ETV Bharat / city

Special: कोरोना का एक असर यह भी, बीकानेरी रसगुल्लों की मिठास और भुजिया के तीखेपन का स्वाद भूले लोग

पश्चिमी राजस्थान का अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगता जिला है बीकानेर (Bikaner).करीब 550 साल पुराने इस शहर की कई खासियत है और खानपान की चर्चा तो पूरी दुनिया करती है. बीकानेरी (Bikaneri) रसगुल्ला और तीखी, चटपटी नमकीन के सब दिवाने है, लेकिन विश्वव्यापी महामारी कोरोना (Corona) ने जायके पर भी असर छोड़ा है. कैसे? जानिए इस खास रिपोर्ट में.

Exclusive
कोरोना का एक असर यह भी
author img

By

Published : Oct 24, 2021, 6:46 AM IST

बीकानेर: साल 2020 में कोरोना महामारी (Corona) की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगाई. महामारी ने उस दो जून की रोटी पर भी असर डाला जो जिन्दगी के लिए जरूरी होती है. बीकानेर (Bikaner) की पहचान रसगुल्ला और जायकेदार नमकीन भी इससे अछूते नहीं हैं. पिछले साल लॉकडाउन (Lock Down) ने फेस्टिव सीजन (Festive Season) को बेनूर बना दिया था. इस बार वो कुछ राहत है, लेकिन बीकानेर (Bikaner) में रौनक अब वैसी नहीं दिखाई दे रही.

कोरोना का एक असर यह भी

बीकानेर में रसगुल्ला और भुजिया (Bikaneri Bhujia) की तकरीबन 400 से 500 छोटी बड़ी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट (Manufacturing Unit In Bikaner) है. जहां हर दिन बड़ी मात्रा में रसगुल्ला और भुजिया बनता है और दीपावली के मौके पर तो करीब दो महीने पहले से ही देश-विदेश से एडवांस बुकिंग के साथ ऑर्डर मिलता है, लेकिन इस बार रसगुल्ला और भुजिया की बाहर से भी डिमांड कम है. हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस साल डिमांड बढ़ी है लेकिन जो स्थिति कोरोना से पहले थी वह आज भी वापस नहीं आ पाई है.

ये भी पढ़ें-Karwa Chauth Special: मौत को हराकर जीत लिया सुहाग, जीवनसाथी की जिंदगी बचाने के लिए किया 'बड़ा दान'

रसगुल्ला का गाय कनेक्शन

रसगुल्ला कारोबारी छोटू मोटू जोशी फर्म के मालिक गोकुल जोशी कहते हैं कि पिछले साल के मुकाबले तेजी है लेकिन कोरोना (Corona) से पहले की स्थिति आज भी नहीं बन पाई है. गोकुल जोशी सीधे तर्क देते हुए कहते हैं कि रसगुल्ला गाय के दूध से बनता है और बीकानेर में दूध बड़ी मात्रा में मिलता है और अगर बड़ी मात्रा में रसगुल्ला का ऑर्डर होता है तो दूध के भाव में उस अनुपात में तेजी होती है लेकिन दूध के भाव में उतना उछाल नहीं आया है और यह इस बात का सीधा प्रमाण है कि रसगुल्ला की खपत दीपावली (Diwali) के मौके पर पहले के सालों की तरह नहीं है.

बाजार का तरीका ही बदल गया

भुजिया कारोबारी निखिल अग्रवाल कहते हैं कि कोरोना के बाद में स्थितियां बदली है और अब बिजनेस का तरीका भी थोड़ा बहुत बदला है जिसका भी असर इस बार दीपावली पर ऑर्डर में देखने को मिला है. उनके मुताबिक जिन कारोबारियों के साथ पहले काम होता था उनसे भी अब एक अमाउंट एडवांस आने के बाद ही उनका और ऑर्डर डिस्पैच होता है. यही कहीं न कहीं यह भी एक कम आर्डर मिलने का कारण है.

खतरा अभी टला नहीं

रसगुल्ला भुजिया कारोबारी विनीत अग्रवाल कहते हैं कि पिछले साल के मुकाबले की स्थिति थोड़ी सी सही है और बाजार में तेजी भी है लेकिन अब भी लोग कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से डरे हुए हैं. जिसके कारण बाजार में लोग नहीं जा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाहर के शहरों में अभी इतनी खपत तो नहीं बनी है जिसके आभास हो कि कोरोना से पहले का दौर लौट रहा है.

अरबों का कारोबार

एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर (Bikaner) में रसगुल्ला, भुजिया (Bhujia) की करीब 400 से 500 यूनिट है और हर दिन लाखों रुपए का रसगुल्ला और भुजिया बीकानेर से देश और विदेश में जाता है. बड़ी मात्रा में बीकानेर में भी इसकी खपत होती है. वैसे तो बीकानेर को मिठाइयों का शहर कहा जाता है और यहां अलग-अलग तरह की वैरायटी में बड़ी मात्रा में हर रोज मिठाईयां बनती है. लेकिन खासतौर से दीपावली (Diwali) के मौके पर बीकानेरी (Bikaneri) रसगुल्ले और भुजिया की बड़ी डिमांड होती है.

एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर में सालाना रसगुल्ला भुजिया और पापड़ का करीब ₹1000 करोड़ का कारोबार है. लेकिन फिलहाल ये मंदा ही है. सो यह कहा जा सकता है कि बीकानेरी रसगुल्ला की मिठास और भुजिया के तीखेपन के जायके पर कोरोना की मार भारी है.

बीकानेर: साल 2020 में कोरोना महामारी (Corona) की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगाई. महामारी ने उस दो जून की रोटी पर भी असर डाला जो जिन्दगी के लिए जरूरी होती है. बीकानेर (Bikaner) की पहचान रसगुल्ला और जायकेदार नमकीन भी इससे अछूते नहीं हैं. पिछले साल लॉकडाउन (Lock Down) ने फेस्टिव सीजन (Festive Season) को बेनूर बना दिया था. इस बार वो कुछ राहत है, लेकिन बीकानेर (Bikaner) में रौनक अब वैसी नहीं दिखाई दे रही.

कोरोना का एक असर यह भी

बीकानेर में रसगुल्ला और भुजिया (Bikaneri Bhujia) की तकरीबन 400 से 500 छोटी बड़ी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट (Manufacturing Unit In Bikaner) है. जहां हर दिन बड़ी मात्रा में रसगुल्ला और भुजिया बनता है और दीपावली के मौके पर तो करीब दो महीने पहले से ही देश-विदेश से एडवांस बुकिंग के साथ ऑर्डर मिलता है, लेकिन इस बार रसगुल्ला और भुजिया की बाहर से भी डिमांड कम है. हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस साल डिमांड बढ़ी है लेकिन जो स्थिति कोरोना से पहले थी वह आज भी वापस नहीं आ पाई है.

ये भी पढ़ें-Karwa Chauth Special: मौत को हराकर जीत लिया सुहाग, जीवनसाथी की जिंदगी बचाने के लिए किया 'बड़ा दान'

रसगुल्ला का गाय कनेक्शन

रसगुल्ला कारोबारी छोटू मोटू जोशी फर्म के मालिक गोकुल जोशी कहते हैं कि पिछले साल के मुकाबले तेजी है लेकिन कोरोना (Corona) से पहले की स्थिति आज भी नहीं बन पाई है. गोकुल जोशी सीधे तर्क देते हुए कहते हैं कि रसगुल्ला गाय के दूध से बनता है और बीकानेर में दूध बड़ी मात्रा में मिलता है और अगर बड़ी मात्रा में रसगुल्ला का ऑर्डर होता है तो दूध के भाव में उस अनुपात में तेजी होती है लेकिन दूध के भाव में उतना उछाल नहीं आया है और यह इस बात का सीधा प्रमाण है कि रसगुल्ला की खपत दीपावली (Diwali) के मौके पर पहले के सालों की तरह नहीं है.

बाजार का तरीका ही बदल गया

भुजिया कारोबारी निखिल अग्रवाल कहते हैं कि कोरोना के बाद में स्थितियां बदली है और अब बिजनेस का तरीका भी थोड़ा बहुत बदला है जिसका भी असर इस बार दीपावली पर ऑर्डर में देखने को मिला है. उनके मुताबिक जिन कारोबारियों के साथ पहले काम होता था उनसे भी अब एक अमाउंट एडवांस आने के बाद ही उनका और ऑर्डर डिस्पैच होता है. यही कहीं न कहीं यह भी एक कम आर्डर मिलने का कारण है.

खतरा अभी टला नहीं

रसगुल्ला भुजिया कारोबारी विनीत अग्रवाल कहते हैं कि पिछले साल के मुकाबले की स्थिति थोड़ी सी सही है और बाजार में तेजी भी है लेकिन अब भी लोग कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से डरे हुए हैं. जिसके कारण बाजार में लोग नहीं जा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाहर के शहरों में अभी इतनी खपत तो नहीं बनी है जिसके आभास हो कि कोरोना से पहले का दौर लौट रहा है.

अरबों का कारोबार

एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर (Bikaner) में रसगुल्ला, भुजिया (Bhujia) की करीब 400 से 500 यूनिट है और हर दिन लाखों रुपए का रसगुल्ला और भुजिया बीकानेर से देश और विदेश में जाता है. बड़ी मात्रा में बीकानेर में भी इसकी खपत होती है. वैसे तो बीकानेर को मिठाइयों का शहर कहा जाता है और यहां अलग-अलग तरह की वैरायटी में बड़ी मात्रा में हर रोज मिठाईयां बनती है. लेकिन खासतौर से दीपावली (Diwali) के मौके पर बीकानेरी (Bikaneri) रसगुल्ले और भुजिया की बड़ी डिमांड होती है.

एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर में सालाना रसगुल्ला भुजिया और पापड़ का करीब ₹1000 करोड़ का कारोबार है. लेकिन फिलहाल ये मंदा ही है. सो यह कहा जा सकता है कि बीकानेरी रसगुल्ला की मिठास और भुजिया के तीखेपन के जायके पर कोरोना की मार भारी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.