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Special: जब पीर फकीर से हार गए...तब धरती के भगवान ने 'आयशा' को चल फिर सकने में बनाया सक्षम - 2 साल की बच्ची को थी बीमारी

कहते है डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं. ऐसा ही कुछ बीकानेर में भी देखने को मिला. जहां एक 2 साल की बच्ची जो कि जन्म से ही कुल्हे की बीमारी से जुझ रही थी. ऐसे में डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन कर उसे नया जीवन दान दिया. डॉक्टरों ने यह दावा किया है कि अब वह बाकी सभी बच्चों के तरह चल फिर सकेगी.

कुल्हे की बीमारी से थी ग्रसित, बीकानेर की खबर, bikaner news, 2 साल की बच्ची को थी बीमारी
डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर दिया नया जीवन दान
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Published : Dec 23, 2019, 12:36 PM IST

बीकानेर. 2 साल की बच्ची 'आयशा' जन्मजात से कुल्हे की बीमारी से ग्रसित थी. उसके माता-पिता ने न तो कोई दरगाह छोड़ी न ही कोई पीर-फकीर. हर जगह दुआ मांगी कि उनकी लाडो ठीक हो जाए. वहीं हर जगह से निराशा हाथ लगने के बाद किसी ने उन्हें बच्ची को डॉक्टरों को दिखाने की सलाह दी.

डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर दिया नया जीवन दान...

ऐसे में डॉक्टरों को दिखाने के बाद हर तरफ से हताश परिजनों को उसके ठीक होने की आस बंधी. जन्म से ही आयशा का बायां कूल्हा अपनी जगह से खिसका हुआ था. अगर समय रहते ऑपरेशन नहीं होता तो उसे चलने फिरने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता. डॉक्टरों की माने तो यह बीमारी 1 हजार बच्चों में किसी एक को ही होती है. पीबीएम के ट्रॉमा सेंटर में लगभग 3 घंटे चले ऑपरेशन के दौरान छोटी बच्ची होने के कारण डॉक्टरों को ज्यादा एहतियात बरतनी पड़ी.

पढ़ेंः स्पेशल: अव्यवस्था! आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर 'देश का भविष्य', सर्दी भी सितम ढा रही

इस ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने दावा किया है कि अब आयशा आसानी से चल फिर सकेगी. डॉक्टरों का कहना है कि आयशा का अगर ऑपरेशन नहीं करवाया जाता तो बड़े होने पर वह चलने फिरने में असमर्थ हो सकती थी. आयशा को 5 दिन पहले ही पीबीएनके ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया था और डॉक्टर बीआर चोपड़ा की टीम ने इस बच्ची का ऑपरेशन किया है. बच्ची को स्वस्थ देखकर ऑपरेशन के बाद आयशा के परिजनों के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है.

बीकानेर. 2 साल की बच्ची 'आयशा' जन्मजात से कुल्हे की बीमारी से ग्रसित थी. उसके माता-पिता ने न तो कोई दरगाह छोड़ी न ही कोई पीर-फकीर. हर जगह दुआ मांगी कि उनकी लाडो ठीक हो जाए. वहीं हर जगह से निराशा हाथ लगने के बाद किसी ने उन्हें बच्ची को डॉक्टरों को दिखाने की सलाह दी.

डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर दिया नया जीवन दान...

ऐसे में डॉक्टरों को दिखाने के बाद हर तरफ से हताश परिजनों को उसके ठीक होने की आस बंधी. जन्म से ही आयशा का बायां कूल्हा अपनी जगह से खिसका हुआ था. अगर समय रहते ऑपरेशन नहीं होता तो उसे चलने फिरने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता. डॉक्टरों की माने तो यह बीमारी 1 हजार बच्चों में किसी एक को ही होती है. पीबीएम के ट्रॉमा सेंटर में लगभग 3 घंटे चले ऑपरेशन के दौरान छोटी बच्ची होने के कारण डॉक्टरों को ज्यादा एहतियात बरतनी पड़ी.

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इस ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने दावा किया है कि अब आयशा आसानी से चल फिर सकेगी. डॉक्टरों का कहना है कि आयशा का अगर ऑपरेशन नहीं करवाया जाता तो बड़े होने पर वह चलने फिरने में असमर्थ हो सकती थी. आयशा को 5 दिन पहले ही पीबीएनके ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया था और डॉक्टर बीआर चोपड़ा की टीम ने इस बच्ची का ऑपरेशन किया है. बच्ची को स्वस्थ देखकर ऑपरेशन के बाद आयशा के परिजनों के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है.

Intro:2 साल की बच्ची आयशा जन्मजात से कुल्हे की बीमारी से ग्रसित थी उसके माता-पिता ने ना तो कोई दरगाह छोड़ी ना ही कोई पीर फकीर हर जगह दुआ मांगी की उनकी लाडो ठीक हो जाए पर हर जगह से निराशा हाथ लगने के बाद किसी ने उन्हें बच्ची को डॉक्टरों को दिखाने की सलाह दी।Body:डॉक्टरों को दिखाने के बाद हर तरफ से हताश परिजनों को उसके ठीक होने की आस बंधी जन्म से ही आयशा का बायां कूल्हा अपनी जगह से खिसका हुआ था अगर समय रहते ऑपरेशन नहीं होता तो उसे चलने फिरने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता ।डॉक्टरों की माने तो यह बीमारी 1000 बच्चों में किसी एक को ही होती है। पीबीएम के ट्रोमा सेंटर में लगभग 3 घंटे चले ऑपरेशन के दौरान छोटी बच्ची होने के कारण डॉक्टरों को ज्यादा एहतियात बरतनी पड़ी।

बाइट डॉ सुरेंद्र चौपड़ा,अस्थि रोग विशेषज्ञConclusion:इस ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने दावा किया है कि अब आयशा आसानी से चल फिर सकेगी डॉक्टरों का कहना है कि आयशा का अगर ऑपरेशन नहीं करवाया जाता तो बड़े होने पर वह चलने फिरने में असमर्थ हो सकती थी ।आयशा को 5 दिन पहले ही पीबीएनके ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया था और डॉक्टर बीआर चोपड़ा की टीम ने इस बच्ची का ऑपरेशन किया है ।बच्ची को स्वस्थ देखकर ऑपरेशन के बाद आयशा के परिजनों के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है।

बाइट बकतुल्ला बानो, परिजन।
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