नागौर. सांसद हनुमान बेनीवाल के विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर संसद ने राजस्थान के 4 ब्यूरोक्रेट्स को संसद में तलब किया है. इन सभी ब्यूरोक्रेट्स को 17 मार्च को सदन में हाजिर होना होगा. इसमें राजस्थान के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, प्रदेश के डीजीपी भूपेंद्र यादव, एडीजी उमेश मिश्रा, तत्कालीन बाड़मेर एसपी शरद चौधरी और सीएमओ के सेक्रेटरी अमित ढाका का नाम शामिल है.
दरअसल नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की ओर से जैसलमेर-बाड़मेर के सांसद और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के काफिले पर हमला हुआ था. जिसको लेकर आज तक एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई थी. इसी से आहत होकर हनुमान बेनीवाल ने संसद में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया था, जिस पर कार्रवाई करते हुए संसदीय कमेटी ने सीएस , डीजीपी, एडीजीपी, सीएमओ सेक्रेटरी और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को संसद में तलब किया है.
बताया जा रहा है कि इससे पहले राजस्थान के किसी भी सांसद की ओर से दिए गए विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर राज्य के सबसे बड़े 4 अधिकारियों को संसद में तलब नहीं किया गया था. यह पहली बार है, जब संसद की विशेषाधिकार हनन कमेटी की ओर से इन अधिकारी को तलब किया गया है. इस मामले में पर सांसद हनुमान बेनीवाल के भाई और राजस्थान विधानसभा में विधायक नारायण बेनीवाल ने कहा कि हनुमान बेनीवाल ने जो विशेषाधिकार हनन का मामला संसद की कमेटी के समक्ष रखा है. यह जागरूक जनप्रतिनिधि की जागरूकता को दर्शाता है.
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उन्होंने कहा कि जिस तरीके से हनुमान बेनीवाल और केंद्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के काफिले पर कुछ लोगों के इशारे पर गाड़ी पर पथराव हुआ है. इसके बाद इस मामले को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने एफआईआर दर्ज करवाई, तो पुलिस ने एफआइआर भी दर्ज नहीं की थी, जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री कहते हैं कि थाने में पहुंचने वाले हर व्यक्ति की एफआईआर दर्ज की जाती है. उन्होंने काहा कि ऑनलाइन एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है, लेकिन इस मामले में पुलिस आज तक एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई है. जिसके कारण मजबूरन हनुमान बेनीवाल को संसद की विशेषाधिकार हनन समिति के समक्ष अपनी पीड़ा रखने को मजबूर होना पड़ा.