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जे-जे राजस्थान काव्य है राजस्थान का सामान्य ज्ञान: किशनलाल वर्मा

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Published : Dec 14, 2019, 10:55 PM IST

राजस्थानी भाषा के साहित्यकार किशनलाल वर्मा से उनके साहित्य सफरनामा पर विजय जोशी ने संवाद किया. राजस्थानी साहित्य कला व संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से आखर कार्यक्रम हुआ. जिसमे किशनलाल वर्मा ने कहा कि 'जे जे राजस्थानी'. यह काव्य राजस्थान का सामान्य ज्ञान है.

साहित्यकार किशनलाल वर्मा,  Writer Kishanlal Verma,  राजस्थानी भाषा के साहित्यकार , Rajasthani language writer
ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से आखर का आयोजन हुआ

जयपुर. प्रभा खेतान फाउंडेशन की तरफ से ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से आखर का आयोजन हुआ. राजस्थानी साहित्य कला और संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से आखर का आयोजन हुआ. निजी होटल में हुए आयोजन में राजस्थानी भाषा के साहित्यकार किशनलाल वर्मा से उनके साहित्य सफरनामा पर चर्चा की गई. वहीं, उनके साथ फेस टू फेस संवाद विजय जोशी ने किया.

ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से आखर का आयोजन हुआ
इस मौके पर अपने प्रारंभिक जीवन की जानकारी देते हुए किशनलाल वर्मा ने बताया, कि उनके माता-पिता दोनों मजदूरी करके जीवन निर्वाह करते थे. पिता पढ़ाना तो चाहते थे पर साधनों का अभाव रहा. इसलिए प्रारंभिक में साहित्य सर्जन की सोचना संभव नहीं था. लेकिन धीरे-धीरे सिलाई का काम और पढ़ाई का सिलसिला शुरू हुआ और नर्सिंग में चयन हो गया. ऐसे में प्रारंभिक जीवन की मुश्किलों ने बड़ी मजबूती प्रदान की. फिर साहित्य सृजन की शुरुआत 13 दिसंबर 1985 के दिन हुई. जब शाम के समय कृष्ण अर्जुन के कैलेंडर देखते हुए उन्हें कुछ न कुछ लिखने को उद्वेलित हुए.

पढ़ेंः CAB पर हंगामा ही हंगामाः असम में रेल रोको आंदोलन, डिब्रूगढ़-लालगढ़ रेल सेवा रद्दCAB पर हंगामा ही हंगामाः असम में रेल रोको आंदोलन, डिब्रूगढ़-लालगढ़ रेल सेवा रद्द

कार्यक्रम में उन्होंने अपने श्रृंगार रस से ओतप्रोत गीत लगन की कुछ पंक्तियां भी सुनाई. किशन लाल वर्मा ने लगन और मेहंदी आदि शुभ प्रसंगों के आधार पर अपना प्रारंभिक सृजन किया. मेहंदी के शुभ प्रसंग में उपयोगिता को अपने साहित्य के स्थान देते उन्होंने बताया कि किसी भी वर्क व किसी भी समुदाय में मेहंदी का समान महत्व है और मेहंदी के बिना शुभ काम की कल्पना मुश्किल है. ऐसे में उन्होंने महेंदी पर अपनी पुस्तक की कुछ पंक्तियां भी श्रोताओं को सुनाई.

पढ़ेंः झारखंड में डिप्टी सीएम पायलट का चुनावी संबोधन, कहा- सिर्फ कुर्सी से चिपके रहे रघुवर दास

इस मौके पर किशन लाल शर्मा ने नेमीचंद काव्य से उदाहरण देते हुए बताया, कि किस प्रकार भगवान की मूर्ति को गरीब और निम्न वर्ग के लोग तरसते हैं और मंदिर बन जाने के बाद उसी निम्न वर्ग के लोगो को मंदिर में प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है. उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि भारत के बाहरी शक्तियों ने हमारे मतभेदों और वर्गों का फायदा उठाया है. ऐसे में एकता की शक्ति को हमें पहचानना होगा. वही जे जे राजस्थानी, जे जे राजस्थान काव्य के जरिए श्रोताओं को बताया कि किस प्रकार के यह काव्य भी एक तरह से राजस्थान का सामान्य ज्ञान है. इसमें राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति, धरोहरों, पौराणिक संपदा के बारे में लोगों को जागरूक किया गया है.


जयपुर. प्रभा खेतान फाउंडेशन की तरफ से ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से आखर का आयोजन हुआ. राजस्थानी साहित्य कला और संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से आखर का आयोजन हुआ. निजी होटल में हुए आयोजन में राजस्थानी भाषा के साहित्यकार किशनलाल वर्मा से उनके साहित्य सफरनामा पर चर्चा की गई. वहीं, उनके साथ फेस टू फेस संवाद विजय जोशी ने किया.

ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से आखर का आयोजन हुआ
इस मौके पर अपने प्रारंभिक जीवन की जानकारी देते हुए किशनलाल वर्मा ने बताया, कि उनके माता-पिता दोनों मजदूरी करके जीवन निर्वाह करते थे. पिता पढ़ाना तो चाहते थे पर साधनों का अभाव रहा. इसलिए प्रारंभिक में साहित्य सर्जन की सोचना संभव नहीं था. लेकिन धीरे-धीरे सिलाई का काम और पढ़ाई का सिलसिला शुरू हुआ और नर्सिंग में चयन हो गया. ऐसे में प्रारंभिक जीवन की मुश्किलों ने बड़ी मजबूती प्रदान की. फिर साहित्य सृजन की शुरुआत 13 दिसंबर 1985 के दिन हुई. जब शाम के समय कृष्ण अर्जुन के कैलेंडर देखते हुए उन्हें कुछ न कुछ लिखने को उद्वेलित हुए.

पढ़ेंः CAB पर हंगामा ही हंगामाः असम में रेल रोको आंदोलन, डिब्रूगढ़-लालगढ़ रेल सेवा रद्दCAB पर हंगामा ही हंगामाः असम में रेल रोको आंदोलन, डिब्रूगढ़-लालगढ़ रेल सेवा रद्द

कार्यक्रम में उन्होंने अपने श्रृंगार रस से ओतप्रोत गीत लगन की कुछ पंक्तियां भी सुनाई. किशन लाल वर्मा ने लगन और मेहंदी आदि शुभ प्रसंगों के आधार पर अपना प्रारंभिक सृजन किया. मेहंदी के शुभ प्रसंग में उपयोगिता को अपने साहित्य के स्थान देते उन्होंने बताया कि किसी भी वर्क व किसी भी समुदाय में मेहंदी का समान महत्व है और मेहंदी के बिना शुभ काम की कल्पना मुश्किल है. ऐसे में उन्होंने महेंदी पर अपनी पुस्तक की कुछ पंक्तियां भी श्रोताओं को सुनाई.

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इस मौके पर किशन लाल शर्मा ने नेमीचंद काव्य से उदाहरण देते हुए बताया, कि किस प्रकार भगवान की मूर्ति को गरीब और निम्न वर्ग के लोग तरसते हैं और मंदिर बन जाने के बाद उसी निम्न वर्ग के लोगो को मंदिर में प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है. उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि भारत के बाहरी शक्तियों ने हमारे मतभेदों और वर्गों का फायदा उठाया है. ऐसे में एकता की शक्ति को हमें पहचानना होगा. वही जे जे राजस्थानी, जे जे राजस्थान काव्य के जरिए श्रोताओं को बताया कि किस प्रकार के यह काव्य भी एक तरह से राजस्थान का सामान्य ज्ञान है. इसमें राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति, धरोहरों, पौराणिक संपदा के बारे में लोगों को जागरूक किया गया है.


Intro:राजस्थानी भाषा के साहित्यकार किशनलाल वर्मा से उनके साहित्य सफरनामा पर विजय जोशी ने संवाद किया. राजस्थानी साहित्य कला व संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से आखर कार्यक्रम हुआ. जिसमे किशनलाल वर्मा ने कहा कि 'जे जे राजस्थानी, जे जे राजस्थान' काव्य राजस्थान का सामान्य ज्ञान है.


Body:जयपुर : प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से राजस्थानी साहित्य कला व संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से आखर का आयोजन हुआ. निजी होटल में हुए आयोजन में राजस्थानी भाषा के साहित्यकार किशनलाल वर्मा से उनके साहित्य सफरनामा पर चर्चा की गई. वही उनके साथ फेस टू फेस संवाद विजय जोशी ने किया.

इस मौके पर अपने प्रारंभिक जीवन की जानकारी देते हुए किशनलाल वर्मा ने बताया, कि उनके माता-पिता दोनों मजदूरी करके जीवन निर्वाह करते थे. पिता पढ़ाना तो चाहते थे पर साधनों का अभाव रहा. इसलिए प्रारंभिक में साहित्य सर्जन की सोचना संभव नहीं था. लेकिन धीरे-धीरे सिलाई का काम व पढ़ाई का सिलसिला शुरू हुआ और नर्सिंग में चयन हो गया. ऐसे में प्रारंभिक जीवन की मुश्किलों ने बड़ी मजबूती प्रदान की. फिर साहित्य सृजन की शुरुआत 13 दिसंबर 1985 के दिन हुई. जब शाम के समय कृष्ण अर्जुन के कैलेंडर देखते हुए उन्हें कुछ न कुछ लिखने को उद्वेलित हुए.

कार्यक्रम में उन्होंने अपने श्रृंगार रस से ओतप्रोत गीत लगन की कुछ पंक्तियां भी सुनाई. किशन लाल वर्मा ने लगन और मेहंदी आदि शुभ प्रसंगों के आधार पर अपना प्रारंभिक सृजन किया. मेहंदी के शुभ प्रसंग में उपयोगिता को अपने साहित्य के स्थान देते उन्होंने बताया कि किसी भी वर्क व किसी भी समुदाय में मेहंदी का समान महत्व है और मेहंदी के बिना शुभ काम की कल्पना मुश्किल है. ऐसे में उन्होंने महेंदी पर अपनी पुस्तक की कुछ पंक्तियां भी श्रोताओं को सुनाई.

इस मौके पर किशन लाल शर्मा ने नेमीचंद काव्य से उदाहरण देते हुए बताया, कि किस प्रकार भगवान की मूर्ति को गरीब और निम्न वर्ग के लोग तरसते हैं और मंदिर बन जाने के बाद उसी निम्न वर्ग के लोगो को मंदिर में प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है. उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि भारत के बाहरी शक्तियों ने हमारे मतभेदों और वर्गों का फायदा उठाया है. ऐसे में एकता की शक्ति को हमें पहचानना होगा. वही जे जे राजस्थानी, जे जे राजस्थान काव्य के जरिए श्रोताओं को बताया कि किस प्रकार के यह काव्य भी एक तरह से राजस्थान का सामान्य ज्ञान है. इसमें राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति, धरोहरों, पौराणिक संपदा के बारे में लोगों को जागरूक किया गया है.

बाइट- किशनलाल वर्मा, साहित्यकार


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