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Child Marriage in Rajasthan: अब स्कूली शिक्षक रोकेंगे बाल विवाह, सरकार ने दी ये बड़ी जिम्मेदारी - ETV bharat rajasthan news

बाल विवाह को रोकने को लेकर सरकारी स्तर पर होते प्रयासों के बावजूद (Child Marriage in Rajasthan) भी अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के मामले देखने को मिलते हैं. अक्षय तृतीया के मौके पर पिछले सालों में बाल विवाह के मामले अचानक बढ़ते रहे हैं. इस साल इस पर अंकुश लगाने के लिए एक बार फिर सरकारी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं.

Child Marriage in Bikaner
बाल विवाह रोकने के लिए स्कूली शिक्षकों को दी जिम्मेदारी
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Published : Apr 22, 2022, 9:41 AM IST

बीकानेर. प्रदेश में अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह के कई मामले सामने आते हैं. इसको लेकर अब बाल अधिकारिता विभाग की (Child Marriage on Akshay tritiya) ओर से जारी निर्देशों के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के उपनिदेशक ने प्रदेश के समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर विद्यालय स्तर पर बाल विवाह को रोकने को लेकर एक SOP जारी किया है. प्रदेश में अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में होने वाले संभावित विवाहों के बीच बाल विवाह को रोकने के लिए बाल अधिकारिता विभाग ने निर्देश जारी किए हैं. इसी के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर विद्यालय स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग करने और संबंधित स्तर पर सूचना देने की निर्देश जारी किए हैं.

शिक्षा विभाग ने जारी की एसओपी: शिक्षा विभाग की ओर से जारी SOP में विद्यालय स्तर पर प्रत्येक विद्यार्थी की दैनिक उपस्थिति (Child Marriage in Rajasthan) के साथ ही अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही किसी भी विद्यार्थी की अनुपस्थिति संदेहास्पद लगने पर विद्यार्थी के घर जाकर उसका पता लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं. जारी SOP में कहा गया है कि विद्यालय स्तर पर बाल विवाह होने या इसकी सूचना मिलने पर संबंधित थानाधिकारी और बाल विवाह निषेध अधिकारी को इसकी सूचना की जाए.

पढ़ें-Child marriage in Chittorgarh: शादी रुकवाने के लिए पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची नाबालिग, चाइल्ड लाइन ने कहा-ऐसी हिम्मत सभी बच्चियां दिखाएं

ड्रॉप आउट पर नजर: SOP में साफ तौर पर कहा गया है कि द फाइट वाले बच्चों को लेकर भी नजर रखी जाए, क्योंकि ड्रॉपआउट ही बाल विवाह की संभावना को बढ़ाता है. ऐसे में 12वीं कक्षा से पूर्व के विद्यार्थी जो ड्रॉप आउट हो रहे हो उन पर भी नजर रखी जाए. इसके अलावा विद्यालय प्रबंधन समिति अभिभावकों के साथ ही विद्यार्थियों के साथ भी संवाद कर बाल विवाह को लेकर जागरूक किया जाए और बच्चों को भी अवगत कराया जाए. ताकि इस तरह का मामला सामने आने पर बच्चे भी खुद शिकायत कर सकें.

बाल अधिकारिता विभाग एक्टिव: दरअसल प्रदेश में बाल विवाह को रोकने को लेकर बाल अधिकारिता विभाग में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में सभी विभागों और जनप्रतिनिधियों के स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग को लेकर कार्य योजना बनाई है. पटवारी, भूअभिलेख निरीक्षक, पंचायत जिला परिषद सदस्य सम्मानित थानाधिकारी, सीओ, ग्रामसेवक कृषि पर्यवेक्षक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को जोड़कर इसपर पैनी निगरानी रखी जाएगी. इसी कड़ी में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने भी जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए विद्यालयों की जिम्मेदारी तय की है.

बीकानेर. प्रदेश में अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह के कई मामले सामने आते हैं. इसको लेकर अब बाल अधिकारिता विभाग की (Child Marriage on Akshay tritiya) ओर से जारी निर्देशों के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के उपनिदेशक ने प्रदेश के समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर विद्यालय स्तर पर बाल विवाह को रोकने को लेकर एक SOP जारी किया है. प्रदेश में अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में होने वाले संभावित विवाहों के बीच बाल विवाह को रोकने के लिए बाल अधिकारिता विभाग ने निर्देश जारी किए हैं. इसी के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर विद्यालय स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग करने और संबंधित स्तर पर सूचना देने की निर्देश जारी किए हैं.

शिक्षा विभाग ने जारी की एसओपी: शिक्षा विभाग की ओर से जारी SOP में विद्यालय स्तर पर प्रत्येक विद्यार्थी की दैनिक उपस्थिति (Child Marriage in Rajasthan) के साथ ही अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही किसी भी विद्यार्थी की अनुपस्थिति संदेहास्पद लगने पर विद्यार्थी के घर जाकर उसका पता लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं. जारी SOP में कहा गया है कि विद्यालय स्तर पर बाल विवाह होने या इसकी सूचना मिलने पर संबंधित थानाधिकारी और बाल विवाह निषेध अधिकारी को इसकी सूचना की जाए.

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ड्रॉप आउट पर नजर: SOP में साफ तौर पर कहा गया है कि द फाइट वाले बच्चों को लेकर भी नजर रखी जाए, क्योंकि ड्रॉपआउट ही बाल विवाह की संभावना को बढ़ाता है. ऐसे में 12वीं कक्षा से पूर्व के विद्यार्थी जो ड्रॉप आउट हो रहे हो उन पर भी नजर रखी जाए. इसके अलावा विद्यालय प्रबंधन समिति अभिभावकों के साथ ही विद्यार्थियों के साथ भी संवाद कर बाल विवाह को लेकर जागरूक किया जाए और बच्चों को भी अवगत कराया जाए. ताकि इस तरह का मामला सामने आने पर बच्चे भी खुद शिकायत कर सकें.

बाल अधिकारिता विभाग एक्टिव: दरअसल प्रदेश में बाल विवाह को रोकने को लेकर बाल अधिकारिता विभाग में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में सभी विभागों और जनप्रतिनिधियों के स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग को लेकर कार्य योजना बनाई है. पटवारी, भूअभिलेख निरीक्षक, पंचायत जिला परिषद सदस्य सम्मानित थानाधिकारी, सीओ, ग्रामसेवक कृषि पर्यवेक्षक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को जोड़कर इसपर पैनी निगरानी रखी जाएगी. इसी कड़ी में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने भी जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए विद्यालयों की जिम्मेदारी तय की है.

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