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हरियाली तीज बुधवार को, सुहागिन महिलाएं और युवतियां आज मना रहीं हैं सिंजारा

सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज (Hariyali Teej 2021) मनाई जाती है. इससे ठीक एक दिन पहले सिंजारा (Sinjara) यानी सजने धजने की तैयारी होती है. सिंगार का दिन होता है और इसे ही सिंजारा कहते हैं. खूब सजने धजने का दिन होता है. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. सिंजारे के दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती हैं.

sinjara celebration
हरियाली तीज से पहले सिंजारा का है खास महत्व
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Published : Aug 10, 2021, 12:47 PM IST

जयपुर: अखंड सौभाग्य और खुशहाली का प्रतीक लोकपर्व हरियाली तीज (Hariyali Teej 2021) सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया बुधवार को मनाया जाएगा. इससे पहले आज मंगलवार को सुहागिन महिलाएं सिंजारा मनाती हैं. यानी खूब सिंगार करती हैं. सजने धजने के सारे उपक्रम करती हैं. हाथों में मेहंदी लगाती हैं. घेवर व अन्य मिठाई घर की बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं को भेंट करती हैं. इस मौके पर तीज माता की सवारी निकालने की परम्परा है लेकिन कोरोना की वजह से पिछली बार की ही तरह इस बार ये नहीं निकलेगी.
Special : गुलाबी नगरी के 'लहरिया' के बिना फीका है सावन का 'तीज'
पिंक सिटी (hariyali teej in pink city) में पिछले साल के मुकाबले इस बार नवविवाहिताओं में ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है. पिछले साल कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा रहा. सो सड़कों पर चहल पहल कम ही दिखी. हरियाली तीज नव ब्याहता के लिए खास मायने रखती है.

प्रथा अनुसार अमर सुहाग की कामना के साथ नवविवाहिताओं को पीहर और ससुराल पक्ष की ओर से घेवर, मिठाई, लहरिया (साड़ी) और सौभाग्य से जुड़ी अन्य वस्तुएं भेंट की जाती हैं. जबकि जिन युवतियों की सगाई हो चुकी है उनके होने वाले ससुराल पक्ष से भी यह वस्तुएं भेंट की जाती हैं.

इस बार भी तीज पर नहीं निकलेगी तीज माता की सवारी (Teej Mata Ki Sawari): कोरोना संक्रमण के चलते इस बार भी सामूहिक और भीड़भाड़ वाले आयोजनों पर रोक है. इसके चलते इस साल भी सिटी पैलेस की जनानी ड्योढ़ी से तीज माता की सवारी नहीं निकलेगी. कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल भी तीज माता की शाही सवारी नहीं निकली थी. जयपुर की यह परंपरा रही है कि जनानी ड्योढ़ी से निकलने वाली तीज माता की सवारी के दर्शन के बाद ही महिलाएं व्रत खोलती हैं. लेकिन इस साल भी कोरोना संक्रमण के चलते तीज माता की शाही सवारी नहीं निकलेगी.

hariyali teej 2021
हरियाली तीज पर खूब सजती हैं महिलाएं

हरियाली तीज है खास: राजस्थान की लोक परंपरा में हरियाली तीज का खास महत्व है. इस बार श्रावण मास का यह अति महत्वपूर्ण पर्व 11 अगस्त को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया थी. कहा जाता है कि पार्वती के कहने पर ही भगवान ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके शादी ब्याह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी. इसी कारण अखंड सौभाग्य के पर्व के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है. महिलाएं व्रत रखती हैं और तीज माता की पूजा करने व कथा सुनने के बाद व्रत खोलती हैं.

हरियाली तीज पूजन विधि (Hariyali Teej Pujan Vidhi): पूरा श्रावण मास शिव भक्ति को समर्पित होता है. लेकिन सिंजारे और तीज पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. इस दिन कुंवारी कन्याएं और सुहागिनें सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं. सायंकाल व्रत की कथा सुनाई जाती है. जिसके बाद कन्याएं अच्छे वर की कामना करती हैं. और सुहागिनें अमर सुहाग का वरदान मांगती हैं.

Lehariya is important
लहरिया पहनने की परम्परा दशकों बाद भी कायम

लहरिया और राजस्थान (Lehariya And Rajasthan): इस दिन खासतौर पर लहरिया पहनने का प्रचलन है. राजस्थान में निर्मित ये विशेष पैटर्न का परिधान देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खास मुकाम रखती है. देशभर में जयपुर और जोधपुर से लहरिया की साड़ियां, सूट और चुन्नियां सप्लाई की जाती है.समय के साथ इनमें परिवर्तन हुआ है लेकिन मूल लहरिया अब भी राजस्थान की आन, बान और शान है.

जयपुर: अखंड सौभाग्य और खुशहाली का प्रतीक लोकपर्व हरियाली तीज (Hariyali Teej 2021) सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया बुधवार को मनाया जाएगा. इससे पहले आज मंगलवार को सुहागिन महिलाएं सिंजारा मनाती हैं. यानी खूब सिंगार करती हैं. सजने धजने के सारे उपक्रम करती हैं. हाथों में मेहंदी लगाती हैं. घेवर व अन्य मिठाई घर की बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं को भेंट करती हैं. इस मौके पर तीज माता की सवारी निकालने की परम्परा है लेकिन कोरोना की वजह से पिछली बार की ही तरह इस बार ये नहीं निकलेगी.
Special : गुलाबी नगरी के 'लहरिया' के बिना फीका है सावन का 'तीज'
पिंक सिटी (hariyali teej in pink city) में पिछले साल के मुकाबले इस बार नवविवाहिताओं में ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है. पिछले साल कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा रहा. सो सड़कों पर चहल पहल कम ही दिखी. हरियाली तीज नव ब्याहता के लिए खास मायने रखती है.

प्रथा अनुसार अमर सुहाग की कामना के साथ नवविवाहिताओं को पीहर और ससुराल पक्ष की ओर से घेवर, मिठाई, लहरिया (साड़ी) और सौभाग्य से जुड़ी अन्य वस्तुएं भेंट की जाती हैं. जबकि जिन युवतियों की सगाई हो चुकी है उनके होने वाले ससुराल पक्ष से भी यह वस्तुएं भेंट की जाती हैं.

इस बार भी तीज पर नहीं निकलेगी तीज माता की सवारी (Teej Mata Ki Sawari): कोरोना संक्रमण के चलते इस बार भी सामूहिक और भीड़भाड़ वाले आयोजनों पर रोक है. इसके चलते इस साल भी सिटी पैलेस की जनानी ड्योढ़ी से तीज माता की सवारी नहीं निकलेगी. कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल भी तीज माता की शाही सवारी नहीं निकली थी. जयपुर की यह परंपरा रही है कि जनानी ड्योढ़ी से निकलने वाली तीज माता की सवारी के दर्शन के बाद ही महिलाएं व्रत खोलती हैं. लेकिन इस साल भी कोरोना संक्रमण के चलते तीज माता की शाही सवारी नहीं निकलेगी.

hariyali teej 2021
हरियाली तीज पर खूब सजती हैं महिलाएं

हरियाली तीज है खास: राजस्थान की लोक परंपरा में हरियाली तीज का खास महत्व है. इस बार श्रावण मास का यह अति महत्वपूर्ण पर्व 11 अगस्त को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया थी. कहा जाता है कि पार्वती के कहने पर ही भगवान ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके शादी ब्याह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी. इसी कारण अखंड सौभाग्य के पर्व के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है. महिलाएं व्रत रखती हैं और तीज माता की पूजा करने व कथा सुनने के बाद व्रत खोलती हैं.

हरियाली तीज पूजन विधि (Hariyali Teej Pujan Vidhi): पूरा श्रावण मास शिव भक्ति को समर्पित होता है. लेकिन सिंजारे और तीज पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. इस दिन कुंवारी कन्याएं और सुहागिनें सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं. सायंकाल व्रत की कथा सुनाई जाती है. जिसके बाद कन्याएं अच्छे वर की कामना करती हैं. और सुहागिनें अमर सुहाग का वरदान मांगती हैं.

Lehariya is important
लहरिया पहनने की परम्परा दशकों बाद भी कायम

लहरिया और राजस्थान (Lehariya And Rajasthan): इस दिन खासतौर पर लहरिया पहनने का प्रचलन है. राजस्थान में निर्मित ये विशेष पैटर्न का परिधान देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खास मुकाम रखती है. देशभर में जयपुर और जोधपुर से लहरिया की साड़ियां, सूट और चुन्नियां सप्लाई की जाती है.समय के साथ इनमें परिवर्तन हुआ है लेकिन मूल लहरिया अब भी राजस्थान की आन, बान और शान है.

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