जयपुर. झोटवाड़ा स्थित शिल्प कॉलोनी के मकान नंबर 161 में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला बसंती खंडेलवाल अपने पति की मौत के बाद पिछले डेढ़ साल से नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. नारकीय जीवन इसलिए कि खुद उसका बेटा गौरीशंकर ही उसकी आंखों में आंसूओं का जिम्मेदार है.
80 साल की बसंती खंडेलवाल आज अपने ही घर में कैद है. एक कौने में रखी चारपाई पर ही अपनी जिंदगी काट रही है. वृद्धा की खाट के पास कुछ खाने पीने का समान भी रखा हुआ है. घर में कोई शख्स नहीं जो उसकी सुध ले सके. घर के मेन दरवाजे के बाहर ताला लटका हुआ है. उसका बेटा इस घर से दूर गोविंदपुरा में फ्लैट लेकर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है.
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भूखी रहती है, पानी तक की नहीं है व्यवस्था-
अपनी मां की उम्र का बेटे को जरा भी तकाजा नहीं है. यहां तक की पड़ोसी ही उसकी मां को खाना देते हैं. गौरी शंकर का जब मन होता है तो वह आकर खाना तो दे जाता है, लेकिन उसकी संभाल पड़ौसी करते हैं. पड़ोसियों का जब दिल पसीजता है तो वो उसे खाने-पीने के लिए कुछ ना कुछ दे देते हैं. बसंती के पड़ोसियों के मुताबिक उसके बेटे गौरीशंकर ने तो यह तक कह दिया है कि वह अपनी मां को अपनें पास नही रख सकता, क्योकि उसकी मां पागल है. बेटे ने अपनी मां के लिए साफ पानी तक कि व्यवस्था नही की.
बेटा नहीं देता है दवाई-
वृद्धा बसंती के पड़ोसियों के मुताबिक उसका बेटा गौरीशंकर जरा भी परवाह नहीं करता. बीमार होने पर दवाई तक नहीं देता. कुछ पड़ोसियों का तो कहना है कि वह अपनी मां को नशे की गोलियां खिलाता है ताकि वह पूरे दिन सोती रहे. पड़ोसियों ने वृद्धा के बेटे पर बेरहमी का भी आरोप लगाया. पड़ौस में रहने वाली सूधा का कहना कि वो अपनी मां को मारता-पीटता है. कभी-कभी घर आकर अपनी मां को खाना दे जाता है लेकिन ऐसी परिस्थितियां भी बन जाती है कि वो अपनी मां को बेरहमी से मारता है. इतना ही नहीं, रोकने पर पड़ोसियों से भी झगड़ा कर लेता है.
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मां की पेंशन भी ले लेता है खुद-
पड़ोसियों ने बताया कि बसंती खंडेलवाल को कोई नहलाने वाला भी नहीं है. लेकिन जब उसकी पेंशन आने वाली होती है तो बेटा गौरीशंकर रिन्यू कराने के लिए अपनी मां को तैयार करके लेकर जाता है. और कुछ देर बाद वापस छोड़ जाता है. इसी तरह एक साथ पेंशन लेने जाता है तो अपनी मां को साथ लेकर जाता है जिसे वो अपने पास रख लेता है.
मकान भी हड़प लिया
पड़ौसियों ने बताया कि बूढ़ी मां का मकान भी गौरीशंकर ने अपने नाम करवा लिया है. एक एनजीओ संचालिका ने बताया कि पुलिस के अनुसार कुछ साल पहले उसने अपने बड़े भाई को भी घर से निकाल दिया था. और कुछ पैसा देकर मकान अपने नाम करा लिया. उसके बड़े भाई की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. ऐसे में वह आपनी मां को अपने साथ नहीं रख सकता.
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मानसिक रोगी है मां- बेटा गौरीशंकर
एनजीओ संचालिका ने जब बसंती खंडेलवाल के बेटे गौरी शंकर से बात की तो उन्होंने कहा कि मैं दोनों टाइम का खाना अपनी मां को देता हूं. लेकिन वह मानसिक रूप से बीमार है इसलिए घर के ताला लगा के रखा हुआ है. पूरा मकान उसको रहने के लिए दिया हुआ है. मैं उसे अपने साथ कैसे रख सकता हूं. सभी जगह उसका इलाज करवाया है. डॉक्टर कहते हैं कि इस उम्र में कोई भी दवा काम नहीं करती.