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डॉ. अम्बरीश शरण विद्यार्थी बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त

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Published : Apr 30, 2021, 11:03 PM IST

राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने एक आदेश जारी कर राज्य सरकार के परामर्श से बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय, बीकानेर में डॉ. अम्बरीश शरण विद्यार्थी को कुलपति पद पर नियुक्त किया है.

बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय की ताजा खबर, Governor and Chancellor Kalraj Mishra issued order
डॉ. अम्बरीश शरण विद्यार्थी बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति

बीकानेर. राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने एक आदेश जारी कर राज्य सरकार के परामर्श से बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय, बीकानेर में डॉ. अम्बरीश शरण विद्यार्थी को कुलपति पद पर नियुक्त किया है. राज्यपाल मिश्र ने कार्यभार संभालने के तीन वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक, इनमें से जो भी पहले हो, तक के लिए डॉ. विद्यार्थी को यह नियुक्ति प्रदान की है. नवनियुक्त कुलपति प्रो. विद्यार्थी वरिष्ठ शिक्षाविद एवं निदेशक, नन्ही परी सीमांत इंजीनियरिंग संस्थान, पिथौरागढ़ पिछले 2 दशकों से जैव प्रौद्योगिकी और बायोप्रोसेस इंजीनियरिंग में कई अनुसंधान और शिक्षण कार्यक्रमों की योजना और निष्पादन के साथ जुड़े हुए हैं.

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प्रो. विद्यार्थी देश के विभिन्न प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के विभिन्न सलाहकार समितियों और बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्य हैं. डॉ. विद्यार्थी झारखंड राज्य, झारखंड राज्य जैव प्रौद्योगिकी बोर्ड की जैव प्रौद्योगिकी सलाहकार समिति के सदस्य हैं और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के लिए टास्क फोर्स के नामित सदस्य हैं. डॉ. विद्यार्थी ने इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) और इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स (इंडिया) के फेलो के रूप में चुने हैं और इंडियन सोसाइटी फॉर टेक्निकल एजुकेशन (ISTE), बायोटेक रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया (BRSI) और एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट के सदस्य हैं.

परिचय

प्रोफेसर अंबरीश एस विद्यार्थी अपने वर्तमान कार्यभार से पहले निदेशक, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ (2014-2017), प्रोफेसर और प्रमुख, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेसरा, रांची (2003-2014) में जैव प्रौद्योगिकी विभाग और सहायक प्रोफेसर और विभाग प्रमुख भी थे. इसके अलावा मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, मेरठ में केमिकल इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर और प्रमुख भी रह चुके हैं. उनके अनुसंधान हित औद्योगिक और पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान के क्षेत्र में हैं और नेटवर्क परियोजनाओं सहित 10 से अधिक प्रायोजित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को पूरा किया है.

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उन्होंने 25 पीएचडी की देखरेख की और सहकर्मी की समीक्षा की इसके साथ ही पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोध प्रकाशन प्रकाशित किए और देश में बायोटेक गतिविधियों के विकास और प्रबंधन के लिए कई शैक्षणिक संस्थानों और एसएंडटी एजेंसियों के साथ जुड़े हुए हैं. 22 फरवरी, 1966 को जन्म लेने वाले प्रो. विद्यार्थी 1989 और 1991 में क्रमशः हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, कानपुर से बायोकेमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर किया और 1991-1994 के दौरान सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ में डॉक्टरेट अनुसंधान किया. प्रोफेसर विद्यार्थी अपने शैक्षणिक कार्य से पहले विभिन्न बायोप्रोसेस उद्योगों में प्रबंधकीय स्तर पर कार्य चुके हैं. उन्होंने थर्मो स्थिर एमाइलेज, सेल्युलैस, अमीनो एसिड विशेष रूप से एल-लाइसिन और बीटी आधारित बायोपेस्टीसाइड्स के किण्वन उत्पादन के लिए चार तकनीकों का विकास किया था और विभिन्न बायोमोलेक्यूल्स के उत्पादन पर दायर छह भारतीय प्रक्रिया पेटेंटों में से दो पेटेंट भी.

प्रोफेसर विद्यार्थी ने 1999 से 2002 तक कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ क्यूबेक, कनाडा के इंस्टीट्यूट डेल ला रीचार्च साइंटिफिक में अपने प्रवास के दौरान अपशिष्ट पदार्थों के मूल्य वर्धन में विशेषज्ञता हासिल की हैं. उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों जैसे IARI, दिल्ली विश्वविद्यालय, की सक्रियता से भी काम किया है और अंतर्राष्ट्रीय संस्थान जैसे कि पाडोवा विश्वविद्यालय, इटली, स्वाइनबर्न प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया, मैनहेम इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंस, जर्मनी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, ट्यूनीशिया के साथ प्रौद्योगिकी प्रसार के लिए लिए भी कार्य किया है.

बीकानेर. राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने एक आदेश जारी कर राज्य सरकार के परामर्श से बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय, बीकानेर में डॉ. अम्बरीश शरण विद्यार्थी को कुलपति पद पर नियुक्त किया है. राज्यपाल मिश्र ने कार्यभार संभालने के तीन वर्ष अथवा 70 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक, इनमें से जो भी पहले हो, तक के लिए डॉ. विद्यार्थी को यह नियुक्ति प्रदान की है. नवनियुक्त कुलपति प्रो. विद्यार्थी वरिष्ठ शिक्षाविद एवं निदेशक, नन्ही परी सीमांत इंजीनियरिंग संस्थान, पिथौरागढ़ पिछले 2 दशकों से जैव प्रौद्योगिकी और बायोप्रोसेस इंजीनियरिंग में कई अनुसंधान और शिक्षण कार्यक्रमों की योजना और निष्पादन के साथ जुड़े हुए हैं.

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प्रो. विद्यार्थी देश के विभिन्न प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के विभिन्न सलाहकार समितियों और बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्य हैं. डॉ. विद्यार्थी झारखंड राज्य, झारखंड राज्य जैव प्रौद्योगिकी बोर्ड की जैव प्रौद्योगिकी सलाहकार समिति के सदस्य हैं और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के लिए टास्क फोर्स के नामित सदस्य हैं. डॉ. विद्यार्थी ने इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) और इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स (इंडिया) के फेलो के रूप में चुने हैं और इंडियन सोसाइटी फॉर टेक्निकल एजुकेशन (ISTE), बायोटेक रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया (BRSI) और एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट के सदस्य हैं.

परिचय

प्रोफेसर अंबरीश एस विद्यार्थी अपने वर्तमान कार्यभार से पहले निदेशक, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ (2014-2017), प्रोफेसर और प्रमुख, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेसरा, रांची (2003-2014) में जैव प्रौद्योगिकी विभाग और सहायक प्रोफेसर और विभाग प्रमुख भी थे. इसके अलावा मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, मेरठ में केमिकल इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर और प्रमुख भी रह चुके हैं. उनके अनुसंधान हित औद्योगिक और पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान के क्षेत्र में हैं और नेटवर्क परियोजनाओं सहित 10 से अधिक प्रायोजित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को पूरा किया है.

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उन्होंने 25 पीएचडी की देखरेख की और सहकर्मी की समीक्षा की इसके साथ ही पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोध प्रकाशन प्रकाशित किए और देश में बायोटेक गतिविधियों के विकास और प्रबंधन के लिए कई शैक्षणिक संस्थानों और एसएंडटी एजेंसियों के साथ जुड़े हुए हैं. 22 फरवरी, 1966 को जन्म लेने वाले प्रो. विद्यार्थी 1989 और 1991 में क्रमशः हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट, कानपुर से बायोकेमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर किया और 1991-1994 के दौरान सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ में डॉक्टरेट अनुसंधान किया. प्रोफेसर विद्यार्थी अपने शैक्षणिक कार्य से पहले विभिन्न बायोप्रोसेस उद्योगों में प्रबंधकीय स्तर पर कार्य चुके हैं. उन्होंने थर्मो स्थिर एमाइलेज, सेल्युलैस, अमीनो एसिड विशेष रूप से एल-लाइसिन और बीटी आधारित बायोपेस्टीसाइड्स के किण्वन उत्पादन के लिए चार तकनीकों का विकास किया था और विभिन्न बायोमोलेक्यूल्स के उत्पादन पर दायर छह भारतीय प्रक्रिया पेटेंटों में से दो पेटेंट भी.

प्रोफेसर विद्यार्थी ने 1999 से 2002 तक कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ क्यूबेक, कनाडा के इंस्टीट्यूट डेल ला रीचार्च साइंटिफिक में अपने प्रवास के दौरान अपशिष्ट पदार्थों के मूल्य वर्धन में विशेषज्ञता हासिल की हैं. उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों जैसे IARI, दिल्ली विश्वविद्यालय, की सक्रियता से भी काम किया है और अंतर्राष्ट्रीय संस्थान जैसे कि पाडोवा विश्वविद्यालय, इटली, स्वाइनबर्न प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया, मैनहेम इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंस, जर्मनी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, ट्यूनीशिया के साथ प्रौद्योगिकी प्रसार के लिए लिए भी कार्य किया है.

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