बीकानेर. प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर राज्य सरकार लगातार काम करने की बात कहती है. वहीं केंद्र सरकार की ओर से भी स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में राज्यों को अधिकाधिक मदद देने की बात कही जाती है. लेकिन इन सबके बीच एक बड़ी समस्या है, जो इन स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में आड़े आती है. वह है डॉक्टर और नर्सिंग कर्मचारियों के साथ पैरामेडिकल स्टाफ की कमी.
वैश्विक महामारी कोरोना काल में इस बात की जरूरत ज्यादा महसूस हुई कि संसाधनों के साथ ही स्टाफ भी पूरा होना जरूरी है. बीकानेर का पीबीएम अस्पताल प्रदेश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार है. बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध है. यहां उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं में सभी तरह की बीमारियों के इलाज की व्यवस्था है तो वहीं उत्तर भारत का आचार्य तुलसी कैंसर रिसर्च सेंटर भी इसी अस्पताल में है. वहीं हृदय रोग के लिए हल्दीराम मूलचंद कार्डियक सेंटर भी अस्पताल का हिस्सा है.
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इसके अलावा आचार्य महाप्रज्ञ बोन मेरो सेंटर की सेवाएं भी शुरू हो गई हैं. हालांकि संसाधनों के लिहाज से अस्पताल में बहुत कुछ होना बाकी है. साथ ही अस्पताल में चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की कमी भी देखने को मिलती है. कोरोना में अस्पताल के चिकित्सकों ने कोरोना वारियर्स के रूप में काम किया. खुद पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सलीम भी अस्पताल में चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की कमी की बात को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि हर विभाग में स्टाफ की कमी है. बावजूद उसके कोरोना काल में इसका प्रभाव नहीं पड़ा और सभी ने अपना बेहतर देने का प्रयास किया.
कैंसर हॉस्पिटल, हार्ट हॉस्पिटल के अलावा ट्रॉमा सेंटर और आईसीयू ऐसे स्थान हैं, जहां स्टाफ का पूरा होना जरूरी है. लेकिन अस्पताल में इन सभी विभागों में मेडिकल स्टाफ की कमी है. हालांकि कोरोना संक्रमण काल में अस्पताल में आने वाले रोगियों की संख्या में भी कमी आई है तो वहीं खुद अस्पताल प्रशासन ने भी जरूरी ऑपरेशन के अलावा रोके जा सकने वाले ऑपरेशन को भी टालने का प्रयास किया है.
अस्पताल प्रशासन की ओर से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक बीकानेर में सर्जरी के मेजर ऑपरेशन जहां जनवरी में 306 हुए तो वही अप्रैल में महज 32 तो वही मई में महज 34 ऑपरेशन हुए. यानी कि महज 10 फीसदी ही ऑपरेशन हुए. वहीं माइनर ऑपेरशन कोरोना लॉकडाउन अवधि में महज आधे हो गए. हार्ट हॉस्पिटल में अप्रैल और मई में एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ.
हालांकि अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर सलीम यह भी कहते हैं कि कोरोना काल में चिकित्सकों ने 24 घंटे ड्यूटी दी है. किसी भी तरह से किसी भी मरीज को कोई परेशानी नहीं हुई, इस बात का भी पूरा ध्यान रखा गया है. वहीं अस्पताल के नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य और राजस्थान नर्सिंग कर्मचारी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अब्दुल वाहिद कहते हैं कि निश्चित रूप से अस्पताल में नर्सिंग कर्मचारियों और चिकित्सकों की कमी है और उसके बारे में कई बार सरकार तक बात पहुंचाई है. लेकिन इस बात को कोरोना काल में खुद सरकार ने भी इसको माना है और कुछ भर्तियां शुरू होने की प्रक्रिया सामने आई है. वाहिद कहते हैं कि अस्पताल में हर रोज करीब 15 हजार से ज्यादा मरीज आते हैं और इनमें से करीब 10 फीसदी को भर्ती करना पड़ता है.
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अब्दुल वाहिद कहते हैं कि अस्पताल के नियमानुसार और मेडिकल काउंसिल की गाइडलाइन के मुताबिक अगर स्टाफ की संख्या तय की जाए तो 700 से ज्यादा नर्सिंग कर्मचारियों की अस्पताल में कमी है. वर्तमान में अस्पताल में 1 हजार 250 नर्सिंग कर्मचारी हैं. जबकि आवश्यकता 1 हजार 900 से ज्यादा की है. उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक कोविड ड्यूटी करने वाले स्टाफ को क्वॉरेंटाइन किया जाता है. ऐसे में यह कमी और ज्यादा हो जाती है.