जयपुर. राजस्थान में 28 हजार पदों पर तैनात किए कोविड हेल्थ एडवाइजर को 31 मार्च को पद मुक्त करने से प्रदेश में (28 thousand covid Health Advisor relieved in rajasthan) सियासी बवाल खड़ा हो गया है. भाजपा ने आरोप लगाया है सरकार एक तरफ तो नए रोजगार सृजन करने के बात कहती है, और दूसरी तरफ कोरोना काल में अपनी सेवाएं देने वाले सीएचए की नौकरियां छीन रही है. दरअसल चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना हेल्थ एडवाइजर के पदों पर संविदा पर तैनात किए गए कार्मिकों को गत 31 मार्च को पद मुक्त करने का आदेश निकाला था. यह संख्या 28 हजार के करीब है.
इसका सीधा अर्थ है कि सरकार के इस आदेश से 28 हजार परिवार बेरोजगार हो गए हैं. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा का (mla ramlal sharma targets gehlot government) आरोप है कि कोरोना काल के दौरान इन्हीं सीएचए ने अपनी सेवाएं दी थी. अब जब इन्हें सरकार की जरूरत है तो सरकार अपने कदम पीछे खींच रही है. शर्मा ने कहा कि इन सभी पदों पर तैनात सीएचए को ही एडजस्ट किया जाना चाहिए था ताकि इनके परिवार का भरण पोषण चलता रहे. लेकिन प्रदेश सरकार और उसके मुखिया वादा कुछ और करते हैं और निर्णय कुछ और ही लेते हैं.
सरकार को पद मुक्त करने के बजाय पद नियमित करना चाहिए: शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट में मेडिकल हेल्थ वॉलिंटियर वॉच बनाने की घोषणा की थी. लेकिन अब इन कर्मचारियों को पद मुक्त किया जा रहा है. शर्मा ने ये भी आरोप लगाया कि अधिकतर सीएचए को पिछले कई माह से वेतन तक नहीं मिला. भाजपा ने कहा इन कोविड सहायकों को पद मुक्त करने के बजाय नियमित करने का काम सरकार को करना चाहिए.