जयपुर. गुलाबी नगरी जयपुर एक पर्यटन नगरी है और प्रदेश की राजधानी भी है. यहां 40 लाख की आबादी में से डेढ़ लाख परिवारों का खर्चा छोटे व्यापार से चलता है, जो शहर के विभिन्न बाजारों में मौजूद हैं. ईटीवी भारत ने विभिन्न इलाकों के दुकानदारों से बात करते हुए, उनकी आर्थिक और मानसिक दशा समझने का प्रयास किया.
ईटीवी भारत ने पाया कि हर दुकानदार परेशान है. जिसकी रोज की कमाई 500 है वो भी और जिसकी कमाई 5 हजार है वो भी. सभी पर तालाबंदी भारी पड़ रही है. हर कोई बंदी के बाद की स्थितियों को लेकर चिंतित है. व्यापारियों के मन में एक ही सवाल है कि लॉकडाउन के बाद जीवन दोबारा पटरी पर लौटने में कितना समय लगेगा.
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शहर में इलेक्ट्रिक सामान का व्यापार करने वाले अरविंद का कहना है कि उन्हें अपनी दुकान का किराया भी देना है. दुकान पर काम करने वाले कर्मचारियों को मेहनताना भी देना है, बिजली के बिल भी चुकाने हैं और घर भी चलाना है. ऐसे में अब सरकार को जल्द बाजार को खोलने का कदम उठाना चाहिए.
वहीं, दुल्हन के लहंगों का व्यापार करने वाले मनीष ने बताया कि उनका तो पूरा सीजन ही निकल गया. जिस आखा तीज (अक्षय तृतीया) पर सबसे ज्यादा बिजनेस होता है. उस दौरान उन्हें घर में रहना पड़ा. शादियों के सीजन को देखते हुए जो स्टॉक किया था, वो सारा धरा का धरा रह गया. कुछ यही हालात मोबाइल शॉप चलाने वाले दिलीप और बुटीक चलाने वाली नीतू के हैं. जिनका व्यापार पूरी तरह ठप पड़ा है और सिर पर जिम्मेदारियों का भार है.
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कोरोना संक्रमण के बचाव को लेकर लगाए गए लॉकडाउन से छोटी काशी के छोटे-छोटे दुकानदारों की दशा बिगड़ती जा रही है. ये वो पिलर हैं जिन्होंने अपने कंधों पर इस हेरिटेज सिटी को संभाल रखा है. लेकिन अब ऐसा समय है, जब इन्हें सहारे की जरूरत है.
राजधानी में व्यापार की स्थिति
- जयपुर में 2 लाख 25 हजार दुकानदार
- राजधानी में 500 से ज्यादा बाजार
- लॉकडाउन से दुकानदारों को हो रहा नुकसान
- करीब 4000 करोड़ का व्यापार प्रभावित