बीकानेर. डॉ. राधाकृष्णन देश के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति रहे. इन्हीं की याद में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. बीकानेर में एक स्कूल ऐसा भी है जो आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को शुरू हुआ. इस स्कूल के नए भवन की नींव तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन ने 31 अक्टूबर 1959 को रखी थी. यह स्कूल आज भी बीकानेर में संचालित हो रहा है.
पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. अमृत महोत्सव यानी कि आजादी के 75 साल पूरे होने पर मनाया जा रहा जश्न. आज शिक्षक दिवस पर हम आपको बीकानेर के उस स्कूल से रूबरू करवा रहे हैं, जिसकी स्थापना 15 अगस्त 1947 को की गई थी. यह स्कूल भी इस साल अपना अमृत महोत्सव मना रहा है. बीकानेर के इस बालिका स्कूल के लिए यह मौका खास है. क्योंकि 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खुल गए हैं. स्कूलों में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. इस स्कूल की आधारशिला उन्हीं डॉ. राधाकृष्णन ने रखी थी, जिनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, साथ ही स्कूल भी अपना अमृत महोत्सव यानी स्थापना के 75 वर्ष मना रहा है.
बीकानेर में श्रीबीकानेर महिला मंडल के नाम से यह स्कूल आज भी संचालित हो रहा है. आजादी से पहले रियासत कालीन समय में 1944 में राज्य महिला मंडल संस्था की स्थापना की गई थी. इस संस्था की ओर से 15 अगस्त 1947 को महिलाओं की जागृति, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के साथ बालिकाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के उद्देश्य से श्रीबीकानेर महिला मंडल स्कूल की स्थापना की गई थी.
तब से लेकर 2011 तक शिक्षा के अलावा महिला आत्मनिर्भर और रोजगारमुखी अभियान के तहत बीकानेर महिला मंडल की ओर से बिक्री भंडार संचालित किए गए. महिला मंडल महिलाओं की ओर से बनाए गए उत्पादों की बिक्री करता था. 2011 में राज्य सरकार ने अनुदानित शिक्षण संस्थाओं को मर्ज कर दिया. इसके बाद बीकानेर महिला मंडल सिर्फ शिक्षण कार्य को संचालित कर रहा है. संस्था के निदेशक गजेंद्र सिंह राठौड़ कहते हैं कि यह ऐतिहासिक संस्था 1944 में स्थापित हुई और आज भी संचालित हो रही है.
बीकानेर महिला मंडल की ओर से बीकानेर के ही आसानियों के चौक में एक अन्य स्कूल का संचालन किया जाता था. लेकिन कुछ समय पहले उस स्कूल को बंद कर दिया गया. बीकानेर महिला मंडल बालिका स्कूल का इतिहास इतना समृद्धशाली रहा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी सहित कई बड़े नेता इसका विजिट करने समय समय पर आए. राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे मोहनलाल सुखाड़िया ने भी इस संस्था का दौरा किया था. सुखाड़िया ने इस संस्था की ओर से लगाए जाने वाले शिविरों में भागीदारी भी की थी.
रियासत कालीन संस्था है बीकानेर महिला मंडल
बीकानेर महिला मंडल की स्थापना बीकानेर रियासत काल में की गई थी. वह साल था 1944 जब देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानी पूरा जोर लगाए हुए थे. उस दौर में देश की महिलाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से श्रीबीकानेर महिला मंडल की स्थापना की गई थी. मंडल की ओर से बालिका शिक्षा से लेकर महिला रोजगार को लेकर अभियान चलाए गए. महिलाओं को जोड़ा गया. महिलाओं को अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए जागरूक किया गया.
1947 में बीकानेर महिला मंडल के स्कूल की स्थापना
महिला मंडल की स्थापना के 3 साल बाद ही देश आजाद हो गया. अब महिला मंडल की भूमिका और भी अधिक बढ़ गई. देश की आर्थिक सामाजिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में आधी आबादी को शिक्षित और आत्मनिर्भर करने की बड़ी जिम्मेदारी थी. यह कार्य बीकानेर महिला मंडल दमदार तरीके से कर रहा था. इस दिशा में बीकानेर महिला मंडल की ओर से बालिका स्कूल 15 अगस्त 1947 से आरंभ कर दिया गया.
बीकानेर महिला मंडल के बालिका स्कूल का उद्देश्य
महिला मंडल के स्कूल का उद्देश्य सिर्फ बालिका शिक्षा तक सीमित नहीं था. बालिकाओं को खेल, आत्मरक्षा और आत्मनिर्भरता के गुर भी सिखाए जाने लगे. हर क्षेत्र में बालिकाओं को आगे बढ़ने की सीख दी गई. स्कूल के साथ साथ महिला मंडल महिला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योग से उन्हें जोड़ता रहा. मंडल के 300-400 सिलाई केंद्र चलने लगे, महिला सहायता समूह बनने लगे. महिलाएं कई तरह के उत्पाद बनाने का काम करने लगीं, महिला मंडल इनकी बिक्री का जिम्मा लेता. इस तरह महिलाएं आर्थिक तौर पर सशक्त होने लगीं.
संस्था के निदेशक गजेंद्र सिंह राठौड़ बताते हैं कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस संस्था को भी अब 75 वर्ष हो गए हैं. ऐसे में अब इस संस्था के कार्यों को भी आम लोगों के बीच ले जाने का अवसर है. हम भी पूरे साल अमृत महोत्सव की तरह आयोजन करेंगे. यह स्कूल 75 वर्ष से महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित हो रहा है.