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स्पेशल स्टोरी : बेटे और बहू की बेरुखी का दंश झेल रही 80 साल की एक बूढ़ी मां, जी रही नरक की जिंदगी - घर में कैद बूढ़ी मां

जिस मां ने 9 महीने अपने पेट में रखा और इस दुनिया में लेकर आई, तमाम पीड़ा सही लेकिन अपने बच्चे को एक आंसू तक नहीं आने दिया. आज वही मां उस अपने बेटे के लिए एक बोझ नजर आ रही है. उस बेटे के लिए जो आज खुद पिता बन गया है, लेकिन खुद की मां का दर्द नजर नहीं आता. स्पेशल रिपोर्ट में देखिए एक 80 साल की बूढ़ी मां की दास्तान जो अपने बेटे-बहू की बेरुखी और प्रताड़ना का दंश झेल रही है...

80 year old basanti khadelwal, जयपुर की बसंती खंडेलवाल
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Published : Sep 11, 2019, 9:29 PM IST

Updated : Sep 11, 2019, 10:40 PM IST

जयपुर. झोटवाड़ा स्थित शिल्प कॉलोनी के मकान नंबर 161 में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला बसंती खंडेलवाल अपने पति की मौत के बाद पिछले डेढ़ साल से नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. नारकीय जीवन इसलिए कि खुद उसका बेटा गौरीशंकर ही उसकी आंखों में आंसूओं का जिम्मेदार है.

80 साल की बसंती खंडेलवाल आज अपने ही घर में कैद है. एक कौने में रखी चारपाई पर ही अपनी जिंदगी काट रही है. वृद्धा की खाट के पास कुछ खाने पीने का समान भी रखा हुआ है. घर में कोई शख्स नहीं जो उसकी सुध ले सके. घर के मेन दरवाजे के बाहर ताला लटका हुआ है. उसका बेटा इस घर से दूर गोविंदपुरा में फ्लैट लेकर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है.

बेटे ने अपनी मां को छोड़ा नारकीय जीवन जीने को

पढ़ेंः कुख्यात बदमाश पपला को भगाकर ले जाने वाले 6 बदमाशों पर 50-50 हजार रुपए का इनाम घोषित

भूखी रहती है, पानी तक की नहीं है व्यवस्था-
अपनी मां की उम्र का बेटे को जरा भी तकाजा नहीं है. यहां तक की पड़ोसी ही उसकी मां को खाना देते हैं. गौरी शंकर का जब मन होता है तो वह आकर खाना तो दे जाता है, लेकिन उसकी संभाल पड़ौसी करते हैं. पड़ोसियों का जब दिल पसीजता है तो वो उसे खाने-पीने के लिए कुछ ना कुछ दे देते हैं. बसंती के पड़ोसियों के मुताबिक उसके बेटे गौरीशंकर ने तो यह तक कह दिया है कि वह अपनी मां को अपनें पास नही रख सकता, क्योकि उसकी मां पागल है. बेटे ने अपनी मां के लिए साफ पानी तक कि व्यवस्था नही की.

बेटा नहीं देता है दवाई-
वृद्धा बसंती के पड़ोसियों के मुताबिक उसका बेटा गौरीशंकर जरा भी परवाह नहीं करता. बीमार होने पर दवाई तक नहीं देता. कुछ पड़ोसियों का तो कहना है कि वह अपनी मां को नशे की गोलियां खिलाता है ताकि वह पूरे दिन सोती रहे. पड़ोसियों ने वृद्धा के बेटे पर बेरहमी का भी आरोप लगाया. पड़ौस में रहने वाली सूधा का कहना कि वो अपनी मां को मारता-पीटता है. कभी-कभी घर आकर अपनी मां को खाना दे जाता है लेकिन ऐसी परिस्थितियां भी बन जाती है कि वो अपनी मां को बेरहमी से मारता है. इतना ही नहीं, रोकने पर पड़ोसियों से भी झगड़ा कर लेता है.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी : 50 लाख की बीमा राशि हड़पने के लिए करवा दी खुद की हत्या...राजस्थान पुलिस का खुलासा

मां की पेंशन भी ले लेता है खुद-
पड़ोसियों ने बताया कि बसंती खंडेलवाल को कोई नहलाने वाला भी नहीं है. लेकिन जब उसकी पेंशन आने वाली होती है तो बेटा गौरीशंकर रिन्यू कराने के लिए अपनी मां को तैयार करके लेकर जाता है. और कुछ देर बाद वापस छोड़ जाता है. इसी तरह एक साथ पेंशन लेने जाता है तो अपनी मां को साथ लेकर जाता है जिसे वो अपने पास रख लेता है.
मकान भी हड़प लिया

पड़ौसियों ने बताया कि बूढ़ी मां का मकान भी गौरीशंकर ने अपने नाम करवा लिया है. एक एनजीओ संचालिका ने बताया कि पुलिस के अनुसार कुछ साल पहले उसने अपने बड़े भाई को भी घर से निकाल दिया था. और कुछ पैसा देकर मकान अपने नाम करा लिया. उसके बड़े भाई की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. ऐसे में वह आपनी मां को अपने साथ नहीं रख सकता.

पढ़ेंः जैसलमेर के रामदेवरा में भीषण सड़क हादसा...6 की मौत, 6 गंभीर घायल

मानसिक रोगी है मां- बेटा गौरीशंकर
एनजीओ संचालिका ने जब बसंती खंडेलवाल के बेटे गौरी शंकर से बात की तो उन्होंने कहा कि मैं दोनों टाइम का खाना अपनी मां को देता हूं. लेकिन वह मानसिक रूप से बीमार है इसलिए घर के ताला लगा के रखा हुआ है. पूरा मकान उसको रहने के लिए दिया हुआ है. मैं उसे अपने साथ कैसे रख सकता हूं. सभी जगह उसका इलाज करवाया है. डॉक्टर कहते हैं कि इस उम्र में कोई भी दवा काम नहीं करती.

जयपुर. झोटवाड़ा स्थित शिल्प कॉलोनी के मकान नंबर 161 में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला बसंती खंडेलवाल अपने पति की मौत के बाद पिछले डेढ़ साल से नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. नारकीय जीवन इसलिए कि खुद उसका बेटा गौरीशंकर ही उसकी आंखों में आंसूओं का जिम्मेदार है.

80 साल की बसंती खंडेलवाल आज अपने ही घर में कैद है. एक कौने में रखी चारपाई पर ही अपनी जिंदगी काट रही है. वृद्धा की खाट के पास कुछ खाने पीने का समान भी रखा हुआ है. घर में कोई शख्स नहीं जो उसकी सुध ले सके. घर के मेन दरवाजे के बाहर ताला लटका हुआ है. उसका बेटा इस घर से दूर गोविंदपुरा में फ्लैट लेकर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है.

बेटे ने अपनी मां को छोड़ा नारकीय जीवन जीने को

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भूखी रहती है, पानी तक की नहीं है व्यवस्था-
अपनी मां की उम्र का बेटे को जरा भी तकाजा नहीं है. यहां तक की पड़ोसी ही उसकी मां को खाना देते हैं. गौरी शंकर का जब मन होता है तो वह आकर खाना तो दे जाता है, लेकिन उसकी संभाल पड़ौसी करते हैं. पड़ोसियों का जब दिल पसीजता है तो वो उसे खाने-पीने के लिए कुछ ना कुछ दे देते हैं. बसंती के पड़ोसियों के मुताबिक उसके बेटे गौरीशंकर ने तो यह तक कह दिया है कि वह अपनी मां को अपनें पास नही रख सकता, क्योकि उसकी मां पागल है. बेटे ने अपनी मां के लिए साफ पानी तक कि व्यवस्था नही की.

बेटा नहीं देता है दवाई-
वृद्धा बसंती के पड़ोसियों के मुताबिक उसका बेटा गौरीशंकर जरा भी परवाह नहीं करता. बीमार होने पर दवाई तक नहीं देता. कुछ पड़ोसियों का तो कहना है कि वह अपनी मां को नशे की गोलियां खिलाता है ताकि वह पूरे दिन सोती रहे. पड़ोसियों ने वृद्धा के बेटे पर बेरहमी का भी आरोप लगाया. पड़ौस में रहने वाली सूधा का कहना कि वो अपनी मां को मारता-पीटता है. कभी-कभी घर आकर अपनी मां को खाना दे जाता है लेकिन ऐसी परिस्थितियां भी बन जाती है कि वो अपनी मां को बेरहमी से मारता है. इतना ही नहीं, रोकने पर पड़ोसियों से भी झगड़ा कर लेता है.

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मां की पेंशन भी ले लेता है खुद-
पड़ोसियों ने बताया कि बसंती खंडेलवाल को कोई नहलाने वाला भी नहीं है. लेकिन जब उसकी पेंशन आने वाली होती है तो बेटा गौरीशंकर रिन्यू कराने के लिए अपनी मां को तैयार करके लेकर जाता है. और कुछ देर बाद वापस छोड़ जाता है. इसी तरह एक साथ पेंशन लेने जाता है तो अपनी मां को साथ लेकर जाता है जिसे वो अपने पास रख लेता है.
मकान भी हड़प लिया

पड़ौसियों ने बताया कि बूढ़ी मां का मकान भी गौरीशंकर ने अपने नाम करवा लिया है. एक एनजीओ संचालिका ने बताया कि पुलिस के अनुसार कुछ साल पहले उसने अपने बड़े भाई को भी घर से निकाल दिया था. और कुछ पैसा देकर मकान अपने नाम करा लिया. उसके बड़े भाई की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. ऐसे में वह आपनी मां को अपने साथ नहीं रख सकता.

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मानसिक रोगी है मां- बेटा गौरीशंकर
एनजीओ संचालिका ने जब बसंती खंडेलवाल के बेटे गौरी शंकर से बात की तो उन्होंने कहा कि मैं दोनों टाइम का खाना अपनी मां को देता हूं. लेकिन वह मानसिक रूप से बीमार है इसलिए घर के ताला लगा के रखा हुआ है. पूरा मकान उसको रहने के लिए दिया हुआ है. मैं उसे अपने साथ कैसे रख सकता हूं. सभी जगह उसका इलाज करवाया है. डॉक्टर कहते हैं कि इस उम्र में कोई भी दवा काम नहीं करती.

Intro:जयपुर। जिस मां ने 9 महीने अपने पेट में रखा और इस दुनिया में आने का मौका दिया तमाम पीड़ा सही लेकिन अपने बच्चे को एक आंसू तक नहीं आने दिया आज वही मां उस बच्चे के लिए एक बोझ बन गई है, जो आज खुद पिता बन चुका है। जयपुर में ऐसी ही एक पीड़ित वृद्ध मां अपने बेटे बहू की बेरुखी और प्रताड़ना का दंश झेल रही है। कलयुगी बेटे ने 80 वर्ष की मां को मकान में अकेला छोड़ दिया और हद तो तब हो गई जब मकान में बाहर गेट पर ताला भी लगा दिया।


Body:जयपुर झोटवाड़ा स्थित शिल्प कॉलोनी के मकान नंबर 161 में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला बसंती खंडेलवाल अपने पति की मौत के बाद पिछले डेढ़ साल से नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। खुद महिला के बेटे गौरीशंकर ने अपनी मां का जीवन नारकीय बनाया हुआ है। गौरीशंकर ने अपनी मां बसंती खंडेलवाल को घर में कैद किया हुआ है और गैलरी में एक खाट डाल रखी है जिस पर बसंती खंडेलवाल सोती है साथ ही बसंती खाट के पास कुछ खाने पीने का समान भी रखा हुआ है। बसंती खंडेलवाल के बेटे गोरी शंकर ने मेन गेट के बाहर ताला लगाकर रखा हुआ है खुद इस घर से दूर गोविंदपुरा में फ्लैट लेकर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है। उसे अपनी मां की जरा भी फिक्र नहीं है वह अपनी मां का ध्यान नहीं रखता यहां तक की पड़ोसी ही उसकी मां को खाना देते हैं। गौरीशंकर का का एक बड़ा भाई भी है। लेकिन गौरीशंकर ने उसे भी जायदाद से बेदखल कर उसे घर से बाहर निकाल दिया। उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नही है कि की वह अपनी माँ की देखभाल कर सके। भूखी रहती है, पानी तक की नहीं है व्यवस्था- बसंती खंडेलवाल का उसका बेटा गौरी शंकर ध्यान नहीं रखता है उसका मन करता है तो वह खाना दे जाता है अन्यथा पड़ोसी ही उसे खाना खिलाते हैं। पड़ोसियों के मुताबिक उसके बेटे गौरीशंकर ने कह दिया है कि वह अपनी मां को अपनें पास नही रख सकता, क्योकि उसकी मां पागल है। बेटे ने अपनी मां के लिए साफ पानी तक कि व्यवस्था नही की।


Conclusion:बेटा नहीं देता है दवाई- बसंती खंडेलवाल के पड़ोसियों के मुताबिक बीमार होने पर बसंती अपने बेटे को दवाई दिलाने के लिए कहती रहती है लेकिन उसका बेटा गौरीशंकर उसकी जरा भी परवाह नहीं करता और उसे कोई दवा नहीं दिलाता। कुछ पड़ोसियों का तो कहना है कि वह अपनी मां को नशे की गोलियां खिलाता है ताकि वह पूरे दिन सोती रहे। मारता पीटता है बेटा बसंती के पड़ोसियों ने बताया कि उसका बेटा कभी कभी घर आता है और अपनी मां को खाना दे जाता है कभी-कभी तो ऐसी परिस्थितियां बन जाती है कि उसका बेटा ही अपनी मां को मारता है। पड़ौसी उसे रोकने का प्रयास करते हैं तो वह पड़ोसियों से भी झगड़ा कर लेता है। बेटे ने अपनी माँ के लिए साफ पानी की भी व्यवस्था नही की। उसकी मां कई दिनों तक एक ही पानी पीती है। मां की पेंशन भी ले लेता है खुद- बसंती खंडेलवाल का बेटा गौरीशंकर अपनी मां को एक बार ही नहला कर तैयार करता है जब उसे पेंशन की याद आती है। पड़ोसियों ने बताया कि बेटा गौरीशंकर पेंशन रिन्यू कराने के लिए अपनी मां को तैयार करके लेकर जाता है कुछ देर में वापस छोड़ जाता है। इसी तरह एक साथ पेंशन लेने जाता है तो अपनी मां को साथ लेकर जाता है और पूरी पेंशन लेकर अपने पास रख लेता है। गौरीशंकर अपनी मां को एक रुपया भी पेंशन का नहीं देता है। बेटे ने मकान भी अपने नाम करा लिया है- बसंती खंडेलवाल के छोटे बेटे गौरी शंकर ने अपनी मां के नाम का मकान भी अपने नाम से करा लिया है। पुलिस ने बताया कि कुछ साल पहले उसने अपने बड़े भाई को भी घर से निकाल दिया और कुछ पैसा देकर बड़े भाई का हिस्सा भी अपने नाम करा लिया उसके बड़े भाई की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है इसलिए वह आपकी मां को अपने साथ नहीं रख सकता। मानसिक रोगी है माँ- जब इस बारे में बसंती खंडेलवाल के बेटे गौरी शंकर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं दोनों टाइम का खाना अपनी मां को देता हूं लेकिन वह मानसिक रूप से बीमार है इसलिए घर के ताला लगा के रखा हुआ है। पूरा मकान उसको रहने के लिए दिया हुआ है मैं उससे अपने साथ कैसे रख सकता हूं सभी जगह उसका इलाज करवाया है डॉक्टर कहते हैं कि इस उम्र में कोई भी दवा काम नहीं करती है। बाईट 1. एनजीओ संचालिका अनीता मिश्रा 2. महेंद्र कुमावत,पड़ोसी 3. सुधा पड़ोसी 4. भावना, पड़ोसी
Last Updated : Sep 11, 2019, 10:40 PM IST
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