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बिना संगठनात्मक ढांचे के कैसे 'आप' बनेगी 'जन की पार्टी'....ये है चुनावी प्लानिंग... - Rajasthan hindi news

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रस-भाजपा पार्टी तैयारियों और रैलियों में (Rajasthan Vidhansabha elections 2023) जुट गए हैं. इस बीच तीसरे विकल्प के रूप में उभर रही आम आदमी पार्टी पर आम जनता नजर लगाए बैठा है. लेकिन 'आप' का राजस्थान में संगाठनात्मक ढांचा न होना पार्टी की सफलता में रोड़ा बन सकती है.

Rajasthan Elections 2023
'आप' बनेगी 'जन की पार्टी'
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Published : Apr 22, 2022, 5:58 PM IST

जयपुर. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही धरातल (Rajasthan Vidhansabha elections 2023) पर तैयारियों में जुट गए हैं. हालांकि तीसरे दल के रूप में उभर रही आम आदमी पार्टी और आरएलपी पर भी सबकी निगाहें हैं. दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकार बनाने के बाद 'आप' नेता राजस्थान में कार्यकर्ता संवाद यात्रा निकालने जा रहे हैं. लेकिन संगठनात्मक ढांचा खड़े किए बिना यात्रा की सफलता पर सवाल उठना लाजमी है.

वर्तमान में राजस्थान में आम आदमी पार्टी का संगठनात्मक रूप से कोई ढांचा खड़ा ही नहीं है. न पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष है, न मोर्चा है और न ही जिलाध्यक्ष. वर्तमान में संगठनात्मक पद के नाम पर केवल एक ही पद है, वो है राजस्थान चुनाव प्रभारी. जिसकी जिम्मेदारी द्वारका से विधायक विनय मिश्रा को मिली है. मिश्रा 25 अप्रैल से संभाग और कार्यकर्ता संवाद यात्रा निकालेंगे. लेकिन जब जिले स्तर तक ही पार्टी का संगठन नहीं है तो इस प्रकार की यात्रा का कितना फायदा मिलेगा ये सोचने वाली बात है.

पढ़ें-Pilot Big Statement : बदल देंगे राजस्थान का 'इतिहास'...जो 30 साल में नहीं हुआ वो अब करके दिखाएंगे

यात्रा के बाद शुरू होगा सदस्यता अभियान: बताया जा रहा है कि कार्यकर्ता संवाद यात्रा के बाद राजस्थान में आम आदमी पार्टी सदस्यता अभियान शुरू करेगी. इसके जरिए पूरे प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आम आदमी पार्टी से जोड़ा जाएगा. हालांकि सदस्यता अभियान चलाने के लिए जरूरी है कि प्रदेश में पार्टी के पास खुद की संगठनात्मक टीम मौजूद हो, लेकिन आम आदमी पार्टी के परिपेक्ष में ऐसा नहीं है.

पुरानी नियुक्तियां निरस्त, बनेगी नई टीम: राजस्थान में 27 अप्रैल को जयपुर के बिरला (BJP and Congress preparation for Rajasthan Elections 2023) सभागार में हुई आम आदमी पार्टी की बड़ी बैठक के दौरान पहले की गई सभी नियुक्तियां रद्द कर दी गई थी. जिसके बाद अब प्रदेश में पार्टी के किसी भी संगठनात्मक पद पर कोई व्यक्ति नियुक्त नहीं है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद पिछले कई सालों से खाली पड़ा है.

पढ़ें-राजस्थान के नेताओं के दिल्ली दौरे तेज, चुनावी सुगबुगाहट के बीच सिंहासन की फिक्र...कांग्रेस-बीजेपी में चेहरा सबसे बड़ी चुनौती

पिछले दिनों कुछ जिलों में महिला और युवा विंग का गठन किया गया था, लेकिन उसे भी वर्तमान में निरस्त कर दिया गया है. बताया जा रहा है कार्यकर्ता संवाद यात्रा के दौरान हर जिले और संभाग से मिले फीडबैक के आधार पर नई नियुक्तियां की जाएगी.कार्यकर्ता संवाद यात्रा के लिए पार्टी ने प्रदेश स्तर पर और संभाग स्तर पर आठ सदस्य कोऑर्डिनेट कमेटी का गठन किया है जिस पर यात्रा से जुड़ी संपूर्ण जिम्मेदारी रहेगी.

चुनावी धरातल पर नहीं दिख रही तीसरे विकल्प की तैयारी: राजस्थान में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसकी तैयारियों में सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ विपक्षी दल भाजपा भी जुटी है. भाजपा के केंद्रीय नेता लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेताओं के दिल्ली के दौरे भी लगातार चल रहे हैं. हालांकि राजस्थान में तीसरे विकल्प का दम भरने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की हलचल फिलहाल दिखाई नहीं दे रही. आम आदमी पार्टी भी धरातल पर अब तक कोई दमखम दिखा पाई है. कार्यकर्ता संवाद यात्रा के जरिए आम आदमी पार्टी ने सियासी गलियारों में थोड़ी हलचल जरूर बढ़ाई है. लेकिन बिना संगठनात्मक ढांचे के राजस्थान में आम आदमी पार्टी को कुछ सियासी मजबूती मिल सके, इसकी संभावना कम ही है.

जयपुर. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही धरातल (Rajasthan Vidhansabha elections 2023) पर तैयारियों में जुट गए हैं. हालांकि तीसरे दल के रूप में उभर रही आम आदमी पार्टी और आरएलपी पर भी सबकी निगाहें हैं. दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकार बनाने के बाद 'आप' नेता राजस्थान में कार्यकर्ता संवाद यात्रा निकालने जा रहे हैं. लेकिन संगठनात्मक ढांचा खड़े किए बिना यात्रा की सफलता पर सवाल उठना लाजमी है.

वर्तमान में राजस्थान में आम आदमी पार्टी का संगठनात्मक रूप से कोई ढांचा खड़ा ही नहीं है. न पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष है, न मोर्चा है और न ही जिलाध्यक्ष. वर्तमान में संगठनात्मक पद के नाम पर केवल एक ही पद है, वो है राजस्थान चुनाव प्रभारी. जिसकी जिम्मेदारी द्वारका से विधायक विनय मिश्रा को मिली है. मिश्रा 25 अप्रैल से संभाग और कार्यकर्ता संवाद यात्रा निकालेंगे. लेकिन जब जिले स्तर तक ही पार्टी का संगठन नहीं है तो इस प्रकार की यात्रा का कितना फायदा मिलेगा ये सोचने वाली बात है.

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यात्रा के बाद शुरू होगा सदस्यता अभियान: बताया जा रहा है कि कार्यकर्ता संवाद यात्रा के बाद राजस्थान में आम आदमी पार्टी सदस्यता अभियान शुरू करेगी. इसके जरिए पूरे प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आम आदमी पार्टी से जोड़ा जाएगा. हालांकि सदस्यता अभियान चलाने के लिए जरूरी है कि प्रदेश में पार्टी के पास खुद की संगठनात्मक टीम मौजूद हो, लेकिन आम आदमी पार्टी के परिपेक्ष में ऐसा नहीं है.

पुरानी नियुक्तियां निरस्त, बनेगी नई टीम: राजस्थान में 27 अप्रैल को जयपुर के बिरला (BJP and Congress preparation for Rajasthan Elections 2023) सभागार में हुई आम आदमी पार्टी की बड़ी बैठक के दौरान पहले की गई सभी नियुक्तियां रद्द कर दी गई थी. जिसके बाद अब प्रदेश में पार्टी के किसी भी संगठनात्मक पद पर कोई व्यक्ति नियुक्त नहीं है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद पिछले कई सालों से खाली पड़ा है.

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पिछले दिनों कुछ जिलों में महिला और युवा विंग का गठन किया गया था, लेकिन उसे भी वर्तमान में निरस्त कर दिया गया है. बताया जा रहा है कार्यकर्ता संवाद यात्रा के दौरान हर जिले और संभाग से मिले फीडबैक के आधार पर नई नियुक्तियां की जाएगी.कार्यकर्ता संवाद यात्रा के लिए पार्टी ने प्रदेश स्तर पर और संभाग स्तर पर आठ सदस्य कोऑर्डिनेट कमेटी का गठन किया है जिस पर यात्रा से जुड़ी संपूर्ण जिम्मेदारी रहेगी.

चुनावी धरातल पर नहीं दिख रही तीसरे विकल्प की तैयारी: राजस्थान में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसकी तैयारियों में सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ विपक्षी दल भाजपा भी जुटी है. भाजपा के केंद्रीय नेता लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेताओं के दिल्ली के दौरे भी लगातार चल रहे हैं. हालांकि राजस्थान में तीसरे विकल्प का दम भरने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की हलचल फिलहाल दिखाई नहीं दे रही. आम आदमी पार्टी भी धरातल पर अब तक कोई दमखम दिखा पाई है. कार्यकर्ता संवाद यात्रा के जरिए आम आदमी पार्टी ने सियासी गलियारों में थोड़ी हलचल जरूर बढ़ाई है. लेकिन बिना संगठनात्मक ढांचे के राजस्थान में आम आदमी पार्टी को कुछ सियासी मजबूती मिल सके, इसकी संभावना कम ही है.

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