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Shardiya Navratri 2021: बीकानेर में है मां का ऐसा मंदिर जहां 'काबाओं' का है डेरा!

शारदीय नवरात्रि 2021 (Shardiya Navratri 2021) में मां के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की जाती है. मां (Devi Maa) की भक्ति नई स्फूर्ति, नई ऊर्जा का संचार करती है. बीकानेर (Bikaner) के देशनोक में एक ऐसा ही मंदिर है जहां आस्थावान उम्मीदों से आते हैं, ये है माता करणी का मंदिर (Maa Karni Mandir). करणी मां जिन्हें स्थानीय लोग 'काबा वाली मावड़ी' के नाम से पूजते हैं.

Shardiya Navratri 2021
यहां 'काबाओं' का है डेरा!
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Published : Oct 10, 2021, 8:22 AM IST

बीकानेर: वैसे तो बीकानेर (Bikaner) का नाम पूरी दुनिया में है. कोई यहां के खानपान की बात करता है तो कोई यहां के लोक संस्कृति की. लेकिन हकीकत में बीकानेर का नाम पूरी विश्व पटल पर अगर आता है तो उसका कारण है विश्व विश्व प्रसिद्ध देशनोक स्थित करणी माता मंदिर के रूप में. करणी माता मंदिर (Karni Mata Mandir) को चूहों (काबा) वाली देवी के मंदिर के रूप में भी लोग जानते हैं.

मंदिर जहां 'काबाओं' का है डेरा

दरअसल मंदिर में घूम रहे चूहों को यहां काबा (Rats) कहा जाता है. पूरी दुनिया में यह एक ऐसा अकेला मंदिर है जहां चूहे पूरी तरह से खुले रुप में विचरण करते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस मंदिर में करीब 20 से 25 हजार चूहे (काबा) हर वक्त मौजूद रहते हैं. इस मंदिर में यह काबा न सिर्फ बेरोक टोक विचरण करते हैं बल्कि मंदिर का ऐसा कोई कोना नहीं है जहां यह नजर नहीं आते हों. इतना ही नहीं भोग लगने वाले प्रसाद में भी इन काबाओं ता दखल होता है. इसमें इनकी मौजूदगी भी श्रद्धालुओं को नहीं डिगाती और उनका जूठा प्रसाद पूरी श्रद्धा भक्ति से ग्रहण भी करते हैं.

600 साल पुराना मंदिर
मंदिर का इतिहास करीब 600 साल पुराना है. देशनोक करणी माता मंदिर प्रन्यास के पूर्व अध्यक्ष कैलाशदान बताते हैं कि मां करणी (Mata Karni) ने 151 वर्ष तक भौतिक रूप से इस संसार में जीवन निर्वहन किया. वे कहते हैं कि जन कल्याण और परस्पर सौहार्द के लिए मां करणी ने हमेशा काम किया. बीकानेर (Bikaner) रियासत के साथ ही जोधपुर (Jodhpur) रियासत के संस्थापिका के रूप में मां करणी को जाना जाता है. कैलाशदान काबा को लोक मान्यता से जोड़ते हैं. एक प्रसंग का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि मान्यता है कि एक जाति विशेष में जन्मा व्यक्ति निधन के बाद काबा बनता है और मंदिर में ही मां के धाम में रहता है.

ये भी पढ़ें-SPECIAL : बीकानेर की उस्ता कला पर उदासीनता की गर्द..रियासतकालीन आर्ट को संरक्षण की दरकार

मां की तपोस्थली

बीकानेर शहर से 30 किमी दूर जहां करणी माता संवत् 1476 में आईं. वर्तमान में बने मुख्य मंदिर के अंदर स्वनिर्मित गुफा को तपोस्थली बनाया. संवत् 1594 तक यानी 118 साल तक यहां तपस्या की. देशनोक (Deshnok) में ही नेहड़ी मंदिर में सपरिवार आवास स्थल बनाया. यहां पर गो सेवा को विशेष महत्व दिया. ओरण की स्थापना की.

अद्भुत चमत्कार
दरअसल मेडिकल साइंस प्लेग बीमारी का कारण चूहों को मानती है. चूहों से मनुष्य में फैलने वाले रोग की पुष्टि के बीच इस मंदिर (Karni Mata Ka Mandir) में घूमने वाले चूहे खुद मेडिकल साइंस के लिए भी किसी ताज्जुब से कम नहीं है. करीब एक शताब्दी से पहले बीकानेर (Bikaner) रियासत में प्लेग फैला था. बताया जाता है कि उस वक्त भी इस मंदिर में किसी प्रकार की ऐसी कोई बीमारी सामने नहीं आई.

बीकानेर में भी मां करणी का आशीर्वाद

बीकानेर की लोगों का भी मां करणी (Maa Karni) पर अधिक विश्वास है और यही कारण है कि इस शहर पर आने वाली किसी भी आपदा के वक्त लोग मां करणी को याद करते हैं. मंदिर में पिछले कई सालों से आने वाले श्रद्धालु दीपक गहलोत कहते हैं कि मंदिर के प्रति मां करणी के प्रति श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है और मां का आशीर्वाद सदैव भक्तों पर रहता है.

बीकानेर (Bikaner) में करीब 21 साल पहले की घटना का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि का वक्त बीकानेर के सेना के आयुध डिपो में भयंकर आग लगी और उस वक्त आयुध डिपो (Ordnance Depot) में इतना गोला बारूद था कि पूरा शहर जमींदोज हो जाता. लेकिन उस भयंकर विपदा में भी बीकानेर को ज्यादा कुछ नुकसान नहीं हुआ और पूरी तरह से आयुध डिपो में रखे गोला बारूद सुरक्षित रहे उन्होंने कहा कि उस कांड में गोली मिसाइल और बम शहर के अलग-अलग हिस्सों में गिरे. जो आज भी शहर के कई कोनों में कई बार मिल जाते हैं लेकिन जितना बड़ा कांड हुआ उसके मुकाबले हानि किंचित मात्र भी नहीं हुई. यह सीधे तौर पर मां करणी का आशीर्वाद है.

दरअसल बीकानेर रियासत पर भी मां करणी का आशीर्वाद सदा से ही रहा है और बीकानेर रियासत के तत्कालीन महाराजा जब भी किसी नए काम की शुरुआत करते तो देशनोक करणी माता(Deshnok Karni Mata Mandir) मंदिर में दर्शन करने के बाद और संकेत मिलने के बाद ही उस काम के लिए आगे बढ़ते. उस वक्त मंदिर में मां करणी का आशीर्वाद और स्वीकृति का संकेत मंदिर के ऊपर चील मंडराने या मंदिर के अंदर सफेद काबा का दर्शन होने को मानते. यह इस बात का संकेत था कि नए काम को लेकर मां करणी का आशीर्वाद है.

लोक कल्याण के लिए जन्म
करणी माता मंदिर (Karni Mata Mandir) प्रन्यास से ही जुड़े गजेंद्र सिंह कहते हैं कि मां करणी ने लोक कल्याण के लिए काम किया. आस्था ऐसी है कि बरसों से श्रद्धालु यहां मत्था टेकने आते हैं. इस विश्वास के साथ की मां उनकी दुविधाओं को दूर करेंगी और समस्या हर लेंगी.

हर आम और खास आते दर्शन के लिए
करणी माता मंदिर (Karni Mata Mandir) के दर्शन के लिए पूरी देश और दुनिया से लोग आते हैं. लेकिन नवरात्रों में आस्था चरम पर देखने को मिलती है. लोग मीलों दूर से दर्शन को आते हैं. मंदिर में हिंदू पंचांग के भादवा और सावन में बड़ी कढ़ाई यानी कि प्रसाद का आयोजन होता है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जब भी बीकानेर के दौरे पर आती हैं तो देशनोक (Deshnok) स्थित मंदिर में दर्शन जरूर करती हैं.

बीकानेर: वैसे तो बीकानेर (Bikaner) का नाम पूरी दुनिया में है. कोई यहां के खानपान की बात करता है तो कोई यहां के लोक संस्कृति की. लेकिन हकीकत में बीकानेर का नाम पूरी विश्व पटल पर अगर आता है तो उसका कारण है विश्व विश्व प्रसिद्ध देशनोक स्थित करणी माता मंदिर के रूप में. करणी माता मंदिर (Karni Mata Mandir) को चूहों (काबा) वाली देवी के मंदिर के रूप में भी लोग जानते हैं.

मंदिर जहां 'काबाओं' का है डेरा

दरअसल मंदिर में घूम रहे चूहों को यहां काबा (Rats) कहा जाता है. पूरी दुनिया में यह एक ऐसा अकेला मंदिर है जहां चूहे पूरी तरह से खुले रुप में विचरण करते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस मंदिर में करीब 20 से 25 हजार चूहे (काबा) हर वक्त मौजूद रहते हैं. इस मंदिर में यह काबा न सिर्फ बेरोक टोक विचरण करते हैं बल्कि मंदिर का ऐसा कोई कोना नहीं है जहां यह नजर नहीं आते हों. इतना ही नहीं भोग लगने वाले प्रसाद में भी इन काबाओं ता दखल होता है. इसमें इनकी मौजूदगी भी श्रद्धालुओं को नहीं डिगाती और उनका जूठा प्रसाद पूरी श्रद्धा भक्ति से ग्रहण भी करते हैं.

600 साल पुराना मंदिर
मंदिर का इतिहास करीब 600 साल पुराना है. देशनोक करणी माता मंदिर प्रन्यास के पूर्व अध्यक्ष कैलाशदान बताते हैं कि मां करणी (Mata Karni) ने 151 वर्ष तक भौतिक रूप से इस संसार में जीवन निर्वहन किया. वे कहते हैं कि जन कल्याण और परस्पर सौहार्द के लिए मां करणी ने हमेशा काम किया. बीकानेर (Bikaner) रियासत के साथ ही जोधपुर (Jodhpur) रियासत के संस्थापिका के रूप में मां करणी को जाना जाता है. कैलाशदान काबा को लोक मान्यता से जोड़ते हैं. एक प्रसंग का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि मान्यता है कि एक जाति विशेष में जन्मा व्यक्ति निधन के बाद काबा बनता है और मंदिर में ही मां के धाम में रहता है.

ये भी पढ़ें-SPECIAL : बीकानेर की उस्ता कला पर उदासीनता की गर्द..रियासतकालीन आर्ट को संरक्षण की दरकार

मां की तपोस्थली

बीकानेर शहर से 30 किमी दूर जहां करणी माता संवत् 1476 में आईं. वर्तमान में बने मुख्य मंदिर के अंदर स्वनिर्मित गुफा को तपोस्थली बनाया. संवत् 1594 तक यानी 118 साल तक यहां तपस्या की. देशनोक (Deshnok) में ही नेहड़ी मंदिर में सपरिवार आवास स्थल बनाया. यहां पर गो सेवा को विशेष महत्व दिया. ओरण की स्थापना की.

अद्भुत चमत्कार
दरअसल मेडिकल साइंस प्लेग बीमारी का कारण चूहों को मानती है. चूहों से मनुष्य में फैलने वाले रोग की पुष्टि के बीच इस मंदिर (Karni Mata Ka Mandir) में घूमने वाले चूहे खुद मेडिकल साइंस के लिए भी किसी ताज्जुब से कम नहीं है. करीब एक शताब्दी से पहले बीकानेर (Bikaner) रियासत में प्लेग फैला था. बताया जाता है कि उस वक्त भी इस मंदिर में किसी प्रकार की ऐसी कोई बीमारी सामने नहीं आई.

बीकानेर में भी मां करणी का आशीर्वाद

बीकानेर की लोगों का भी मां करणी (Maa Karni) पर अधिक विश्वास है और यही कारण है कि इस शहर पर आने वाली किसी भी आपदा के वक्त लोग मां करणी को याद करते हैं. मंदिर में पिछले कई सालों से आने वाले श्रद्धालु दीपक गहलोत कहते हैं कि मंदिर के प्रति मां करणी के प्रति श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है और मां का आशीर्वाद सदैव भक्तों पर रहता है.

बीकानेर (Bikaner) में करीब 21 साल पहले की घटना का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि का वक्त बीकानेर के सेना के आयुध डिपो में भयंकर आग लगी और उस वक्त आयुध डिपो (Ordnance Depot) में इतना गोला बारूद था कि पूरा शहर जमींदोज हो जाता. लेकिन उस भयंकर विपदा में भी बीकानेर को ज्यादा कुछ नुकसान नहीं हुआ और पूरी तरह से आयुध डिपो में रखे गोला बारूद सुरक्षित रहे उन्होंने कहा कि उस कांड में गोली मिसाइल और बम शहर के अलग-अलग हिस्सों में गिरे. जो आज भी शहर के कई कोनों में कई बार मिल जाते हैं लेकिन जितना बड़ा कांड हुआ उसके मुकाबले हानि किंचित मात्र भी नहीं हुई. यह सीधे तौर पर मां करणी का आशीर्वाद है.

दरअसल बीकानेर रियासत पर भी मां करणी का आशीर्वाद सदा से ही रहा है और बीकानेर रियासत के तत्कालीन महाराजा जब भी किसी नए काम की शुरुआत करते तो देशनोक करणी माता(Deshnok Karni Mata Mandir) मंदिर में दर्शन करने के बाद और संकेत मिलने के बाद ही उस काम के लिए आगे बढ़ते. उस वक्त मंदिर में मां करणी का आशीर्वाद और स्वीकृति का संकेत मंदिर के ऊपर चील मंडराने या मंदिर के अंदर सफेद काबा का दर्शन होने को मानते. यह इस बात का संकेत था कि नए काम को लेकर मां करणी का आशीर्वाद है.

लोक कल्याण के लिए जन्म
करणी माता मंदिर (Karni Mata Mandir) प्रन्यास से ही जुड़े गजेंद्र सिंह कहते हैं कि मां करणी ने लोक कल्याण के लिए काम किया. आस्था ऐसी है कि बरसों से श्रद्धालु यहां मत्था टेकने आते हैं. इस विश्वास के साथ की मां उनकी दुविधाओं को दूर करेंगी और समस्या हर लेंगी.

हर आम और खास आते दर्शन के लिए
करणी माता मंदिर (Karni Mata Mandir) के दर्शन के लिए पूरी देश और दुनिया से लोग आते हैं. लेकिन नवरात्रों में आस्था चरम पर देखने को मिलती है. लोग मीलों दूर से दर्शन को आते हैं. मंदिर में हिंदू पंचांग के भादवा और सावन में बड़ी कढ़ाई यानी कि प्रसाद का आयोजन होता है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जब भी बीकानेर के दौरे पर आती हैं तो देशनोक (Deshnok) स्थित मंदिर में दर्शन जरूर करती हैं.

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