जयपुर. प्रभा खेतान फाउंडेशन की तरफ से ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से आखर का आयोजन हुआ. राजस्थानी साहित्य कला और संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से आखर का आयोजन हुआ. निजी होटल में हुए आयोजन में राजस्थानी भाषा के साहित्यकार किशनलाल वर्मा से उनके साहित्य सफरनामा पर चर्चा की गई. वहीं, उनके साथ फेस टू फेस संवाद विजय जोशी ने किया.
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कार्यक्रम में उन्होंने अपने श्रृंगार रस से ओतप्रोत गीत लगन की कुछ पंक्तियां भी सुनाई. किशन लाल वर्मा ने लगन और मेहंदी आदि शुभ प्रसंगों के आधार पर अपना प्रारंभिक सृजन किया. मेहंदी के शुभ प्रसंग में उपयोगिता को अपने साहित्य के स्थान देते उन्होंने बताया कि किसी भी वर्क व किसी भी समुदाय में मेहंदी का समान महत्व है और मेहंदी के बिना शुभ काम की कल्पना मुश्किल है. ऐसे में उन्होंने महेंदी पर अपनी पुस्तक की कुछ पंक्तियां भी श्रोताओं को सुनाई.
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इस मौके पर किशन लाल शर्मा ने नेमीचंद काव्य से उदाहरण देते हुए बताया, कि किस प्रकार भगवान की मूर्ति को गरीब और निम्न वर्ग के लोग तरसते हैं और मंदिर बन जाने के बाद उसी निम्न वर्ग के लोगो को मंदिर में प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है. उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि भारत के बाहरी शक्तियों ने हमारे मतभेदों और वर्गों का फायदा उठाया है. ऐसे में एकता की शक्ति को हमें पहचानना होगा. वही जे जे राजस्थानी, जे जे राजस्थान काव्य के जरिए श्रोताओं को बताया कि किस प्रकार के यह काव्य भी एक तरह से राजस्थान का सामान्य ज्ञान है. इसमें राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति, धरोहरों, पौराणिक संपदा के बारे में लोगों को जागरूक किया गया है.