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गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारों में हुए शब्द कीर्तन, नानकजी की बातों का हुआ अनुसरण - prakash parv celebrated in jaipur

जयपुर के गुरुद्वारों में गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया. शहर भर के गुरुद्वारों में सुखमणि साहब के पाठ और आशा-दी-वार के कीर्तन हुए. साथ ही लंगर प्रसादी में हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया.

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Published : Nov 12, 2019, 11:34 PM IST

जयपुर. कार्तिक पूर्णिमा को सिख समाज के प्रमुख गुरु नानकदेव जी के 550वां प्रकाश पर्व मनाया गया. इस पर्व का मुख्य आयोजन शहर के राजा पार्क गुरुद्वारा में आयोजित हुआ. इसके साथ ही शहर के पानी पेच गुरुद्वारा, मानसरोवर गुरुद्वारा, वैशाली नगर गुरुद्वारा सहित अन्य गुरुद्वारों में हजारों सिख बंधुओं ने मत्था टेका. इस मौके पर गुरु के अटूट लंगर का आयोजन हुआ.

गुरुद्वारों में हर्षोल्लास के साथ मना प्रकाश पर्व

इस मौके पर गुरुद्वारों में दीवान सजे और शब्द कीर्तन की स्वर लहरिया बही. साथ ही गुरुवाणी के पाठ को भी सुनने के लिए श्रद्धालु पहुंचे. राजा पार्क गुरुद्वारे में मुख्य दीवान अमृत वेले से सजाया गया. इसमें पूरे दिन नित्य नेम के पाठ हुए. साथ ही सुखमणि साहब के पाठ और आशा-दी-वार के कीर्तन हुए. वहीं देशभर के विभिन्न हिस्सों से आए हुए कीर्तन जत्था गुरुनानक साहब की वाणी और शब्द कीर्तन और गुरु नानक साहब की कही बातों का अनुसरण करते हुए नजर आए.

यह भी पढ़ें. आज देव दिवाली के अवसर पर दीपदान से रोशन होंगे मंदिर, जाने शुभ मुहूर्त और महत्व

गुरुद्वारों में गुरुनानक देवजी ने कैसे सहज, सरल और संगठित समाज की नींव रखी और कैसे धर्म जाति के बंधन को तोड़ा उसका बखान किया गया. जिसमें बताया गया कि नानक जी अछूत को अछूत नहीं समझते थे. वे उनके हाथों का भोजन कर वंचितों के साथ खड़े नजर आए. बखान में बताया गया कि परिश्रम से कमा कर उसमें से भी कुछ बचा कर लोगों की मदद करने और भूखे को खिलाने वाला श्रेष्ठ होता है.

साथ ही नानक जी ने सामुदायिक उपासना की प्रथा शुरू कर इसमें शामिल लोगों के लिए जात पात-का बंधन तोड़ा. इसके लिए उन्होंने छुआछूत छोड़ एक साथ एक ही पंगत में भोजन कर लंगर प्रथा की शुरुआत की.

यह भी पढ़ें.भीलवाड़ा के सरोवर में सवा लाख दीपदान के साथ किया जाएगा कार्तिक पूर्णिमा का समापन

राजस्थान सिख बोर्ड के जनरल सीक्रेटरी मनिंदर सिंह बग्गा ने बताया कि 550वां प्रकाश पर्व सिख इतिहास की एक ऐसी कड़ी है, जिससे पूरी मानवता का जन्म हुआ. गुरु नानक देव जी ने मानवता के लिए पूरी जिंदगी लगा दी. आज हर शख्स चाहे हिंदू, मुस्लिम, सिख या फिर इसाई हर आदमी उनकी आराधना करता है.

साथ ही आज जो शिक्षा व्यवस्था है, 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' उन्होंने काफी वर्षों पहले ही साकार कर दी. इसके चलते ही राज्य सरकार ने गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में पूरे वर्ष मनाने का संकल्प लिया है. वहीं कल सुल्तानपुर लोधी के लिए प्रदेशभर के जत्थे फ्री बस सेवा के जरिए रवाना होंगे.

जयपुर. कार्तिक पूर्णिमा को सिख समाज के प्रमुख गुरु नानकदेव जी के 550वां प्रकाश पर्व मनाया गया. इस पर्व का मुख्य आयोजन शहर के राजा पार्क गुरुद्वारा में आयोजित हुआ. इसके साथ ही शहर के पानी पेच गुरुद्वारा, मानसरोवर गुरुद्वारा, वैशाली नगर गुरुद्वारा सहित अन्य गुरुद्वारों में हजारों सिख बंधुओं ने मत्था टेका. इस मौके पर गुरु के अटूट लंगर का आयोजन हुआ.

गुरुद्वारों में हर्षोल्लास के साथ मना प्रकाश पर्व

इस मौके पर गुरुद्वारों में दीवान सजे और शब्द कीर्तन की स्वर लहरिया बही. साथ ही गुरुवाणी के पाठ को भी सुनने के लिए श्रद्धालु पहुंचे. राजा पार्क गुरुद्वारे में मुख्य दीवान अमृत वेले से सजाया गया. इसमें पूरे दिन नित्य नेम के पाठ हुए. साथ ही सुखमणि साहब के पाठ और आशा-दी-वार के कीर्तन हुए. वहीं देशभर के विभिन्न हिस्सों से आए हुए कीर्तन जत्था गुरुनानक साहब की वाणी और शब्द कीर्तन और गुरु नानक साहब की कही बातों का अनुसरण करते हुए नजर आए.

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गुरुद्वारों में गुरुनानक देवजी ने कैसे सहज, सरल और संगठित समाज की नींव रखी और कैसे धर्म जाति के बंधन को तोड़ा उसका बखान किया गया. जिसमें बताया गया कि नानक जी अछूत को अछूत नहीं समझते थे. वे उनके हाथों का भोजन कर वंचितों के साथ खड़े नजर आए. बखान में बताया गया कि परिश्रम से कमा कर उसमें से भी कुछ बचा कर लोगों की मदद करने और भूखे को खिलाने वाला श्रेष्ठ होता है.

साथ ही नानक जी ने सामुदायिक उपासना की प्रथा शुरू कर इसमें शामिल लोगों के लिए जात पात-का बंधन तोड़ा. इसके लिए उन्होंने छुआछूत छोड़ एक साथ एक ही पंगत में भोजन कर लंगर प्रथा की शुरुआत की.

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राजस्थान सिख बोर्ड के जनरल सीक्रेटरी मनिंदर सिंह बग्गा ने बताया कि 550वां प्रकाश पर्व सिख इतिहास की एक ऐसी कड़ी है, जिससे पूरी मानवता का जन्म हुआ. गुरु नानक देव जी ने मानवता के लिए पूरी जिंदगी लगा दी. आज हर शख्स चाहे हिंदू, मुस्लिम, सिख या फिर इसाई हर आदमी उनकी आराधना करता है.

साथ ही आज जो शिक्षा व्यवस्था है, 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' उन्होंने काफी वर्षों पहले ही साकार कर दी. इसके चलते ही राज्य सरकार ने गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में पूरे वर्ष मनाने का संकल्प लिया है. वहीं कल सुल्तानपुर लोधी के लिए प्रदेशभर के जत्थे फ्री बस सेवा के जरिए रवाना होंगे.

Intro:छोटी काशी जयपुर के गुरुद्वारो में गुरु नानक देव जी का 550 वां पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया. शहरभर के गुरिद्वारो में सुखमणि साहब के पाठ और आशा-दी-वार के कीर्तन हुए. साथ ही लंगर प्रसादी में हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया.


Body:जयपुर : कार्तिक पूर्णिमा को सिख समाज के प्रमुख गुरु नानकदेव जी के 550 वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. मुख्य आयोजन शहर के राजापार्क गुरुद्वारा में हुआ. इसके साथ ही शहर के पानी पेच गुरुद्वारा, मानसरोवर गुरुद्वारा, वैशाली नगर गुरुद्वारा सहित अन्य गुरुद्वारों में हजारों सिख बंधुओ ने मत्था टेका. इस मौके पर गुरु का अटूट लंगर वरताया गया.

इस मौके पर गुरुद्वारों में दीवान सजे और शब्द कीर्तन की स्वर लहरिया बही. साथ ही गुरुवाणी के पाठ को भी सुनने के लिए श्रदालु पहुंचे. राजापार्क गुरुद्वारे में मुख्य दीवान अमृत वेले से सजाया गया. इसमें पूरे दिन नित्यनेम के पाठ हुए. सुखमणि साहब के पाठ और आशा-दी-वार के कीर्तन हुए. इसके बाद देशभर के विभिन्न हिस्सों से आए हुए कीर्तन जत्था गुरुनानक साहब की वाणी और शब्द कीर्तन गुरु नानक साहब की कही बातों का अनुसरण करते हुए नजर आए.

गुरुद्वारों में गुरुनानक देवजी ने कैसे सहज, सरल और संगठित समाज की नींव रखी और कैसे धर्म जाति के बंधन को तोड़ा उसका बखान किया गया. जिसमें बताया गया कि नानक जी अछूत समझने वाले के रुके और उनके हाथों का भोजन कर वंचितों के साथ खड़े नजर आए. जहां उन्होंने कहा कि परिश्रम से कमा कर उसमें से भी कुछ बचा कर लोगों की मदद करने व भूखे को खिलाने वाला श्रेष्ठ होता है. साथ ही नानक जी ने सामुदायिक उपासना की प्रथा शुरू कर इसमें शामिल लोगों के लिए जात पात-का बंधन तोड़ा. इसके लिए उन्होंने छुआछूत छोड़ एक साथ एक ही पंगत में भोजन कर लंगर प्रथा की शुरुआत की.

बता दे कि 550 वां प्रकाश पर्व सिख इतिहास की एक ऐसी कड़ी है जिससे पूरी मानवता का जन्म हुआ. गुरु नानक देव जी ने मानवता के लिए पूरी जिंदगी लगाई और आज हर शख्स चाहे हिंदू, मुस्लिम, सिख या फिर इसाई हर आदमी उनकी आराधना करता है. साथ ही आज जो शिक्षाएं हैं बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ उन्होंने काफी वर्षों पहले ही साकार कर दी. इसके चलते ही राज्य सरकार ने गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में पूरे वर्ष मनाने का संकल्प लिया है. वही कल सुल्तानपुर लोधी के लिए प्रदेशभर के जत्थे फ्री बस सेवा के जरिए रवाना होंगे.

बाइट- मनिंदर सिंह बग्गा, जनरल सेकेट्ररी, राजस्थान सिख बोर्ड




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