जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान के शिविरों को 15 दिन के लिए रोका जा रहा है. डीएलबी डायरेक्टर ने स्पष्ट किया कि विभाग के पास पुनर्ग्रहण शुल्क (Reassumption charges) के तहत मकान मालिकों को नोटिस देने का अधिकार है. लेकिन अभी लोगों को जागरूक कर पट्टा लेने के लिए प्रेरित ही किया जाएगा.
राज्य सरकार की ओर से प्रशासन शहरों के संग अभियान में बांटे गए पट्टों की संख्या संतोषप्रद नहीं है. सरकार की ओर से लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को नोटिस देने से लेकर सस्पेंड करने तक कदम उठाए जा चुके हैं. बावजूद इसके अभियान को गति नहीं दी जा सकी. ऐसे में अब अभियान के शिविरों को 15 दिन का ब्रेक देकर उच्च अधिकारी निकायों में जाकर समस्याओं का समाधान भी करेंगे और पेंडिंग प्रकरणों का निपटारा भी करेंगे.
इस दौरान अधिकारी-कर्मचारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों से भी वार्ता की जाएगी. फिर 15 दिन बाद अभियान को नए सिरे से शुरू किया जाएगा. डीएलबी डायरेक्टर दीपक नंदी के अनुसार निकायों को 69ए, स्टेट ग्रांट, कच्ची बस्ती, अप्रूव्ड लेआउट प्लान को लेकर निर्देश दिए हुए हैं. लेकिन मंशा के अनुसार रिजल्ट नहीं मिला. ऐसे में 6 टीम 15 दिन विभिन्न जिलों में जाकर समस्या का समाधान करने में जुटेगी.
डीएलबी डायरेक्टर ने स्पष्ट किया कि जो पुनर्ग्रहण शुल्क ( Reassumption charges) के तहत मकान मालिकों को नोटिस देने का अधिकार है. लेकिन फिलहाल विभाग की कोशिश लोगों को जागरूक करने की ही है. पंपलेट, फ्लेक्स और विज्ञापन के माध्यम से आम जनता तक राज्य सरकार की ओर से दी गई छूट का प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है. वहीं 2 अक्टूबर से लेकर अब तक अभियान के दौरान जो भी संशोधन और छूट दी गई है, इसकी तीसरी मार्गदर्शिका जारी की जाएगी.
बता दें कि बीते दिनों एक समाचार पत्र में प्रदेश के 28 शहरों की अनुमोदित 3200 से ज्यादा कॉलोनियों के 2.5 लाख मकान मालिकों को नोटिस देने की खबर प्रकाशित होने के बाद से लोगों में डर का माहौल था. हालांकि विभाग मकान मालिकों को नोटिस नहीं, बल्कि पट्टा लेने के लिए प्रेरित करेगा.