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हेरीटेज वॉक के साथ तीन दिवसीय इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल का शानदार आगाज

बीकानेर में इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल का आगाज रविवार को (Camel festival starts In bikaner) हुआ. तीन दिवसीय समारोह की शुरूआत हेरिटेज वॉक से हुई. शहर की अहम सड़कों और गलियों से होता हुआ ऊंटों और रंग बिरंगी पोशाकों में ढले कलाकारों का ग्रुप गुजरा तो बीते वक्त की खट्टी यादें मीठी हो गईं.

Camel festival starts In bikaner
इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल का शानदार आगाज
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Published : Mar 6, 2022, 11:50 AM IST

बीकानेर. रसगुल्ले और भुजिया के लिए पूरी दुनिया में मशहूर बीकानेर अपने कैमल फेस्टिवल (Camel festival starts In bikaner) के आयोजन के लिए भी जाना जाता है. हर साल जनवरी के महीने में आयोजित होने वाला इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल इस साल मार्च में आयोजित हो रहा है. पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त आयोजन में रविवार को तीन दिवसीय कैमल फेस्टिवल का आगाज हेरिटेज वॉक के साथ हुआ.

शहर के लक्ष्मीनाथ मंदिर से रामपुरिया हवेली तक हेरीटेज वॉक में सजे धजे रंग-बिरंगे पगड़ियां पहने रौबीले ऊंटो के सवार और अलग-अलग समूह में नृत्य करते हुए बीकानेर की परंपरा को प्रदर्शित कलाकार सजीले लग रहे थे. हेरिटेज वॉक के करीब डेढ़ किलोमीटर के सफर में संभागीय आयुक्त नीरज के पवन, जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद, एसपी योगेश यादव और डीआईजी बीएसएफ पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और आमजन भी मौजूद रहे.

इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल का शानदार आगाज

पढ़ें- खेल और साहित्य के मंच पर भी चमकेगा महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय का नाम, निखरेंगी प्रतिभाएं...बढ़ेगा बीकानेर का मान

बीकानेर के साथ ही देश की संस्कृति को आमजन से रूबरू करवाने के लिए हेरिटेज वॉक में आदिवासी नृत्य के साथ ही राजस्थानी नृत्य और अलगोजा और अन्य तरह के वाद्य यंत्रों के साथ कलाकार चल रहे थे.

संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने बताया कि निश्चित रूप से बीकानेर की पहचान पूरी दुनिया में इस कैमल फेस्टिवल के चलते भी है और पिछले साल जहां कोरोना के चलते ही स्वस्थ जीवन का आयोजन नहीं हो पाया. इस साल जनवरी में इसे निरस्त कर दिया गया लेकिन अब स्थिति सामान्य है ऐसे में इसे फिर से आयोजित किया गया है. उन्होंने कहा कि कैमल फेस्टिवल से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और जिस उद्देश्य के साथ इस बार कैमल फेस्टिवल को मार्च में किया गया है उम्मीद करते हैं कि वह उद्देश्य भी पूरा होगा.

डीआईजी बीएसएफ पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि बीएसएफ की लाइफ लाइन हैं ऊंट. चाहें बात सीमा पर सुरक्षा की हो या राष्ट्रीय पर्व पर राजपथ पर परेड की ये हमेशा साथ निभाते हैं. ये हमारी संस्कृति की पहचान भी हैं. कैमल फेस्टिवल का उद्देश्य भी शायद यही है. बीकानेरियत पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से बीकानेर की पहचान अपनी संस्कृति से है और कैमल फेस्टिवल से हमारी संस्कृति को देश और दुनिया देखती है.

होंगे विभिन्न तरह के आयोजन: रविवार को उष्ट्र अनुसंधान केंद्र में कैमल फेस्टिवल के तहत ऊंट सजावट, दौड़, मिस्टर बीकाणा, मिस मरवण कुश्ती रस्साकशी और महिलाओं की मटका दौड़ के साथ ही ऊंट फर कटिंग जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

बीकानेर. रसगुल्ले और भुजिया के लिए पूरी दुनिया में मशहूर बीकानेर अपने कैमल फेस्टिवल (Camel festival starts In bikaner) के आयोजन के लिए भी जाना जाता है. हर साल जनवरी के महीने में आयोजित होने वाला इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल इस साल मार्च में आयोजित हो रहा है. पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त आयोजन में रविवार को तीन दिवसीय कैमल फेस्टिवल का आगाज हेरिटेज वॉक के साथ हुआ.

शहर के लक्ष्मीनाथ मंदिर से रामपुरिया हवेली तक हेरीटेज वॉक में सजे धजे रंग-बिरंगे पगड़ियां पहने रौबीले ऊंटो के सवार और अलग-अलग समूह में नृत्य करते हुए बीकानेर की परंपरा को प्रदर्शित कलाकार सजीले लग रहे थे. हेरिटेज वॉक के करीब डेढ़ किलोमीटर के सफर में संभागीय आयुक्त नीरज के पवन, जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद, एसपी योगेश यादव और डीआईजी बीएसएफ पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और आमजन भी मौजूद रहे.

इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल का शानदार आगाज

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बीकानेर के साथ ही देश की संस्कृति को आमजन से रूबरू करवाने के लिए हेरिटेज वॉक में आदिवासी नृत्य के साथ ही राजस्थानी नृत्य और अलगोजा और अन्य तरह के वाद्य यंत्रों के साथ कलाकार चल रहे थे.

संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने बताया कि निश्चित रूप से बीकानेर की पहचान पूरी दुनिया में इस कैमल फेस्टिवल के चलते भी है और पिछले साल जहां कोरोना के चलते ही स्वस्थ जीवन का आयोजन नहीं हो पाया. इस साल जनवरी में इसे निरस्त कर दिया गया लेकिन अब स्थिति सामान्य है ऐसे में इसे फिर से आयोजित किया गया है. उन्होंने कहा कि कैमल फेस्टिवल से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और जिस उद्देश्य के साथ इस बार कैमल फेस्टिवल को मार्च में किया गया है उम्मीद करते हैं कि वह उद्देश्य भी पूरा होगा.

डीआईजी बीएसएफ पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि बीएसएफ की लाइफ लाइन हैं ऊंट. चाहें बात सीमा पर सुरक्षा की हो या राष्ट्रीय पर्व पर राजपथ पर परेड की ये हमेशा साथ निभाते हैं. ये हमारी संस्कृति की पहचान भी हैं. कैमल फेस्टिवल का उद्देश्य भी शायद यही है. बीकानेरियत पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से बीकानेर की पहचान अपनी संस्कृति से है और कैमल फेस्टिवल से हमारी संस्कृति को देश और दुनिया देखती है.

होंगे विभिन्न तरह के आयोजन: रविवार को उष्ट्र अनुसंधान केंद्र में कैमल फेस्टिवल के तहत ऊंट सजावट, दौड़, मिस्टर बीकाणा, मिस मरवण कुश्ती रस्साकशी और महिलाओं की मटका दौड़ के साथ ही ऊंट फर कटिंग जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

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