बीकानेर. पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही विश्व मानचित्र बीकानेर को अलग पहचान देने के उद्देश्य से लगातार 27 साल से बीकानेर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव का विधिवत आगाज शनिवार को हुआ. बीकानेर के प्राचीन जूनागढ़ से निकली शोभायात्रा डॉ. करणी सिंह स्टेडियम पहुंची जहां दिनभर उत्सव के आयोजन हुए.
जूनागढ़ से रवाना हुई शोभायात्रा में राजस्थान की संस्कृति का परिचय देते सजी-धजी काफिले के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों की वेशभूषा में शोभायात्रा में लोग शामिल हुए. रेगिस्तान के जहाज के नाम कहे जाने वाले ऊंट भी अपने नाम से आयोजित होने वाले उत्सव के आगाज को लेकर निकली शोभायात्रा में भी सजे धजे नजर आ रहे थे. करणी सिंह स्टेडियम पहुंचने के रास्ते में शोभायात्रा अपने पूरे चरम पर थी.
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राजस्थानी गीत संगीत की स्वर लहरियों के बीच शोभायात्रा करणी सिंह स्टेडियम पहुंचते ही जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम और एसपी प्रदीप मोहन शर्मा ने सफेद कबूतर और गुब्बारे उड़ाकर अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव के शुभारंभ की घोषणा की. इसके साथ ही राजस्थान की परंपरा के अनुसार मेहमानों के स्वागत के लिए गाए जाने वाले गीत "केसरिया बालम पधारो म्हारे देश" गीत से ऊंट उत्सव में में आए देशी और विदेशी सैलानियों का स्वागत किया गया.
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इसके बाद सिख एलाई के बैगपाइपर बैंड ने देश भक्ति और लोक संस्कृति के गीतों क् माध्यम से आयोजन को यादगार बना दिया. इस दौरान बैगपाइपर बैंड ने अनेक तरह के करतब भी दिखाए. सजे धजे ऊंटों के काफिले की एक झलक पाने के लिए सैलानियों में जबरदस्त उत्साह दिखा. इसके बाद ऊंटों पर की गई फर कटिंग का प्रदर्शन भी लाजवाब था. इस दौरान ऊंट पालक अपना हुनर भी बता रहे थे. इन सबके बाद सामने आई वह प्रस्तुति जिसने हर किसी को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया यानी कि ऊंट उत्सव के आयोजन का सबसे यादगार लम्हा. नगाड़ों की थाप पर थिरकते ऊंटों को देखकर करणी सिंह स्टेडियम में मौजूद हर शख्स अपने हाथों को खोलने पर मजबूर हो गया और ताली बजाकर ऊंटों की इस लाजवाब प्रस्तुति पर तालीयां बजाता नजर आया.
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ऊंट उत्सव के लिए खासतौर से बीकानेर आए विदेशी सैलानियों ने भी अपने कैमरे में इन लम्हों को कैद किया. फ्रांस से आई पर्यटक युवतियों का कहना था कि उनके लिए यह बेहद खास अनुभव रहा है और राजस्थान की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिला. उन्होंने राजस्थानी भोजन के स्वाद की भी जमकर तारीफ की. ऊंट उत्सव का समापन रविवार को होगा. रविवार को सुबह शहर में हैरिटेज वॉक के आयोजन से दूसरे दिन के कार्यक्रम का आगाज होगा. जिसके बाद उष्ट्र अनुसंधान केंद्र में ऊंट दौड़ और घुड़दौड़ के साथ ही करणी सिंह स्टेडियम में रस्साकशी, कुश्ती मटका दौड़, ऊंट नृत्य, साफा बांधने की प्रतियोगिता और विभिन्न अंचलों के कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बाद आतिशबाजी से उत्सव का समापन होगा.