जयपुर. प्रदेश में पिछले दिनों अलवर के थानागाजी इलाके में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर कई सवाल खड़े किए थे. लेकिन यह एक मात्र घटना नहीं है, यह सिर्फ अपराध की शिकार किसी एक पीड़ित की कहानी भर नहीं है. यह प्रदेश में लगातार बढ़ते अपराध का प्रमाण भी है. अब एक बड़ा सवाल भी है कि, क्या प्रदेश की नई सरकार में महिलाएं सचमुच सुरक्षित नहीं हैं. इस साल अकेले जनवरी महीने में ही 2 हजार से ज्यादा अपराध जयपुर में दर्ज हो गए थे. जो अब बढ़कर 25 हजार से ज्यादा पहुंच गए हैं. यह आंकड़ा बीते साल की तुलना में 66 फीसदी से भी ज्यादा है.
अपराध के बढ़ते ये आंकड़े इसलिए भी डराते हैं क्योंकि, बीते साल के आंकड़ों ने जयपुर को महिला अपराधों के लिहाज से तीसरे नंबर पर ला खड़ा कर दिया था. वहीं मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान ऐसे शर्मनाक सच के चलते दूसरे नंबर पर है. हालांकि, महिला अपराधों के लिहाज से पहले भी दूसरे नंबर है. लेकिन प्रदेश में सत्ता बदलने के 9 माह बाद के सामने आए आंकड़े ज्यादा डरा रहे हैं.
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जिस तरीके से महिला अपराधों के आंकड़ों ने आसमान छुआ है, उसने महिलाओं को घर से बाहर निकलने में भी उनके मन में डर तक बैठा दिया है. अगर आपको यकीन नहीं है तो राजस्थान पुलिस के मंथली अपराध रिकॉर्ड के ताजा आंकड़ों से आए सच आप खुद ही देख लीजिए...
राजस्थान पुलिस की मंथली अपराध रिकॉर्ड के मुताबिक-
- वर्ष 2018 में जुलाई तक महिला उत्पीड़न से जुड़े 5884 मामले दर्ज थे. जबकि साल 2019 में जुलाई तक ये आंकड़ा 11459 तक पहुंच गया.
- वर्ष 2018 में जुलाई तक दुष्कर्म के 2587 मामले पुलिस में दर्ज हुए. जबकि वर्ष 2019 में जुलाई तक ये आंकड़ा 3677 तक आ पहुंचा.
- वर्ष 2018 में जुलाई तक 231 महिलाएं दहेज हत्या की शिकार हुई. जबकि वर्ष 2019 में जुलाई तक ये आंकड़ा 273 तक पहुंच गया.
- वर्ष 2018 में जुलाई तक अपहरण के 2687 मामले थानों में दर्ज हुए. जबकि वर्ष 2019 में जुलाई तक ये आंकड़ा बढ़कर 3762 तक आ पहुंचा.
- वर्ष 2018 में जुलाई तक छेड़छाड़ के 3171 मामले पुलिस में दर्ज हुए थे. जबकि वर्ष 2019 में जुलाई तक ये आंकड़ा 5329 तक जा पहुंचा.
- वहीं जुलाई 2018 तक जहां कुल आंकड़ा 15242 था. जबकि 2019 में जुलाई तक आते-आते यह आंकड़ा 25420 तक आ पहुंचा है.
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हालांकि, कानून के जानकार विजय गोयल बताते हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार बनने के साथ ही महिला यौन उत्पीड़न के मामलों में हर हाल में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए है, जिसकी वजह से ये आंकड़े बढ़े हैं. लेकिन, राजस्थान पुलिस के मंथली अपराध रिकॉर्ड के इन आंकड़ों ने आम आदमी के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को भी बुरी तरह से डरा दिया है. महिला सामाजिक कार्यकर्त्ता कविता श्रीवास्तव बताती है कि महिला हिंसा के मामलों में प्रदेश की गहलोत सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है, फिर चाहे वो महिला के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा हो. बीते महीनों में जिस तरीके से महिला यौन उत्पीड़न के आंकड़े जबरदस्त तरीके से बढ़े है, वो दर्शाते है कि प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है. कविता श्रीवास्तव ने कहा कि अभी भी वक्त है, सरकार समय पर ही चेत जाए, नहीं तो प्रदेश में महिला सामाजिक कार्यकर्ता सड़क पर उतरेंगी.
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पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त इसी कांग्रेस ने बतौर विपक्ष सरकार को महिला यौन उत्पीड़न के मामलों में फेल करार दिया था. अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने 9 महीने पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन महिला यौन उत्पीड़न के आंकड़ों में पिछली सरकार की अपेक्षा 66 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों में हुए इजाफा को लेकर अब विपक्ष में बैठी बीजेपी सरकार की नाकामी पर उसे घेर रही है.
बीजेपी नेता और राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने महिला यौन उत्पीड़न में नया रिकॉर्ड कायम किया है. जब-जब भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने समीक्षा बैठक बुलाई, तब-तब एक ना एक बड़ी घटना सामने आई है. उनका कहना रहा कि ऐसा लगता है कि सरकार सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने में लगी हुई है. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं है. सरकार आधी रात को हाथी और हाथ का मिलन करवाने में लगे है. प्रदेश में महिलाएं आज सड़क से लेकर घर तक कहीं भी सुरक्षित नहीं है.
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बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोला तो कांग्रेस उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा बचाव में उतर आईं. अर्चना शर्मा ने कहा कि जिन आंकड़ों की बात बीजेपी कर रही है, पहले उन्हें अपनी ही सरकार के वक्त के आंकड़े देख लेने चाहिए और जहां तक आंकड़ों में वृद्धि की बात है तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ही महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को लेकर मुकदमे दर्ज होने लगे हैं, इसलिए ये आंकड़े बढ़े.
यानी, आंकड़ों से सामने आए सच पर राजनीति तो हो रही है, लेकिन इस सच को सुधारने के उपाय कुछ नहीं और यह सच यूं ही डराता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इसका असर प्रदेश के टूरिज्म सेक्टर पर दिखेगा. सैलानी राजस्थान में आने से और महिलाएं राजस्थान में बसने से बचने लगेंगी.