जयपुर. हाल फिलहाल में राजस्थान की कई शादियों में निजी आयोजनों में हेलीकॉप्टर का प्रयोग (helicopter in private program in Rajasthan) किया गया है. कई जिलों में दूल्हा बारात लेकर हेलीकॉप्टर से दुल्हन लेने गया है तो कभी धार्मिक आयोजनों में पुष्प वर्षा के लिए हेलीकॉप्टर बुक किए गए हैं. प्रदेश में निजी कार्यक्रमों में हेलीकॉप्टर का प्रयोग इन दिनों चलन में है. सरकार ने हेलीकॉप्टर को अप्रोचेबल करने के लिए नियमों का सरलीकरण किया था, लेकिन कुछ बिचौलियों और दलालों के चलते इसका दुरुपयोग किया जा रहा है. गांव-ढाणी, कस्बों में निजी आयोजनों में हेलीकॉप्टर प्रयोग के दौरान सुरक्षा व्यवस्था (without security private helicopter landing in Rajasthan) में काफी लापरवाही देखने को मिलती है. लैंडिंग के दौरान हेलीपैड के आसपास भीड़ जुटी रहती है जिससे कभी भी हादसा सकता है.
नियमों का दुरुपयोग
एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के लीगल एक्सपर्ट विभूति सिंह देवड़ा (AAIB legal expert Vibhuti Deora comments) कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार ने हेलीकॉप्टर को अप्रोचेबल बनाने के लिए नियमों में 2019 में कुछ संशोधन किया था, लेकिन कुछ बिचोलिये या दलालों ने इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया है. इसका खामियाजा ये है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि निजी जमीन पर जो हेलीकॉप्टर उतारे जा रहे हैं उसमें लैंडिंग के नियमों को नजरअंदाज किया जा रहा है. ऐसी जगहों पर ज्यादा पब्लिक होती है कोई भी हेलीकॉप्टर के नजदीक आ जाता है तो दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं.
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क्या कहते हैं निजी जमीन के नियम
दरअसल अक्टूबर 2019 में राज्य सरकार ने भारत सरकार के नियमों का हवाला देते हुए सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किए थे कि अब कोई भी हेलीकॉप्टर निजी जमीन पर उतारा जाता है तो उसे किसी एनओसी या अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. सिर्फ जिला कलेक्टर को सूचित करना होगा कि इस दिन इस समय पर हेलीकॉप्टर उतारा और उड़ाया जाएगा. देवड़ा बताते हैं कि सरकार ने नियमों में सरलीकरण इस लिए किया था कि हेलीकॉप्टर की उड़ान को अप्रोचेबल बनाया जा सके.
देश-विदेश से पर्यटक घूमने आते हैं और उनके लिए तत्काल परमीशन मिलना मुश्किल होती है, इसलिए इन नियमों में संशोधन किया गया ताकि टीरिज्म को प्रोत्साहन मिल सके. अब इन नियोमों को आधार बना कर शादी और धार्मिक आयोजनों में भी हेलीकॉप्टर उड़ाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह भी देखा जा रहा है कि जो बेसिक नियम थे उनकी भी पालना नहीं हो रही है. नियमों में यह भी था कि उड़ान के वक्त उस जगह लर एम्बुलेंस और अग्निशमन गाड़ी मौजूद रहेगी और सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित होगी, लेकिन अक्सर देखा जा रहा है कि जिस मंशा से नियमों को सरल किया गया उसका दुरपयोग हो रहा है. जब हेलीकॉप्टर उड़ाया या उतारा जा रहा है तब इन बेसिक नियमों को भी दरकिनार किया जा रहा है जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
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सरकारी जगह के नियम
सरकारी जमीन पर हेलीकॉप्टर को उतारने या उड़ाने के लिए जिला कलेक्टरों से अनुमति आवश्यक होती है. इसके लिए 30 हजार रुपए हेलीपेड, दो-दो हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अग्निशमन और एम्बुलेंस वाहन के जमा कराने होते हैं. इसके साथ ही पुलिस सुरक्षा व्यवस्था के भी पैसे देने होते हैं. यह पैसा एविएशन कंपनियों को देने होते हैं. इस लिए अब बिचौलियों ने सीधे तौर पर अनुमति नहीं लेकर बीच का रास्ता निकालकर सरकारी जमीन को अलग तरह से दिखाकर बिना शुल्क जमा कराए जेब गर्म कर रहे हैं.
हेलीकॉप्टर कंपनी को बरतनी चाहिए सावधानी
देवड़ा ने कहा कि यह सही है कि बिचौलियों की वजह से कई बार आयोजकों को और कंपनी के अफसरों को खामियाजा उठाना पड़ता है, लेकिन जिम्मेदारी कंपनी की है. उनके पास जब तक ऑथेंटिक अनुमति और कागज नहीं आ जाते तब तक उन्हें उड़ान नहीं भरनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके साथ जरूरी यह भी एक ही सरकार भी निजी जमीन पर हेलीकॉप्टर उतारने के जो नियमों में सरलीकरण किया है. उसमें सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चूक देखने को मिल रही है. उस पर एक बार फिर पुनर्विचार करने की जरूरत है. सुरक्षा के नियमों में सिर्फ और सिर्फ पुलिस के जिममें ही सुरक्षा दी जानी चाहिए , क्योंकि निजी सुरक्षा गार्ड या निजी लोगों के भरोसे हेलीकॉप्टर की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता.
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पाली और सिरोही में हुई कार्रवाई
देवड़ा ने बताया कि बिना अनुमति के उतारे और उड़ाए जा रहे इन हेलीकॉप्टर के माध्यम से बिचलिये अवैध रूप वसूली कर रहे हैं. एक मामला सिरोही में सामने आया है और दूसरा पाली के खैरवा में. पाली के खैरवा गांव में एक विवाह में रामासनी बाला से उड़ान भरकर हेलीकॉप्टर खैरवा पहुंचा और सरकारी स्कूल के मैदान में उतरा. हेलीकॉप्टर मैदान में उतारने के लिए संस्था प्रधान ने सरकारी अनापत्ति दी है, लेकिन किसी तरह की अनुमति प्रशाससिक अधिकारियों से नही ली गई जबकि जिले की सरकारी संपत्ति का मालिक कलेक्टर होता है. बिना परमिशन हेलिकॉप्टर उतारने पर पुलिस ने हेलिकॉप्टर मंगवाने वाले, हेलीकॉप्टर के पायलट और कंपनी के अफसरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है. देवड़ा ने कहा कि इस तरह के मामले में हेलीकॉप्टर मंगवाने वालों कोई कसूर नही होता.
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पुलिस इस लिए जरूरी
देवड़ा ने कहा कि सिर्फ पैसे बचाने के लिए अक्सर देखा जा रहा है कि इस तरह के आयोजनों में आने वाले हेलीकॉप्टर की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है. निजी सुरक्षा के हाथों यह उम्मीद करें कि भीड़ को खुद ही कंट्रोल कर लिया जाएगा तो यह ठीक नहीं. जब भी किसी गांव या ढाणी में कोई हेलीकॉप्टर उतरता है तो वहां पर आसपास के क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में जुट जाते हैं. इस भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस की वर्दी में जवानों की मौजूदगी जरूरी है. इसके साथ ही हेलीकॉप्टर उतारा जाए तो यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस जगह हेलीकॉप्टर उतरा जा रहा है उसके चारों तरफ बाउंड्री की गई है या नहीं.
मारवाड़ में ज्यादा हेलीकॉप्टर का चलन -
निजी कार्यक्रमों के लिए सबसे ज्यादा मारवाड़ क्षेत्र में हेलीकॉप्टर की डिमांड होती है. पाली, सिरोही, जोधपुर, जालौर और बाड़मेर इन जिलों में शादी विवाह समारोह और धार्मिक आयोजनों में पुष्प वर्षा के लिए हेलीकॉप्टर की ज्यादा डिमांड होती है. खासतौर से मई से जुलाई और नवंबर से जनवरी माह में हेलीकॉप्टर की डिमांड बढ़ जाती है. जानकारों की मानें तो राजस्थान में निजी कार्यक्रमों के लिए हेलीकॉप्टर के प्रयोग का बिजनेस सालाना 13 से 15 करोड़ तक का रहता है.