जयपुर. कोरोना महामारी के बाद अब इंडिया स्टोन मार्ट के 11वें संस्करण की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. इसका आयोजन जयपुर में किया (11th edition of India Stone Mart in November) जाएगा. इस संबंध में एसीएस डॉ सुबोध अग्रवाल ने गुरुवार को उच्चस्तरीय बैठक ली और तैयारियों की समीक्षा कर आवश्यक निर्देश दिए.
इस बार स्टोन मार्ट में प्रदेश के डायमेंशनल स्टोन को प्रभावी तरीके से प्रदर्शित किया जाएगा. राज्य में प्राकृतिक आयामी (डायमेंशनल स्टोन) पत्थरों के विपुल भण्डारों के साथ ही वृहद श्रृंखला है. राजस्थान सहित, देश दुनिया के खननकर्ता, उत्पादकों, विपणनकर्ताओं और तकनीकी विषेशज्ञों के लिए यह स्टोन मार्ट इस मायने में महत्वपूर्ण हो जाता है कि कोरोना महामारी के बाद इस तरह का पहला विश्वस्तरीय आयोजन होने जा रहा है.
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एसीएस डॉ सुबोध अग्रवाल ने गुरुवार को इंडिया स्टोन मार्ट में राज्य के इस क्षेत्र से जुड़े प्रतिष्ठानों की भागीदारी को लेकर निदेशक माइंस प्रदीप गवांडे, उपसचिव नीतू बारुपाल व अन्य अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक ली. इससे पहले उन्होंने बुधवार को माइंस विभाग, राज्य सरकार की आयोजक संस्था सीडोस के मुख्य कार्यकारी मुकुल रस्तोगी, सह आयोजक फिक्की के एएसजी बलविन्दर सिंह, फिक्की के ही गिरिश गुप्ता सहित अन्य के साथ बैठक कर तैयारियों और प्रतिभागियों के संबंध में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि आयोजन में अधिक से अधिक व गुणात्मक प्रदर्शन सुनिश्चित किया जाएगा.
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डॉ अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में डायमेंशनल स्टोन में मार्बल, ग्रेनाइट, सेंड स्टोन, कोटा स्टोन, क्वार्टज स्टोन के साथ ही प्रदेश के बंशी पहाड़पुर, जैसलमेर के स्टोन, सिकन्दरा स्टोन आदि विश्वस्तरीय स्टोन की मांग देश दुनिया में है. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही प्रदेश में पत्थर उद्योग से जुड़ी मशीनरी की अपनी पहचान है. ऐसे में इंडिया स्टोन मार्ट में प्रदेश के जाने माने औद्योगिक घरानों व प्रतिष्ठानों की भागीदारी महत्वपूर्ण हो जाती है. डॉ अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तर पर निदेशक माइंस प्रदीप गवांडे और उप सचिव नीतू बारुपाल मोनेटरिंग कर रही हैं.
वहीं अतिरिक्त निदेशक जयपुर बीएस सोढ़ा, उदयपुर व जोधपुर महेश माथुर, कोटा महावीर मीणा व जय गुरुबख्सानी व एसएमई जयपुर प्रताप मीणा को समन्वयक अधिकारी बनाया गया है. उन्होंने बताया कि समन्वयक अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे राज्य की स्टोन्स से जुड़े प्रतिष्ठानों से सीधा संवाद कायम करें और राज्य की खनिज संपदा से रुबरु कराते हुए निर्यात की संभावनाओं को गति दिलाएं. उन्होंने बताया कि स्टोन्स से जुड़े हैण्डीक्राफ्ट के भी प्रदर्शन से देशी-विदेशी क्रेता-विक्रेताओं से रुबरु कराया जा सकेगा.