बीकानेर. कहते हैं कला किसी की मोहताज नहीं होती. सतत मेहनत और साधना के बल पर हर कोई कला के शिखर पर परचम लहरा सकता है. ऐसी ही एक कहानी बीकानेर के रामदेव राणा (Bikaner youth extra ordinary talent) की है. रामदेव विभिन्न वाद्य यंत्रों की आवाज निकालने में माहिर हैं. उनकी उपलब्धियों को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध रह जाता है.
बीकानेर का ये शख्स अपने गले से तबला, ड्रम, चंग, ढोल और अन्य वाद्य यंत्रों की आवाजें (Bikaner youth play dhol, tabla, chang voice by throat) निकालता है. आवाज भी ऐसी कि हर किसी को भ्रम में डाल देता है. रामदेव का दावा है कि वह तकरीबन 3 घंटे तक लगातार गले से इस तरह की आवाज निकाल सकते हैं. बीकानेर के गंगाशहर में रहने वाले रामदेव राणा सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से संबंध पीबीएम अस्पताल में न्यूरोसाइंस डिपार्टमेंट में संविदा पर सहायक के रूप कार्यरत हैं.
संगीत का माहौल घर से मिला
रामदेव को संगीत का माहौल घर से ही मिला है. उनके पिता और दादा तबला वादक रहे हैं. उन्हीं को देखकर रामदेव ने बचपन से ही तबला बजाना सीख लिया और संगीत से जुड़े रहे. लेकिन बदलते समय के साथ कुछ नया करने की उनकी सोच ने एक नए आईडिया को जन्म दिया और उसी का परिणाम है कि अब रामदेव गले से तबला, ढोल, चंग और ड्रम बजाने की आवाज निकालते हैं.
पिछले 10 साल से गले से निकाल रहे आवाज
रामदेव कहते हैं कि पिछले 10 सालों से गले से विभिन्न वाद्य यंत्रों की आवाजें निकाल रहे हैं. इसे और बेहतर करने के लिए नियमित अभ्यास भी करते हैं. उन्होंने बताया कि वह तबला वादक है. संगीत कार्यक्रमों में जाते हैं और तबला वादन करते हैं. लेकिन हर कार्यक्रम में वे गले से इस तरह की आवाज निकालने की परफॉर्मेंस भी देते हैं. उसके लिए लोग उनकी तारीफ करते हैं. उन्हें अच्छा लगता है कि उनकी कला की कद्र हो रही है.
बड़ा मंच चाहते हैं रामदेव
रामदेव इस बात को लेकर अफसोस जताते हैं कि उन्हें कोई बड़ा मंच आज तक नहीं मिला. जिससे वह अपनी कला को पूरी दुनिया के सामने प्रदर्शित कर सकें. लेकिन उन्हें विश्वास है कि एक दिन ऐसा जरूर आएगा. रामदेव के साथ काम करने वाले श्रवण कुमार पांडेय कहते हैं कि वाकई में रामदेव के पास एक अनूठी कला है और कई बार इसे हमने महसूस किया है और हमें उम्मीद है कि एक दिन इसे बड़ा मुकाम हासिल होगा.
भाई-बहनों में रामदेव सबसे बड़े हैं
चार भाई और दो बहन वाले रामदेव के परिवार में वे सबसे बड़े हैं. हालांकि खुद रामदेव ने दसवीं तक की शिक्षा हासिल की हुई है. आजीविका के लिए वे पीबीएम अस्पताल में बतौर संविदा कर्मी कार्य कर रहे हैं. वे कहते हैं इसके अलावा भजन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी वे तबला वादक के रूप में जाते हैं. लेकिन वहां कार्यक्रम में जब भी गले से कुछ देर के लिए प्रस्तुत लेते हैं तो लोगों को अच्छा लगता है.