जयपुर. शहर में 420 MLD पानी बीसलपुर से लिया जाता था. बढ़ती गर्मी को देखते हुए इसे बढ़ाकर 460 एमएलडी पानी कर दिया गया है, जिससे गर्मी में लोगों को पानी लिए परेशानी का सामना ना करना पड़े. इसके अलावा ट्यूबवेलों से भी 138 एमएलडी पानी की सप्लाई जयपुर शहर में हो रही है.
गर्मी और लॉकडाउन में लोगों के घरों पर रहने और बार-बार हाथ धोने से पानी की खपत में बढ़ोतरी हुई है. इसे देखते हुए बीसलपुर बांध से लिए जाने वाले पानी में 35 एमएलडी की और बढ़ोतरी की गई है. जयपुर शहर के उत्तर सर्किल में 10 एमएलडी और दक्षिण सर्किल में 25 एमएलडी पानी बढ़ाया गया है. इस तरह वर्तमान में बीसलपुर बांध से 495 एमएलडी पानी लिया जा रहा है.
लीकेज और प्रदूषित पानी की शिकायतों में आई कमी
लॉकडाउन के दौरान लीकेज और प्रदूषित पानी की शिकायतों में भी कमी आई है. अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान ट्रैफिक का संचालन नहीं हुआ और लोग भी घरों के बाहर कम निकले. ट्रैफिक के संचालन नहीं होने से पाइप लाइनों में लीकेज नहीं हुआ और प्रदूषित पानी भी घरों तक नहीं पहुंचा.
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राठौड़ ने बताया कि लॉकडाउन में 50 फीसदी तक शिकायतों में कामी आई है. राठौड़ ने बताया कि सबसे ज्यादा लीकेज और पाइप लाइनों को नुकसान तब होता है, जब दूसरी एजेंसियां काम करती हैं. लेकिन लॉकडाउन में उन एजेंसियों का काम नहीं हो रहा है. इसलिए लीकेज और पाइप लाइनों को नुकसान कम हुआ. कॉलोनियों में भी निर्माण संबधी काम नहीं हुए, जिसके कारण भी शिकायतों में कमी आई है.
लॉकडाउन में पानी की समस्या के लिए बनाया नियंत्रण कक्ष
जलदाय विभाग की ओर से कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन की अवधि में पूरे प्रदेश में नियमित जलापूर्ति को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए जयपुर में विभाग के मुख्यालय जल भवन में राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष भी बनाया गया है. यहीं से पूरे राज्य की जलापूर्ति की मॉनिटरिंग की जा रही है.
सभी जिलों में जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष की व्यवस्था के साथ ही खंड, उपखंड, अनुभाग स्तर पर भी अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता को अपने दोनों क्षेत्रों में दैनिक जलापूर्ति व्यवस्था के लिए जिम्मेदारी दी गई है. राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष 8-8 घंटे की तीन पारियों में संचालित हो रहा है और सभी शिकायतों का समाधान और उनकी रजिस्टर में एंट्री की जा रही है.
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इस नियंत्रण कक्ष के फोन नंबर 0141-2222585 है. नियंत्रण कक्ष में रोज प्रदेश भर से 15 से ज्यादा शिकायत आ रही है. इन शिकायतों को संबंधित जिलों को भेज दिया जाता है, जहां से इनका समाधान कर दिया जाता है. लॉकडाउन जलदाय विभाग के ऑपरेशनल कामों, नियंत्रण कक्ष सहित अन्य जगह लगे अधिकारियों कर्मचारियों को अवकाश पर रोक लगा दी गई है.
औद्योगिक इकाइयों के बंद रहने से नहीं पड़ा कोई फर्क
लॉकडाउन में औद्योगिक इकाइयां पूरी तरह से बंद है और उन में होने वाले पानी की बचत भी हुई है, लेकिन यह बचत बहुत कम है. अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि औद्योगिक इकाइयों को विभाग की ओर से पीने का पानी ही दिया जाता है. कमर्शियल उपयोग के लिए विभाग की ओर से पानी नहीं दिया जाता है. कमर्शियल उपयोग के लिए इनके अपने ट्यूबवैल होते हैं, रीको की ओर से इनको पानी उपलब्ध कराया जाता है.
कोरोना के रेड जोन में भी काम कर रहे कर्मचारी
पानी आवश्यक सेवाओं में शामिल है इसके चलते कर्मचारियों की ड्यूटी भी अलग-अलग इलाकों में लगाई गई है. इसी तरह से जलदाय विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी रामगंज क्षेत्र जैसे रेड जोन में भी लगाई गई है. अगर किसी भी तरह के लीकेज या अन्य कोई समस्या होती है, तो तुरंत उसकी मरम्मत की जा सके.
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फील्ड में काम करने वाले सभी अधिकारियों की सुरक्षा का भी पूरा इंतजाम किया गया है. उन्हें PPE किट, ग्लप्स, सैनिटाइज सहित अन्य सामग्री उपलब्ध कराई गए हैं. विभाग ने परकोटे में करीब डेढ़ सौ से अधिक कर्मचारी लगाए हुए हैं, जो सप्लाई सहित अन्य काम देखते हैं.
सभी जिलों में 50-50 लाख की मंजूरी
जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने गर्मियों के मौसम में प्रदेश में जनता के लिए पेयजल आपूर्ति के लिए सभी जिलों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आकस्मिक कार्य के लिए 50-50 लाख रुपये की राशि खर्च करने की मंजूरी फरवरी में दे दी थी. इसके तहत जिला कलेक्टर की अनुशंसा पर संबंधित क्षेत्र के अतिरिक्त मुख्य अभियंता अपने अधीन आने वाले सभी जिलों में 50 लाख रुपये पेयजल व्यवस्था सुचारू रखने के लिए स्वीकृति जारी कर सकते हैं.
टैंकरों से हो रही है सप्लाई
अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि जयपुर के जिन इलाकों में बीसलपुर की पाइप लाइन नहीं है, वहां विभाग की ओर से टैंकरों से नियमित रूप से सप्लाई की जा रही है. जैसे ही टैंकर की मांग आती है वैसे ही विभाग की ओर से टैंकर तुरंत पहुंचा दिया जाता है. जिससे लोगों को लॉकडाउन में पानी के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़े.