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पतंगबाजी ने दिए बेजुबानों को जख्म, जयपुर में मांझे से घायल हुए 1257 पक्षी

जयपुर में मकर सक्रांति के दौरान पतंगबाजी से करीब 1257 पक्षी घायल हो गए. इनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल रहे. इन पक्षियों में कबूतरों की संख्या सबसे ज्यादा थी. घायल पक्षियों का इलाज कर रहे रक्षा एनजीओ के अध्यक्ष मनन ठोलिया ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर पर कबूतरों के अलावा ग्रे लेग गुज, इंडियन ईगल, उल्लू, बॉर्न आउल, स्पॉटेड आउल, काईट, टिटहरी, इंडियन रोलर, किंगफिशर (हंस चिड़िया) आदि को भी घायल अवस्था में लाया गया.

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Published : Jan 15, 2020, 6:52 PM IST

जयपुर में घायल पक्षी,  Injured bird in jaipur,  मांझे से घायल पक्षी,  Bird injured
पतंगबाजी के दौरान मांझे से घायल हुए 1257 पक्षी

जयपुर. पिंकसिटी में दो दिन मकर सक्रांति बड़े जोश के साथ मनाई गई. इस दौरान लोगों ने जमकर पतंगबाजी की. लेकिन यह पतंगबाजी बेजुबान पक्षियों पर भारी पड़ी. पतंगबाजी के दौरान मांझे से करीब 1257 पक्षी घायल हो गए. इनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल रहे.

पतंगबाजी के दौरान मांझे से घायल हुए 1257 पक्षी

पिंक सिटी जयपुर में मकर सक्रांति के दौरान घायल पक्षियों को अलग-अलग जगह पर बनाए गए रेस्क्यू सेंटर पर लाया गया. इन पक्षियों में कबूतरों की संख्या सबसे ज्यादा थी. यह पक्षी पतंगबाजी के दौरान इस्तेमाल किए गए खतरनाक मांझे से घायल हो गए. 300 से ज्यादा पक्षियों की पतंगबाजी के दौरान मौत भी हो गई. जयपुर शहर में वैशाली नगर, रामनिवास बाग, जवाहर नगर, पांच बत्ती, टोंक रोड, अशोक विहार नर्सरी, मालवीय नगर, मानसरोवर सहित करीब 6 से ज्यादा जगह पर स्वयं सेवी संस्थाओं, वन विभाग, पशुपालन विभाग ने पशु चिकित्सा शिविर भी लगाए हैं.

पढ़ेंः जयपुर: Showroom में लगी आग, करीब 50 लाख का नुकसान

मंगलवार सुबह घायल पक्षियों को लाने का सिलसिला शुरू हुआ जो बुधवार को भी चलता रहा. हालांकि इस बार चाइनीज मांझे के प्रति सरकार और जिला प्रशासन की जागरूकता का असर देखा गया. लोगों ने चाइनीज मांझे का इस्तेमाल नही किया. इसके कारण पक्षियों के घायल होने की संख्या पिछले साल के मुकाबले कम रही. रेस्क्यू सेंटर पर चील, कमेडी, टिटहरी, उल्लू आदि पक्षी घायल अवस्था में लाए गए. कबूतरों की संख्या इन में ज्यादा थी. अल्बर्ट हॉल के पास रक्षा एनजीओ की ओर से घायल पक्षियों के इलाज के लिए बड़ा रेस्क्यू सेंटर लगाया गया है.

पढ़ेंः जयपुर ट्रैफिक पुलिस चालान काटने के साथ ही पकड़ रही वाहन चोर

रक्षा एनजीओ के अध्यक्ष मनन ठोलिया ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर पर कबूतरों के अलावा ग्रे लेग गुज, इंडियन ईगल, उल्लू, बॉर्न आउल, स्पॉटेड आउल, काईट, टिटहरी, इंडियन रोलर, किंगफिशर ( हंस चिड़िया) आदि को भी घायल अवस्था में लाया गया. ग्रे लेग गुज रक्षा टीम को बेनाड रोड और इंडियन ईगल आउल वैशाली नगर में मिला. अल्बर्ट हॉल के पास लगे रक्षा के रेस्क्यू सेंटर पर करीब दो दर्जन से ज्यादा वॉलिंटियर और डॉक्टर पक्षियों के इलाज में लगे हुए हैं. इस कैम्प में पक्षियों के लिए एक ऑपरेशन थिएटर भी बनाया हुआ है. यहां करीब पौने चार सौ पक्षी घायल अवस्था मे लाये गये.

पढ़ेंः जयपुर: ऑपरेशन फ्री स्काई के तहत मांझे से घायल हुए पक्षियों का उपचार किया गया

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरविंद तोमर पक्षियों के प्रति संवेदनशील दिखे. वे पतंगबाजी में घायल हुए पक्षियों की सुध लेने पहुंचे. वैशाली नगर में लगाए गए कैंप में उन्होंने विजिट किया. उन्होंने एनजीओ टीम के वालंटियरों की तारीफ की. अशोक विहार में आपातकालीन पक्षी उपचार केंद्र में भी घायल कबूतर, बगुला, चील, तोता, कमेडी लाए गए. यहां इन घायल पशुओं का इलाज चल रहा है और जैसे ही ठीक होंगे इन्हें खुले आसमान में छोड़ दिया जाएगा. पतंगबाजी में कुछ ऐसे पक्षी भी घायल हुए उनमे कुछ ऐसे है जो विलुप्त होने के कगार पर है, यदि ऐसे ही पतंगबाजी में पक्षी घायल होकर मरते रहे तो रहे तो आने वाली पीढ़ीयों को पक्षी प्रदर्शनी और मूर्तियों में ही देखने को मिलेगा.

जयपुर. पिंकसिटी में दो दिन मकर सक्रांति बड़े जोश के साथ मनाई गई. इस दौरान लोगों ने जमकर पतंगबाजी की. लेकिन यह पतंगबाजी बेजुबान पक्षियों पर भारी पड़ी. पतंगबाजी के दौरान मांझे से करीब 1257 पक्षी घायल हो गए. इनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल रहे.

पतंगबाजी के दौरान मांझे से घायल हुए 1257 पक्षी

पिंक सिटी जयपुर में मकर सक्रांति के दौरान घायल पक्षियों को अलग-अलग जगह पर बनाए गए रेस्क्यू सेंटर पर लाया गया. इन पक्षियों में कबूतरों की संख्या सबसे ज्यादा थी. यह पक्षी पतंगबाजी के दौरान इस्तेमाल किए गए खतरनाक मांझे से घायल हो गए. 300 से ज्यादा पक्षियों की पतंगबाजी के दौरान मौत भी हो गई. जयपुर शहर में वैशाली नगर, रामनिवास बाग, जवाहर नगर, पांच बत्ती, टोंक रोड, अशोक विहार नर्सरी, मालवीय नगर, मानसरोवर सहित करीब 6 से ज्यादा जगह पर स्वयं सेवी संस्थाओं, वन विभाग, पशुपालन विभाग ने पशु चिकित्सा शिविर भी लगाए हैं.

पढ़ेंः जयपुर: Showroom में लगी आग, करीब 50 लाख का नुकसान

मंगलवार सुबह घायल पक्षियों को लाने का सिलसिला शुरू हुआ जो बुधवार को भी चलता रहा. हालांकि इस बार चाइनीज मांझे के प्रति सरकार और जिला प्रशासन की जागरूकता का असर देखा गया. लोगों ने चाइनीज मांझे का इस्तेमाल नही किया. इसके कारण पक्षियों के घायल होने की संख्या पिछले साल के मुकाबले कम रही. रेस्क्यू सेंटर पर चील, कमेडी, टिटहरी, उल्लू आदि पक्षी घायल अवस्था में लाए गए. कबूतरों की संख्या इन में ज्यादा थी. अल्बर्ट हॉल के पास रक्षा एनजीओ की ओर से घायल पक्षियों के इलाज के लिए बड़ा रेस्क्यू सेंटर लगाया गया है.

पढ़ेंः जयपुर ट्रैफिक पुलिस चालान काटने के साथ ही पकड़ रही वाहन चोर

रक्षा एनजीओ के अध्यक्ष मनन ठोलिया ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर पर कबूतरों के अलावा ग्रे लेग गुज, इंडियन ईगल, उल्लू, बॉर्न आउल, स्पॉटेड आउल, काईट, टिटहरी, इंडियन रोलर, किंगफिशर ( हंस चिड़िया) आदि को भी घायल अवस्था में लाया गया. ग्रे लेग गुज रक्षा टीम को बेनाड रोड और इंडियन ईगल आउल वैशाली नगर में मिला. अल्बर्ट हॉल के पास लगे रक्षा के रेस्क्यू सेंटर पर करीब दो दर्जन से ज्यादा वॉलिंटियर और डॉक्टर पक्षियों के इलाज में लगे हुए हैं. इस कैम्प में पक्षियों के लिए एक ऑपरेशन थिएटर भी बनाया हुआ है. यहां करीब पौने चार सौ पक्षी घायल अवस्था मे लाये गये.

पढ़ेंः जयपुर: ऑपरेशन फ्री स्काई के तहत मांझे से घायल हुए पक्षियों का उपचार किया गया

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरविंद तोमर पक्षियों के प्रति संवेदनशील दिखे. वे पतंगबाजी में घायल हुए पक्षियों की सुध लेने पहुंचे. वैशाली नगर में लगाए गए कैंप में उन्होंने विजिट किया. उन्होंने एनजीओ टीम के वालंटियरों की तारीफ की. अशोक विहार में आपातकालीन पक्षी उपचार केंद्र में भी घायल कबूतर, बगुला, चील, तोता, कमेडी लाए गए. यहां इन घायल पशुओं का इलाज चल रहा है और जैसे ही ठीक होंगे इन्हें खुले आसमान में छोड़ दिया जाएगा. पतंगबाजी में कुछ ऐसे पक्षी भी घायल हुए उनमे कुछ ऐसे है जो विलुप्त होने के कगार पर है, यदि ऐसे ही पतंगबाजी में पक्षी घायल होकर मरते रहे तो रहे तो आने वाली पीढ़ीयों को पक्षी प्रदर्शनी और मूर्तियों में ही देखने को मिलेगा.

Intro:जयपुर। पिंकसिटी जयपुर में दो दिन मकर सक्रांति बड़े जोश के साथ मनाई गई। इस दौरान लोगों ने जमकर पतंगबाजी की लेकिन यह पतंगबाजी बेजुबान पक्षियों पर भारी पड़ी। पतंगबाजी के दौरान मांझे से करीब 1257 पक्षी घायल हो गए। इनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल रहे।


Body:पिंक सिटी जयपुर में मकर सक्रांति के दौरान घायल पक्षियों को अलग-अलग जगह पर बनाए गए रेस्क्यू सेंटर पर लाया गया। इन पक्षों में कबूतरों की संख्या सबसे ज्यादा थी। यह पक्षी पतंगबाजी के दौरान इस्तेमाल किए गए खतरनाक मांझे से घायल हो गए। 300 से ज्यादा पक्षियों की पतंगबाजी के दौरान मौत भी हो गई। जयपुर शहर में वैशाली नगर, रामनिवास बाग, जवाहर नगर, पांच बत्ती, टोंक रोड, अशोक विहार नर्सरी, मालवीय नगर, मानसरोवर सहित करीब 1 दर्जन से ज्यादा जगह पर स्वयं सेवी संस्थाओं, वन विभाग, पशुपालन विभाग ने पशु चिकित्सा शिविर भी लगाए हैं। मंगलवार सुबह घायल पक्षियों को लाने सिलसिला शुरू हुआ जो बुधवार को भी चलता रहा। हालांकि इस बार चाइनीज मांझे के प्रति सरकार और जिला प्रशासन के जागरूकता का असर देखा गया। लोगों ने चाइनीज मांझे का इस्तेमाल नही किया इसके कारण पक्षियों के घायल होने की संख्या पिछले साल के मुकाबले कम रही। रेस्क्यू सेंटर पर चील, कमेडी, टिटहरी, उल्लू आदि पक्षी घायल अवस्था में लाए गए। कबूतरों की संख्या इन में ज्यादा थी अल्बर्ट हॉल के पास रक्षा एनजीओ की ओर से घायल पक्षियों के इलाज के लिए बड़ा रेस्क्यू सेंटर लगाया गया है।
रक्षा के अध्यक्ष मनन ठोलिया ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर पर कबूतरों के अलावा ग्रे लेग गुज, इंडियन ईगल आउल, बॉर्न आउल, स्पॉटेड आउल, काईट, टिटहरी, इंडियन रोलर, किंगफिशर ( हंस चिड़िया) आदि को भी घायल अवस्था में लाया गया। ग्रे लेग गुज रक्षा टीम को बेनाड रोड और इंडियन ईगल आउल वैशाली नगर में मिला। अल्बर्ट हॉल के पास लगे रक्षा के रेस्क्यू सेंटर पर करीब दो दर्जन से ज्यादा वॉलिंटियर और डॉक्टर पक्षियों के इलाज में लगे हुए हैं। इस कैम्प में पक्षियों के लिए एक ऑपरेशन थिएटर भी बनाया हुआ है। यहाँ करीब पौने चार सौ पक्षी घायल अवस्था मे लाये गये।
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरविंद तोमर भी पक्षियों के प्रति संवेदनशील दिखे। वे पतंगबाजी में घायल हुए पक्षियों की सुध लेने पहुंचे। वैशाली नगर में लगाए गए कैंप में उन्होंने विजिट किया। उन्होंने एनजीओ टीम के वालंटियरों की तारीफ की।
अशोक विहार में आपातकालीन पक्षी उपचार केंद्र में भी घायल कबूतर, बगुला, चील, तोता, कमेडी लाए गए यहां इन घायल पशुओं का इलाज चल रहा है और जैसे ही ठीक होंगे इन्हें खुले आसमान में छोड़ दिया जाएगा।




Conclusion:
पतंगबाजी में कुछ ऐसे पक्षी भी घायल हुए उनमे कुछ ऐसे है जो विलुप्त होने के कगार पर है, यदि ऐसे ही पतंगबाजी में पक्षी घायल होकर मरते रहे तो रहे तो आने वाली पीढ़ीयों को पक्षी प्रदर्शनी और मूर्तियों में ही देखने को मिलेगा।

बाईट 1. मनन ठोलिया, अध्यक्ष रक्षा
2. भैरोंसिंह जाट, वनपाल

नोट खबर के साथ रो मैटीरियल भी भेजा जा रहा है
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