूंगरी गणेश मंदिर में सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक और हर बुधवार को सुबह 6 से रात 9.30 बजे तक खुलेगा. साथ ही अमृतसर शिला माता मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे और शाम 4 बजे से 8 बजे तक खुलेगा. हालांकि सभी मंदिरों में अग्रिम आदेश तक फिलहाल भक्तों को फूल-प्रसाद आदि चढ़ाना निषेध रहेगा. इसके साथ ही चरणामृत भी नहीं दिया जाएगा और मंदिर परिक्रमा भी बंद रहेगी.

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े आस्था स्थल शहर आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर में शहरवासीयों के लंबे इंतजार के बाद 290 दिनों के बाद मंदिर में मंगला और शयन झांकी में दर्शन कर सकेंगे. इसके साथ ही छोटे धार्मिक आयोजन के लिए अनुमति लेने की अनिवार्यता भी खत्म हो गई है.

अब भक्त कर सकेंगे मंगला और शयन झांकी के दर्शन

हालांकि केवल जिला प्रशासन को इसकी बात की सूचना देनी होगी. वहीं, ज्यादा लोगों को बुलाने की इजाजत नहीं होगी और पूरे दिशा निर्देशों का ध्यान रखना होगा. इसके अलावा बुधवार सुबह मंगला झांकी में प्रभु के समक्ष हाथ जोड़कर भक्तों ने सुख समृद्धि और महामारी के पूरी तरह से खत्म होने की कामना की. हालांकि गिने-चुने भक्त ही सुबह मंदिर में पहुंचे.

मंदिर प्रबंधन पूरे दिशा निर्देशों के बाबत मंथन करेंगे, ताकि सवामणी सहित अन्य कार्यक्रम किस तरह से हो सके. वहीं, आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, शिला माता मंदिर, इस्कॉन मंदिर, गोनेर स्थित लक्ष्मी जगदीश मंदिर, घाट के बालाजी मंदिर सहित अन्य बड़े और छोटे मंदिरों में मंगला और शयन झांकी में भक्त बारी-बारी से कोरोना के दिशा निर्देशों के पालन के साथ दर्शन कर सकेंगे.

पढ़ें: गजेंद्र सिंह शक्तावत का नाम लेते ही भर आई सचिन पायलट की आंखें, कहा- ये मेरी व्यक्तिगत क्षति है

पहले रात्रिकालीन कर्फ्यू के चलते भक्तों को मंगल और शयन झांकी में दर्शन करने की इजाजत नहीं थी, लेकिन अब अनुमति के बाद गोविंददेव जी मंदिर में मंगला झांकी का समय अलसुबह 5 से 5.15 बजे और शयन झांकी का रात 8 से रात 8.15 बजे तक रहेगा. इसके अलावा मोती डूंगरी गणेश मंदिर में सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक और हर बुधवार को सुबह 6 से रात 9.30 बजे तक खुलेगा. साथ ही अमृतसर शिला माता मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे और शाम 4 बजे से 8 बजे तक खुलेगा. हालांकि सभी मंदिरों में अग्रिम आदेश तक फिलहाल भक्तों को फूल-प्रसाद आदि चढ़ाना निषेध रहेगा. इसके साथ ही चरणामृत भी नहीं दिया जाएगा और मंदिर परिक्रमा भी बंद रहेगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.