बीकानेर. कोरोना के बढ़ते प्रकोप से जहां पूरा विश्व जूझ रहा है, वहीं अब इसका असर बीकानेर में होटल व्यवसाय पर भी पड़ने लगा है. बताया जा रहा है कि होटलों में ठहरने वाले आगंतुकों की संख्या घटकर 25 प्रतिशत से भी कम हो गई है, वहीं रेस्तरां में भी गिने चुने लोग पहुंच रहे हैं. राज्य सरकार के गाइडलाइन के अनुसार होटल में ग्राहकों पैक करके ही खाना दिया जा रहा है.
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इसे देखते हुए कई होटलों में आधे कर्मचारियों को हटा दिया गया है और कई कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजे जा रहे हैं. ऐसे ही कुछ बंगाली मजदूरों का दर्द उस वक्त छलक उठा, जब वे जिला कलेक्ट्रेट में अपने घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने आए. इन मजदूरों का कहना है कि वे सभी शहर के विभिन्न होटलों में काम करते हैं. जब से लाकडाउन लागू हुआ है, तब से होटल मालिकों ने कुछ दिन तो इनके खाने-पीने की व्यवस्था की, लेकिन कुछ दिनों के बाद मालिक ने भी हाथ खड़े कर दिए.
होटल के कर्मचारियों ने कहा कि वे लोग अपना खून पसीना एक कर इन होटलों में काम किया, पर जब वे लोग संकट में आए, तो होटल मालिकों ने उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया. इन लोगों का कहना है कि इससे बीकानेर में सैकड़ों की संख्या में होटल कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे.
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इन लोगों का कहना है कि जल्द ही हालात नहीं सुधरे, तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. वे लोग अपने घर जाना चाहते हैं, लेकिन ट्रेन नहीं चल रही है. वहीं बस वाले मनमाना किराया मांग रहे हैं. उन्हें दो जून की रोटी भी नहीं मिल रहा है, तो ऐसे में बस का किराया कहां से लाएं. सरकारी स्तर पर जो प्रयास हो रहे हैं, वे नाकाफी है. पश्चिम बंगाल सरकार भी उन्हें वोट के समय ही याद करती है. अब जब वे लोग संकट में है, बंगाल सरकार भी उन्हें भूल गई हैं.