जयपुर. राजधानी जयपुर के एक निजी अस्पताल में 70 वर्षीय सेना के एक अधिकारी का सफल लीवर प्रत्यारोपण किया गया है और इतनी अधिक उम्र में लीवर प्रत्यारोपण का संभवत यह पहला मामला है. भारतीय सेना में 90 के दशक में श्रीनगर में तैनात आर्मी के अधिकारी का निजी अस्पताल में सफलतापूर्वक कैडेवर लीवर प्रत्यारोपण हुआ और वे मंगलवार को अस्पताल से परिजनों के साथ अपने घर के लिए विदा हुए.
अस्पताल के मुख्य ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर अजय शर्मा व डॉ. नैमिष मेहता ने बताया कि एसएमएस अस्पताल में 28 फरवरी को एक ब्रेन डेड रोगी के कैडेवर ऑर्गन डोनेशन के जरिए 70 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्नल रतन सिंह को प्रत्यारोपित किया गया. लीवर प्रत्यारोपण पूरी तरह सफल रहा तथा इसने सेना अधिकारी को एक बार फिर नया जीवनदान दिया.
कर्नल सिंह की पत्नी रोवीना सेन ने बताया कि इससे पहले भी कई बार कर्नल सेन की जान पर बन आई थी. 17 मार्च 1992 को ड्यूटी के दौरान श्रीनगर में उन्हें आतंकवादियों से संघर्ष में गोली लगी थी. इसके बाद उन्हें हेपेटाइटिस संक्रमण हो गया था. जिसके चलते उनका लिवर खराब हो गया. यह तकलीफ कोरोना काल के दौरान बढ़ गई थी. हमें लीवर प्रत्यारोपण के बारे में चिकित्सकों ने सुझाया जिसे अंतिम उपचार मानते हुए हमने अस्पताल में इलाज शुरू किया तथा कैडेवर अंग के लिये पंजीकरण कराया.
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28 फरवरी को अचानक एक दिन अस्पताल से सूचना मिली कि एक बार कैडेवर ऑर्गन डोनर से आपका ब्लड ग्रुप मैच कर गया है. हम तुरंत अस्पताल पहुंचे तथा जहां अनुभवी चिकित्सकों की टीम ने लिवर प्रत्यारोपण किया. इस तरह एक जांबाज राष्ट्रभक्त कर्नल रतन सेन को नया जीवन मिला. सेन के परिजनों ने भगवान का शुक्रिया अदा किया.
उनकी पुत्री शिखा ने बताया कि कर्नल सेन को 1995 में शौर्य चक्र भी भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया था. उन्होंने कहा कि हम कैडेवर डोनर के ऋणी हैं, जिनके अंगदान से मेरे पिता को जीवन मिला है. ट्रांसप्लांट टीम में डॉ. अजय शर्मा, डॉ. नैमिष मेहता, डॉ. शाश्वत सरीन, डॉ. आरपी चौबे, डॉ. आनंद नागर, डॉ. पीयूष वार्ष्णेय, डॉ. गणेश व डॉ. गौरव का विशेष योगदान रहा.