बीकानेर. 26 सितंबर से शुरू शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2022) के इस महापर्व में दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) स्वरूप की पूजा होती है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है.
पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तपस्या की आचरण वाली देवी हैं. उन्होंने कहा कि मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा तपस्या करते हुए करनी चाहिए. सनातन धर्म में देवी की उपासना का यह महापर्व है और देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व है. वे कहते हैं कि जो तपस्वी होता है. उसके आचरण के मुताबिक उसे सभी प्रकार के नैवेद्य स्वीकार होते हैं. लेकिन मां दुर्गा की पूजा अर्चना में खीर का बड़ा महत्व है. उन्होंने आगे बताया कि मां ब्रह्मचारिणी तपस्वी रूप में प्रकट हुई और उनके हाथ में कमंडल माला और पदम धारण किया होता है.
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कनेरी पुष्प का महत्व: पंडित किराडू ने बताया कि वैसे तो पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी प्रकार के पुष्पों का अपना महत्व है और देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं, लेकिन यदि शास्त्र अनुसार बात करें तो कनेरी का पुष्प देवी को अति प्रिय है. इसके तो 108 नाम या फिर इससे ज्यादा हजार नाम से अर्चन करते हुए देवी को अर्पण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शुद्ध मन से और अपनी सामर्थ्य अनुसार देवी को लगाए गए भोग का फल मिलता है और देवी को भी वह भोग स्वीकार होता है. लेकिन यदि पसंद की बात करें तो देवी की आराधना में नेवैद्य में खीर मालपुआ का भोग लगाना चाहिए और इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है.