जयपुर. भले ही शहर स्मार्ट सिटी बनता जा रहा है और यहां एसटीपी प्लांट्स को अपग्रेड किया जा रहा है. लेकिन यहां के शहरी सीवरेज सिस्टम को भी स्मार्ट बनाने की दरकार है. जनसंख्या बढ़ने के कारण परकोटे का सीवरेज सिस्टम तो पूरी तरह बिगड़ा हुआ है. इसके लिए अब 20 छोटी जेटिंग मशीन मंगवाई गई है.
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गौरतलब है कि 484 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जयपुर शहर की आबादी 40 लाख के करीब पहुंच चुकी है. लेकिन राजधानी जयपुर में अभी भी सीवरेज मैनेजमेंट को लेकर पुख्ता नीति तैयार नहीं की गई. कहने को तो जयपुर शहर स्मार्ट सिटी में शुमार हो रहा है. लेकिन आज भी आए दिन शहर के सीवरेज मेनहोल उफन पड़ते हैं और सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. परकोटे में तो ये समस्या आम है. इस पर महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा कि हेरिटेज सिटी काफी कन्जेस्टेड है. यहां सीवर लाइन पुरानी हो चुकी है और गलियां पतली है. इसके लिए छोटी सीवर जेटिंग मशीन मंगाई गई हैं. जो करीब 10 दिन में निगम के संसाधनों में जुड़ जाएंगी.
महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा कि जब महापौर का पदभार संभाला था, उस वक्त परकोटे के कई वार्डों का जायजा लिया था और उसी समय सीवर की समस्या सामने आने पर रूपरेखा तैयार की गई थी. दौरे में सामने आया था कि बड़ी गाड़ी से यहां सीवर की समस्या हल नहीं हो सकती, ऐसे में जयपुर हेरिटेज के लिए 20 छोटी जेटिंग मशीन ऑर्डर की गई और जल्द इस समस्या से हेरिटेज नगर निगम को निजात मिलेगी.
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बता दें कि शहर में हर दिन करीब 220 से 225 एमएलडी औद्योगिक और मानव अपशिष्ट जनरेट होता है. हालांकि राजधानी में इस अपशिष्ट को उपचारित करने के लिए पर्याप्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट मौजूद है और अब जयपुर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को आगामी 20 साल के मद्देनजर अपग्रेड किया जा रहा है. लेकिन शहर में सीवरेज मैनेजमेंट की पुख्ता नीति नहीं होने से आज भी कई जगह सीवरेज मेनहोल उफन पड़ते हैं.