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बीकानेर में तीनों नगरपालिकाओं में अध्यक्ष चुनाव में क्रॉस वोटिंग का खतरा, नेताओं की प्रतिष्ठा है दांव पर

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Published : Feb 6, 2021, 9:40 PM IST

तीन नगर पालिकाओं नोखा, श्रीडूंगरगढ़, और देशनोक में अध्यक्ष का चुनाव रविवार को होगा. अध्यक्ष के चुनाव के पहले दोनों ही पार्टियां अपने स्तर पर बाड़ेबंदी में जुटी हुई हैं. हालांकि परिणाम के बाद से दोनों ही पार्टियों अपने पार्षदों की बाड़ेबंदी कर चुकी हैं, लेकिन दोनों ही दलों में भितरघात का खतरा है. ऐसे में अब अध्यक्ष का चुनाव को लेकर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

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बीकानेर में निकाय चुनाव

बीकानेर. जिले की तीन नगर पालिकाओं नोखा, श्रीडूंगरगढ़, और देशनोक में अध्यक्ष का चुनाव रविवार को होगा. अध्यक्ष के चुनाव के पहले दोनों ही पार्टियां अपने स्तर पर बाड़ेबंदी में जुटी हुई हैं. हालांकि परिणाम के बाद से दोनों ही पार्टियों अपने पार्षदों की बाड़ेबंदी कर चुकी हैं, लेकिन दोनों ही दलों में भितरघात का खतरा है. ऐसे में अब अध्यक्ष का चुनाव को लेकर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

नोखा में भाजपा को चमत्कार की उम्मीद

मतदान से पहले ही कांग्रेस यहां अध्यक्ष की रेस से बाहर हो चुकी है. दरअसल कांग्रेस ने यहां अपना कोई भी प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था और अंदर खाने में नोखा विकास मंच को समर्थन की बात कही जा रही है. नोखा नगरपालिका में लगातार चौथी बार नोखा विकास मंच ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया है और इस बार भी कांग्रेस ने यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा और विकास मंच और भाजपा के बीच सीधे मुकाबले में विकास मंच में कुल 45 में से 28 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया. लेकिन 15 सीटें जीतने वाली भाजपा ने बहुमत से दूर होने के बाद भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है.

पढे़ं: राजस्थान निकाय चुनाव 2021: 46 निकायों में निर्दलीय के हाथ में कांग्रेस-भाजपा का भविष्य

विकास मंच के प्रत्याशियों ने वर्तमान नगर पालिका चेयरमैन नारायण झंवर का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी और पूर्व नगरपालिका चेयरमैन श्रीनिवास झंवर से है. श्रीनिवास झंवर रिश्ते में नारायण झंवर के चाचा हैं, हालांकि यहां नारायण काफी मजबूत स्थिति में हैं. लेकिन चाचा श्रीनिवास झंवर के नामांकन दाखिल करने के बाद भाजपा को यहां चमत्कार की उम्मीद है.

श्रीडूंगरगढ़ में भाजपा का मेयर बनना तय

पिछले 25 सालों से भी ज्यादा समय से लगातार श्री डूंगरगढ़ में भाजपा शासित नगरपालिका बोर्ड रहा है और एक बार फिर भाजपा को यहां बहुमत भी हासिल हो गया. कुल 40 सीटों की इस नगरपालिका में भाजपा को 23 सीटें मिली तो वहीं कांग्रेस को 14 सीटें हासिल हुई. भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भाजपा में हुई आपसी अंतरकलह के बाद यहां मुकाबला रोचक हो गया है. दरअसल कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही यहां अपना प्रत्याशी उतारा तो कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी ने भी पर्चा दाखिल किया.

लेकिन नाम वापसी के पहले कांग्रेस ने स्थिति को देख यहां रणनीति बदलते हुए न सिर्फ अपने अधिकृत प्रत्याशी का नामांकन वापस लिया. बल्कि बागी होकर मैदान में नामांकन दाखिल करने वाले प्रत्याशी को भी समझा इस कर उसका नामांकन वापिस करवाया. दरअसल भाजपा की ओर से अधिकृत प्रत्याशी मालाराम शर्मा के मुकाबले भाजपा की ही बागी प्रीति शर्मा ने यहां नामांकन दाखिल किया और पार्टी से बगावत कर दी उसके बाद कांग्रेस ने भाजपा की फूट का फायदा उठाते हुए अपने प्रत्याशी का नामांकन वापस करवाया और भाजपा के बागी को अंदरखाने में समर्थन दे दिया है.

दरअसल यहां देहात भाजपा अध्यक्ष ताराचंद सारस्वत और कांग्रेस के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा के बीच सीधी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की लड़ाई देखने को मिल रही है. ऐसे में कहीं न कहीं मंगलाराम गोदारा की कोशिश है कि बहुमत मिलने के बावजूद भी भाजपा में हुई अंतर कलह के चलते यहां भाजपा को बोर्ड बनाने से रोका जाए. हालांकि बाड़ेबंदी में भाजपा के कुल जीते 23 में से 22 पार्षद बताए जा रहे हैं और ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि यहां बगावत का कोई असर नहीं होगा और पार्टी अपना बोर्ड बनाएगी.

दरअसल कांग्रेस को यहां बोर्ड बनाने के लिए कुल 21 पार्षदों की जरूरत है. जिसमें से 14 कांग्रेस के एक भाजपा का बागी और दो निर्दलीय के साथ ही भाजपा में भी क्रॉस वोटिंग के सहारे कांग्रेस यहां बोर्ड बनाने की कोशिश में जुटी हुई है.

देशनोक में निर्दलीय बनेंगे किंगमेकर

जिले की सबसे छोटी नगर पालिका में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है और दोनों ही दलों को यहां बहुमत हासिल नहीं हुआ. दोनों ही दल निर्दलीय के भरोसे अपना बोर्ड बनाने की जुगत में हैं. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल और प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी के बीच यहां सीधा मुकाबला नजर आ रहा है. दरअसल देशनोक कोलायत विधानसभा का क्षेत्र है और भंवरसिंह भाटी कोलायत से विधायक हैं. ऐसे में भाटी की कोशिश है कि यहां निर्दलीयों के सहारे कांग्रेस का बोर्ड बने तो वहीं भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने यहां वार्ड घूम कर चुनाव प्रचार किया और एक बार फिर उनकी कोशिश है कि लगातार एक बार फिर यहां भाजपा का बोर्ड कायम रहे. 25 सीटों की इस नगरपालिका में कांग्रेस के 11 भाजपा के 10 और चार निर्दलीय पार्षद जीते हैं. ऐसे में बोर्ड बनाने के लिए दोनों ही पार्टियों को निर्दलीय के सहारे की जरूरत है.

बीकानेर. जिले की तीन नगर पालिकाओं नोखा, श्रीडूंगरगढ़, और देशनोक में अध्यक्ष का चुनाव रविवार को होगा. अध्यक्ष के चुनाव के पहले दोनों ही पार्टियां अपने स्तर पर बाड़ेबंदी में जुटी हुई हैं. हालांकि परिणाम के बाद से दोनों ही पार्टियों अपने पार्षदों की बाड़ेबंदी कर चुकी हैं, लेकिन दोनों ही दलों में भितरघात का खतरा है. ऐसे में अब अध्यक्ष का चुनाव को लेकर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

नोखा में भाजपा को चमत्कार की उम्मीद

मतदान से पहले ही कांग्रेस यहां अध्यक्ष की रेस से बाहर हो चुकी है. दरअसल कांग्रेस ने यहां अपना कोई भी प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था और अंदर खाने में नोखा विकास मंच को समर्थन की बात कही जा रही है. नोखा नगरपालिका में लगातार चौथी बार नोखा विकास मंच ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया है और इस बार भी कांग्रेस ने यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा और विकास मंच और भाजपा के बीच सीधे मुकाबले में विकास मंच में कुल 45 में से 28 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया. लेकिन 15 सीटें जीतने वाली भाजपा ने बहुमत से दूर होने के बाद भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है.

पढे़ं: राजस्थान निकाय चुनाव 2021: 46 निकायों में निर्दलीय के हाथ में कांग्रेस-भाजपा का भविष्य

विकास मंच के प्रत्याशियों ने वर्तमान नगर पालिका चेयरमैन नारायण झंवर का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी और पूर्व नगरपालिका चेयरमैन श्रीनिवास झंवर से है. श्रीनिवास झंवर रिश्ते में नारायण झंवर के चाचा हैं, हालांकि यहां नारायण काफी मजबूत स्थिति में हैं. लेकिन चाचा श्रीनिवास झंवर के नामांकन दाखिल करने के बाद भाजपा को यहां चमत्कार की उम्मीद है.

श्रीडूंगरगढ़ में भाजपा का मेयर बनना तय

पिछले 25 सालों से भी ज्यादा समय से लगातार श्री डूंगरगढ़ में भाजपा शासित नगरपालिका बोर्ड रहा है और एक बार फिर भाजपा को यहां बहुमत भी हासिल हो गया. कुल 40 सीटों की इस नगरपालिका में भाजपा को 23 सीटें मिली तो वहीं कांग्रेस को 14 सीटें हासिल हुई. भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भाजपा में हुई आपसी अंतरकलह के बाद यहां मुकाबला रोचक हो गया है. दरअसल कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही यहां अपना प्रत्याशी उतारा तो कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी ने भी पर्चा दाखिल किया.

लेकिन नाम वापसी के पहले कांग्रेस ने स्थिति को देख यहां रणनीति बदलते हुए न सिर्फ अपने अधिकृत प्रत्याशी का नामांकन वापस लिया. बल्कि बागी होकर मैदान में नामांकन दाखिल करने वाले प्रत्याशी को भी समझा इस कर उसका नामांकन वापिस करवाया. दरअसल भाजपा की ओर से अधिकृत प्रत्याशी मालाराम शर्मा के मुकाबले भाजपा की ही बागी प्रीति शर्मा ने यहां नामांकन दाखिल किया और पार्टी से बगावत कर दी उसके बाद कांग्रेस ने भाजपा की फूट का फायदा उठाते हुए अपने प्रत्याशी का नामांकन वापस करवाया और भाजपा के बागी को अंदरखाने में समर्थन दे दिया है.

दरअसल यहां देहात भाजपा अध्यक्ष ताराचंद सारस्वत और कांग्रेस के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा के बीच सीधी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की लड़ाई देखने को मिल रही है. ऐसे में कहीं न कहीं मंगलाराम गोदारा की कोशिश है कि बहुमत मिलने के बावजूद भी भाजपा में हुई अंतर कलह के चलते यहां भाजपा को बोर्ड बनाने से रोका जाए. हालांकि बाड़ेबंदी में भाजपा के कुल जीते 23 में से 22 पार्षद बताए जा रहे हैं और ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि यहां बगावत का कोई असर नहीं होगा और पार्टी अपना बोर्ड बनाएगी.

दरअसल कांग्रेस को यहां बोर्ड बनाने के लिए कुल 21 पार्षदों की जरूरत है. जिसमें से 14 कांग्रेस के एक भाजपा का बागी और दो निर्दलीय के साथ ही भाजपा में भी क्रॉस वोटिंग के सहारे कांग्रेस यहां बोर्ड बनाने की कोशिश में जुटी हुई है.

देशनोक में निर्दलीय बनेंगे किंगमेकर

जिले की सबसे छोटी नगर पालिका में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है और दोनों ही दलों को यहां बहुमत हासिल नहीं हुआ. दोनों ही दल निर्दलीय के भरोसे अपना बोर्ड बनाने की जुगत में हैं. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल और प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी के बीच यहां सीधा मुकाबला नजर आ रहा है. दरअसल देशनोक कोलायत विधानसभा का क्षेत्र है और भंवरसिंह भाटी कोलायत से विधायक हैं. ऐसे में भाटी की कोशिश है कि यहां निर्दलीयों के सहारे कांग्रेस का बोर्ड बने तो वहीं भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने यहां वार्ड घूम कर चुनाव प्रचार किया और एक बार फिर उनकी कोशिश है कि लगातार एक बार फिर यहां भाजपा का बोर्ड कायम रहे. 25 सीटों की इस नगरपालिका में कांग्रेस के 11 भाजपा के 10 और चार निर्दलीय पार्षद जीते हैं. ऐसे में बोर्ड बनाने के लिए दोनों ही पार्टियों को निर्दलीय के सहारे की जरूरत है.

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