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New municipalities : ग्राम पंचायतों को बना दिया शहर, संसाधनों का अभाव...विपक्ष ने घेरा - Jaipur Municipality

राजस्थान में 37 नई नगर पालिकाओं का गठन किया गया (37 New municipalities formed in Jaipur) है. जिसके अंतर्गत 100 से अधिक गांवों को नगर पालिका में शामिल कर दिए गए. लेकिन इन नगर पालिकाओं में शहरी सुविधाएं हाशिये पर हैं. हालांकि सरकार की ओर से नगर पालिकाओं में संसाधन पहुंचाए जाने का दावा किया जा रहा है.

37 New municipalities formed in Jaipur
स्वायत्त शासन विभाग
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Published : Jul 2, 2022, 5:44 PM IST

Updated : Jul 2, 2022, 6:01 PM IST

जयपुर. प्रदेश में 37 नई नगर पालिकाओं का गठन किया (37 New municipalities formed in Jaipur) गया है. जिनमें 100 से ज्यादा गांव शामिल कर दिए गए. इन्हें बढ़ते माइग्रेशन और पॉपुलेशन के चलते नगरपालिका तो बना दिया गया. लेकिन इनमें से अधिकतर में शहरी सुविधाएं हाशिये पर हैं. इन नगर पालिकाओं में संसाधन पहुंचाए जाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन बिना वित्तीय संसाधनों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के ग्राम पंचायतों को नगरीय निकायों में तब्दील करने पर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया है.

स्वायत्त शासन विभाग ने जनसंख्या, प्रति व्यक्ति आय, आजीविका और दूसरे मानकों के आधार पर विभिन्न ग्राम पंचायतों को जोड़ते हुए 1 साल से भी कम समय में 37 नई नगर पालिका का गठन कर दिया. इसके पीछे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने तर्क दिया कि ग्राम पंचायतों में ज्यादा माइग्रेशन हो रहा है. छोटे-छोटे कस्बे भी बड़ा रूप लेते जा रहे हैं. जैसे-जैसे ग्राम पंचायतों की पापुलेशन बढ़ती जा रही है, और नगर पालिका के क्राइटेरिया में आते हैं, तो उन्हें नगर पालिका घोषित करना ही होता है. धीरे-धीरे नई नगरपालिका में भी संसाधन पहुंचाया जा रहे हैं.

मंत्री शांति धारीवाल का बयान

पढ़ें: HC ने जिन 17 नगर पालिकाओं के गठन को किया था रद्द, नई रूपरेखा तय कर दोबारा गठित

नगर पालिका के लिए ये तय किये गए थे मानक :

बीजेपी ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया: इन ग्राम पंचायतों के नगर पालिका बनने से यहां के बाशिंदों पर नगरीय विकास कर लागू हो गया है और कृषि भूमि की रजिस्ट्री कराना भी महंगा सौदा साबित हो रहा है. इससे राज्य सरकार को तो फायदा मिलेगा. लेकिन आम आदमी की जेब कट रही है. ऐसे में बीजेपी ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब सरकार के पास वित्तीय संसाधन, इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पैसा, सफाई कर्मचारी बढ़ाने की योजना नहीं तो उस स्थिति में नगरी निकाय बनाना उचित नहीं है. केवल घोषणा करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि घोषणा के आधार पर आम जनता को राहत दी जानी चाहिए.

सरकार न तो शहर का विकास कर पा रही न देहात का: बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि ये सरकार न तो शहरों का ढंग से विकास कर पा रही है. न देहात का. विकास के नाते से ये सरकार पूरी तरह नकारा सरकार है. जयपुर में भी एक निगम के दो टुकड़े कर हेरिटेज और ग्रेटर बनाया गया. 250 वार्ड किए गए. लेकिन इन वादों के हिसाब से न तो सफाई कर्मचारी बढ़ाएं, न संसाधन बढ़ाएं. आलम ये है कि वार्ड में सफाई नहीं हो रही. सीवरेज जाम है. पार्कों का रखरखाव नहीं हो रहा. सड़कें बनने का काम नहीं हो रहा. ये सरकार विकास को जमीन पर उतारने में फेल रही है.

बता दें कि नगरीय सीमा में शामिल होते ही ग्रामीण इलाका नगरीय विकास के दायरे में आ गया. ऐसे में 300 वर्गगज से अधिक क्षेत्रफल का व्यक्तिगत मकान, 1500 वर्ग फीट से ज्यादा का फ्लैट, 100 वर्गगज से बड़ी कमर्शियल और औद्योगिक संपत्ति के नाम पर यूडी टैक्स वसूला जाता है. वहीं नगरीय सीमा में शामिल होने के बाद 1000 वर्गगज की कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर डीएलसी की 3 गुणा गणना की जाती है.

जयपुर. प्रदेश में 37 नई नगर पालिकाओं का गठन किया (37 New municipalities formed in Jaipur) गया है. जिनमें 100 से ज्यादा गांव शामिल कर दिए गए. इन्हें बढ़ते माइग्रेशन और पॉपुलेशन के चलते नगरपालिका तो बना दिया गया. लेकिन इनमें से अधिकतर में शहरी सुविधाएं हाशिये पर हैं. इन नगर पालिकाओं में संसाधन पहुंचाए जाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन बिना वित्तीय संसाधनों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के ग्राम पंचायतों को नगरीय निकायों में तब्दील करने पर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया है.

स्वायत्त शासन विभाग ने जनसंख्या, प्रति व्यक्ति आय, आजीविका और दूसरे मानकों के आधार पर विभिन्न ग्राम पंचायतों को जोड़ते हुए 1 साल से भी कम समय में 37 नई नगर पालिका का गठन कर दिया. इसके पीछे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने तर्क दिया कि ग्राम पंचायतों में ज्यादा माइग्रेशन हो रहा है. छोटे-छोटे कस्बे भी बड़ा रूप लेते जा रहे हैं. जैसे-जैसे ग्राम पंचायतों की पापुलेशन बढ़ती जा रही है, और नगर पालिका के क्राइटेरिया में आते हैं, तो उन्हें नगर पालिका घोषित करना ही होता है. धीरे-धीरे नई नगरपालिका में भी संसाधन पहुंचाया जा रहे हैं.

मंत्री शांति धारीवाल का बयान

पढ़ें: HC ने जिन 17 नगर पालिकाओं के गठन को किया था रद्द, नई रूपरेखा तय कर दोबारा गठित

नगर पालिका के लिए ये तय किये गए थे मानक :

बीजेपी ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया: इन ग्राम पंचायतों के नगर पालिका बनने से यहां के बाशिंदों पर नगरीय विकास कर लागू हो गया है और कृषि भूमि की रजिस्ट्री कराना भी महंगा सौदा साबित हो रहा है. इससे राज्य सरकार को तो फायदा मिलेगा. लेकिन आम आदमी की जेब कट रही है. ऐसे में बीजेपी ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब सरकार के पास वित्तीय संसाधन, इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पैसा, सफाई कर्मचारी बढ़ाने की योजना नहीं तो उस स्थिति में नगरी निकाय बनाना उचित नहीं है. केवल घोषणा करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि घोषणा के आधार पर आम जनता को राहत दी जानी चाहिए.

सरकार न तो शहर का विकास कर पा रही न देहात का: बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि ये सरकार न तो शहरों का ढंग से विकास कर पा रही है. न देहात का. विकास के नाते से ये सरकार पूरी तरह नकारा सरकार है. जयपुर में भी एक निगम के दो टुकड़े कर हेरिटेज और ग्रेटर बनाया गया. 250 वार्ड किए गए. लेकिन इन वादों के हिसाब से न तो सफाई कर्मचारी बढ़ाएं, न संसाधन बढ़ाएं. आलम ये है कि वार्ड में सफाई नहीं हो रही. सीवरेज जाम है. पार्कों का रखरखाव नहीं हो रहा. सड़कें बनने का काम नहीं हो रहा. ये सरकार विकास को जमीन पर उतारने में फेल रही है.

बता दें कि नगरीय सीमा में शामिल होते ही ग्रामीण इलाका नगरीय विकास के दायरे में आ गया. ऐसे में 300 वर्गगज से अधिक क्षेत्रफल का व्यक्तिगत मकान, 1500 वर्ग फीट से ज्यादा का फ्लैट, 100 वर्गगज से बड़ी कमर्शियल और औद्योगिक संपत्ति के नाम पर यूडी टैक्स वसूला जाता है. वहीं नगरीय सीमा में शामिल होने के बाद 1000 वर्गगज की कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर डीएलसी की 3 गुणा गणना की जाती है.

Last Updated : Jul 2, 2022, 6:01 PM IST
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