जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीतिक उठापटक के दौरान साथ खड़े रहे विधायकों से यह वादा किया था कि वे उनके गार्जियन के तौर पर काम करेंगे. साथ ही ये भी कहा था कि कोई भी विधायक केवल विधायक नहीं रहेगा. अपने वादे को पूरा करने के लिए सीएम गहलोत ने 6 विधायकों को सलाहकार, 14 विधायकों को राजनीतिक नियुक्ति (CM Gehlot On Political Appointment) दे दी है.
कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ और विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर 'एडजस्ट' किया जा सकता है. लेकिन दिक्कत यह है कि सीएम ने विधायकों को पद तो दे दिए, लेकिन वे सभी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (Office Of Profit) में आते हैं. जिसके कारण उन्हें कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. हालांकि राजनीतिक नियुक्ति पाने वाले विधायकों के लिए सरकारी आदेश तो जारी हुए, लेकिन जो सीएम सलाहकार बनाए गए हैं, वे इस सरकारी आदेश से भी महरूम हैं. यही कारण है कि अब सलाहकार बनाए गए विधायक कुछ नाराज हैं.
सीएम के सलाहकार बनाए गए 6 विधायकों में से तीन तो अभी शांत हैं, लेकिन राजकुमार शर्मा, दानिश अबरार और संयम लोढ़ा ने खुलकर नौकरशाही और मंत्रियों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. नौकरशाही और मंत्रियों के जरिए अगर मुख्यमंत्री को सलाह देने के लिए बनाए गए सलाहकार ही सवाल उठाते हैं तो माना जाएगा कि वे सरकार के ऊपर ही सवाल उठा रहे हैं. इस लिहाज से गहलोत सरकार के लिए सीएम के सलाहकार ही सिरदर्द बन गए हैं.
ये सलाहकार उठा चुके हैं सवाल: दानिश अबरार- सवाई माधोपुर से कांग्रेस विधायक दानिश अबरार (MLA Danish Abrar Attacks Bureaucracy) उस समय अपनी ही सरकार से नाराज हो गए जब सवाई माधोपुर में होने वाली बिजनेस सम्मिट के कार्यक्रम की अतिथि सूची में उनका नाम नदारद था.
ऐसे में दानिश अबरार ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र (Abrar Letter To CM Gehlot) लिखते हुए यहां तक कह दिया कि जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से जनता में राजनीतिक मैसेज गलत जाएगा. अगर इसमें बदलाव नहीं किया गया तो वह कार्यक्रम का न केवल बहिष्कार करेंगे बल्कि काले झंडे दिखाते हुए विरोध भी करेंगे. इसके बाद सरकार ने इस मामले में दखल दिया तो ही ये कार्यक्रम हो सका. वहीं उर्दू पैराटीचर को लेकर भी उन्होंने नाराजगी जताई है.
राजकुमार शर्माः पूर्व मंत्री और विधायक राजकुमार शर्मा भी मुख्यमंत्री के 6 सलाहकारों में से एक हैं. राजकुमार शर्मा भी सलाहकार बनाए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं. हालांकि खुलकर तो इन्होंने यह बात नहीं कही. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने ही राजकुमार शर्मा ने कांग्रेस के चिंतन शिविर (Rajkumar Sharma In Congress Chintan Shivir) में नौकरशाही पर सवाल खड़े कर दिए. मुख्यमंत्री के सामने राजकुमार शर्मा ने यहां तक कह दिया कि अधिकारी सरकार चला जरूर सकते हैं, लेकिन वह सरकार बना नहीं सकते. ऐसे में कार्यकर्ताओं की सुनवाई होनी चाहिए.
संयम लोढ़ा: मुख्यमंत्री के सलाहकार बनाए गए विधायकों में तीन विधायक कांग्रेस पार्टी के तो तीन विधायक निर्दलीय हैं. सलाहकार बनाए गए कांग्रेस के विधायकों ने तो विधानसभा के बाहर ही सरकार पर सवाल खड़े किए. लेकिन निर्दलीय विधायक के तौर पर सरकार के सलाहकार बने संयम लोढ़ा ने तो सदन में ही सरकार को घेरने में कमी नहीं छोड़ी.
चाहें मंत्री बी डी कल्ला को विधानसभा में नियम कायदे नहीं मानने वाले विधायकों और नौकरशाहों के बचाव करने पर उनसे नोकझोंक करना हो या फिर मंत्री शांति धारीवाल के जवाब से संतुष्ट नहीं हो कर अपनी बात कहना हो. संयम लोढ़ा सदन में अपनी आवाज उठाते रहे हैं. यहां तक की संयम लोढ़ा ने तो विधानसभा में ये कह दिया कि हर कोई जानता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कोई सलाह नहीं दे सकता है. जब विपक्ष ने तंज कसते हुए उनसे सलाहकार पद से इस्तीफा मांगा तो उन्होंने कह दिया कि पहले उनके आदेश तो हो.