जयपुर. राजस्थान में जिला परिषद और पंचायत समिति के नतीजे आ चुके हैं. इन नतीजों के बाद कांग्रेसी खेमे में मायूसी छाई हुई है. कांग्रेस के विधायकों की अगर बात की जाए तो 21 जिलों की 106 विधानसभा में से 50 विधायक कांग्रेस के थे, जिनमें से मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल और कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया. ऐसे में 48 विधायक कांग्रेस के थे, जिनकी विधानसभा में चुनाव था, लेकिन इन 48 में से 21 कांग्रेस विधायक ही पार्टी को अपनी पंचायत समिति में जीत दिला सके.
इस दौरान इस बात पर भी चर्चा करना जरूरी है कि पायलट कैंप के कितने विधायकों ने अपनी विधानसभा में पार्टी को जीत दिलाई है और क्या पायलट कैंप के विधायक अपनी पंचायत समिति में कांग्रेस पार्टी का प्रधान बना सकेंगे या नहीं. बता दें कि इन चुनावों में सचिन पायलट कैंप के 11 विधायकों की विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हुए थे. श्रीमाधोपुर पंचायत समिति से दीपेंद्र सिंह शेखावत, उनियारा पंचायत समिति से हरीश मीणा ओर लाडनूं पंचायत समिति से मुकेश भाकर और सरदारशहर पंचायत समिति से विधायक भंवर लाल शर्मा ने कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दिलाते हुए कांग्रेस का प्रधान बनाना तय किया है.
नीमकाथाना पंचायत समिति विधायक सुरेश मोदी, परबतसर से विधायक रामनिवास गावड़िया की परबतसर पंचायत समिति टोंक से विधायक सचिन पायलट की टोंक पंचायत समिति और झुंझुनू से विधायक बृजेंद्र ओला की पंचायत समिति झुंझुनू में निर्दलीयों के सहारे जोड़-तोड़ कर कांग्रेस प्रधान बनाने की स्थिति में हैं, लेकिन पायलट कैंप के मसूदा से विधायक राकेश पारीक मसूदा पंचायत समिति से, गुडामालानी से विधायक हेमाराम चौधरी की गुडामालानी पंचायत समिति और वल्लभनगर पंचायत समिति से विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत अपनी पंचायत समितियों में पार्टी को जीत नहीं दिला सके हैं और यहां भाजपा का प्रधान बनेगा.
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ऐसे में पायलट कैंप के कुल 11 विधायकों में से 4 विधायकों ने कांग्रेस पार्टी को अपनी पंचायत समिति में पूर्ण बहुमत दिलाया है, तो 4 विधायक जोड़-तोड़ कर प्रधान बनाने की स्थिति में हैं. हालांकि 3 विधायकों को इन चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है और उनकी खुद की पंचायत समिति में भाजपा का प्रधान बनेगा.