बीकानेर. नौ दिन के इस महापर्व में देवी की आराधना संन्यासी तांत्रिक और गृहस्थ अपने-अपने विधान से मां अम्बे को प्रसन्न करते हैं (shardiya navratri 2022). इसको लेकर पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि सनातन धर्म में देवी की उपासना का ये महापर्व है और देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व है.
मंत्र सिद्धि के 40 दिन: पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि नवरात्र देवी के मंत्रों की सिद्धि का महापर्व है (maa durga ki puja). देवी की आराधना और मंत्र सिद्धि के लिए 40 दिन की पूजा का महत्व है.40 दिन की पूजा और मंत्र और इस दौरान साधक को नवाहन परायण, देवी भागवत, श्रीसुक्त, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. कहते हैं कि नवदुर्गा का हमारे शास्त्रों में विशेष उल्लेख है.
देवी के अलग-अलग रूप को हर दिन पूजा जाता है. कहते हैं कि देवी की आराधना के लिए 40 दिन की पूजा में मंत्र सिद्धि का शास्त्र अनुसार वर्णन है. लगातार 40 दिन की पूजा के दौरान किसी भी प्रकार का विघ्न आना संभव है.इसी को ध्यान में रखते हुए हमारे ऋषि-मुनियों ने साल के इन 40 दिनों को अलग-अलग रूप से व्यक्त करते हुए अधिकतम 10 दिन एक बार के अनुसार चार नवरात्रों में विभक्त कर दिया.
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चार नवरात्र: पंडित किराडू बताते हैं साल में चार नवरात्र होते हैं जिनमें नवरात्र और दो गुप्त नवरात्र होते हैं. सबसे पहले चैत्र नवरात्र होता है और इसी दिन से पंचांग के अनुसार नया वर्ष भी शुरू हो जाता है. चैत्र नवरात्र प्रतिपदा से रामनवमी तक होता है और दसवें दिन दशांश हवन आहुति दी जाती है. इसके बाद गुप्त नवरात्र के रूप में आषाढ़ मास में नवरात्र होती है. इसके बाद शारदीय नवरात्र. चौथे नवरात्र की भी गुप्त नवरात्र के रूप में ही पूजा होती है. इसमें मां भगवती की आराधना होती है. कहते हैं कि चारों नवरात्रि में नियमानुसार पूजा-अर्चना होती है तो देवी के मंत्र की सिद्धि होती है.
पंडितजी के मुताबिक भक्तगण चारों नवरात्र में पूजा कर सकते हैं. हालांकि गृहस्थ अधिकतर चैत्र और शारदीय नवरात्र में ही देवी की आराधना पूजा करते हैं. वही तंत्र सिद्धि और तंत्र क्रिया करने वाले लोग गुप्त नवरात्र में विशेष पूजा करते हैं.