जयपुर. 2 साल कोरोना काल के दौरान राजस्थान दिवस पर कोई समारोह नहीं हो सका. हालांकि इस बार परिस्थितियां सामान्य होने के चलते 30 मार्च को अल्बर्ट हॉल पर करीब 550 लोक कलाकार एक साथ राजस्थानी लोक नृत्य की छटा बिखेरेंगे. वहीं सांस्कृतिक संध्या के दौरान रूप कुमार राठौड़, सोनाली राठौड़, पद्मश्री अनवर खान और पुष्कर के नाथू लाल सोलंकी जैसे कलाकार भी समा बांधेंगे.
राजस्थान अपनी कला, संस्कृति, लोकगीत, लोक नृत्य और स्थापत्य विरासत की वजह से पूरी दुनिया में जाना जाता है. राजस्थान दिवस के मौके पर लोक कलाकारों का प्रदर्शन प्रदेश की इसी धरोहर का गवाह बनेगा. 30 मार्च को राजस्थान दिवस के अवसर पर जहां राज्य स्मारकों और पर्यटन स्थलों पर छात्रों के लिए प्रवेश निशुल्क (Free entry in tourist places on Rajasthan Diwas) रहेगा. वहीं प्रमुख पर्यटन स्थलों खासकर अल्बर्ट हॉल सांस्कृतिक संध्या के दौरान 550 लोक कलाकारों की सामूहिक प्रस्तुति भी होगी. जिसकी तैयारियां भी जोरों पर चल रही हैं.
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यहां लोक कलाकारों को लोक नृत्य के गुर सिखाने वाली प्रसिद्ध कोरियोग्राफर मैत्रयी पहाड़ी ने बताया कि बहुत से कलाकार बीते 2 साल से घर में थे. जिससे कलाकारों की स्ट्रैंथ-एनर्जी कम हो गई है. इन्हें अब दोबारा मंच मिलेगा. इनमें दूसरे राज्यों के महज 20 कलाकार हैं. बाकी सभी राजस्थान के हैं. आयोजन के लिए कालबेलिया, घूमर, गैर, तेरहताली, कच्ची घोड़ी जैसे लोक नृत्यों की तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया कि राजस्थान की लोक संस्कृति इतनी वृहद है कि राजस्थानी लोकगीत बॉलीवुड तक में मशहूर हुए हैं.
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आपको बता दें कि पहले राजस्थान राजपूताना के नाम से जाना जाता था. 19 रियासतों को मिलाकर राजस्थान संघ बना. राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में हुआ था. इसकी शुरुआत 18 अप्रैल, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली रियासतों के विलय से हुई. विभिन्न चरणों में रियासतें जुड़ती गईं और आखिर में 30 मार्च, 1949 को जोधपुर, जयपुर जैसलमेर और बीकानेर रियासतों के विलय से राजस्थान संघ बना. इसी दिन को राजस्थान स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है.